पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों में चुनाव शुरू होने वाले हैं और एक बार फिर से ईवीएम का मुद्दा गरमाने लगा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने टीएमसी कार्यकर्ताओं को ईवीएम टैंपरिंग को लेकर सचेत रहने के लिए कहा है. अन्य विपक्षी दल अक्सर आरोप लगाते रहते हैं कि बीजेपी ईवीएम से छेड़छाड़ करके चुनावों में जीत हासिल करती है. इसी को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया पर एक अखबार की कटिंग वायरल हो रही है, जिसके जरिये दावा किया जा रहा है कि एक बीजेपी नेता के घर से 66 नकली ईवीएम जब्त हुई हैं. इस खबर को पश्चिम बंगाल चुनाव से जोड़ते हुए कहा जा रहा है कि बंगाल में बीजेपी ने सरकार बनाने की पूरी तैयारी कर ली है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल पोस्ट पूरी तरह से सही नहीं है. अखबार की कटिंग में लिखी बात सच है लेकिन ये 2018 का राजस्थान का मामला है. बंगाल चुनाव से इसका कोई लेना-देना नहीं है.
बंगाल चुनाव के मद्देनजर इस पोस्ट को फेसबुक पर काफी शेयर किया जा रहा है. कुछ लोगों ने इस अखबार की क्लिपिंग को ट्विटर पर भी पोस्ट किया है. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
कैसे पता की सच्चाई?
इंटरनेट पर कीवर्ड की मदद से खोजने पर हमें इस मामले से जुड़ी कुछ खबरें मिली. 'पत्रिका' की वेबसाइट पर 4 दिसंबर 2018 को प्रकाशित हुई एक खबर के अनुसार ये घटना राजस्थान के ब्यावर की है जहां पुलिस ने एक मकान में दबिश देकर 66 डेमो ईवीएम प्रचार सामग्री पकड़ी थी. इस दौरान राजस्थान में विधानसभा चुनाव चल रहे थे. पकड़ी गईं ईवीएम में जैतारण क्षेत्र के निर्दलीय प्रत्याशी और बीजेपी के पूर्व मंत्री सुरेन्द्र गोयल का चुनाव चिन्ह व नाम अंकित था. उस समय 'दैनिक भास्कर' ने भी इसको लेकर एक खबर प्रकाशित की थी. वायरल न्यूज कटिंग 'दैनिक नवज्योति' अखबार की थी जिसे दिसंबर 2018 में भी कई लोगों ने शेयर किया था.
दरअसल, ये डेमो ईवीएम थीं जिन्हें मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए बनाया गया था. इस अखबार की क्लिपिंग में बताया गया है कि पुलिस ने ये डेमो ईवीएम सुरेन्द्र गोयल के खास एवं बीजेपी के एक मंडल अध्यक्ष शंकर सिंह भाटी के घर से जब्त की थीं. इस खबर के मुताबिक ये कोई अपराध नहीं था क्योंकि ये प्रतीकात्मक ईवीएम थीं. लेकिन प्रत्याशी के खर्चे का हिसाब रखने के लिए इस बारे में चुनाव अधिकारी को अवगत कराना जरूरी था.
इन नकली ईवीएम का एक वीडियो भी यूट्यूब पर मौजूद है. इसमें बताया जा रहा है कि डेमो ईवीएम ग्रामीणों को ये समझाने के लिए बनाई गईं थी कि चुनाव में मतदान कैसे करें.
यहां ये साबित हो जाता है कि वायरल क्लिपिंग को भ्रामक तरीके से शेयर किया जा रहा है. नकली ईवीएम से जुड़े राजस्थान के एक दो साल पुराने मामले को पश्चिम बंगाल चुनाव से जोड़ा जा रहा है.
अर्जुन डियोडिया