जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. इस खबर का जिक्र करते हुए लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने एक ऐसा पोस्ट शेयर कर दिया जिसके बाद सोशल मीडिया पर बवाल शुरू हो गया.
दरअसल नेहा ने सरकार पर तंज कसते हुए मैनुअल स्कैवेंजिंग यानी मैला ढोने की प्रथा से संबंधित एक तस्वीर शेयर की. इस फोटो में एक आदमी को गंदे सीवर टैंक के अंदर घुसकर उसकी सफाई करते हुए देखा जा सकता है. फोटो के साथ नेहा ने लिखा, “दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत. जापान को छोड़ा पीछे; हमसे आगे बस 3 देश.” पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
फेसबुक पर भी कुछ लोगों ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए सरकार पर व्यंग किया कि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने के बावजूद भारत में आज भी मैनुअल स्कैवेंजिंग जारी है. हालांकि आजतक की जांच में इस तस्वीर की सच्चाई कुछ और ही निकली.
भारत की नहीं है ये तस्वीर
रिवर्स सर्च करने पर हमें ये फोटो 2018 की द गार्डियन की एक रिपोर्ट में मिली. यहां इसे बांग्लादेश का बताया गया है और इसका क्रेडिट जाकिर चौधरी नाम के फोटोग्राफर को दिया गया है.
डेली मेल की 3 मई, 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये फोटो ढाका सिटी कॉरपोरेशन में काम करने वाले एक सफाई कर्मचारी की है. खबर में इस कर्मचारी की कई और तस्वीरें भी मौजूद हैं. ये फोटो उस वक्त की है जब ढाका में भारी बारिश और ड्रेनेज सिस्टम की बदहाली के कारण बाढ़ जैसे हालात हो गए थे.
डेली मेल की रिपोर्ट में बताया गया है कि इन सफाई कर्मचारियों को बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के अक्सर सिर्फ एक डंडे के सहारे सीवर टैंक के अंदर जाना पड़ता है. इसके अलावा वहां से निकलने वाले जहरीले धुएं और गैस से बचने के लिए उनके पास मास्क तक नहीं होता.
इस तरह ये बात साफ हो जाती है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग को लेकर भारत सरकार पर तंज कसते हुए जिस तस्वीर को शेयर किया जा रहा है वो भारत की नहीं बल्कि बांग्लादेश की है.
भारत में 1993 से ही इस प्रथा पर लगी है रोक
गौरतलब है कि भारत में 1993 से ही मैनुअल स्कैवेंजिंग यानी हाथ से सीवर व सेप्टिक टैंकों की सफाई करने पर रोक लगी हुई है. साथ ही, इस मामले को लेकर और ज्यादा सख्ती के लिए “मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013” लाया गया जिसके नियमों के अनुसार कोई भी एजेंसी या व्यक्ति इस तरह के कामों के लिए किसी इंसान का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. इसके बावजूद देश में मैनुअल स्कैवेंजिंग के कई मामले सामने आते रहे हैं.
राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने बताया कि देश में साल 2019 से 2023 के बीच सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान 377 लोगों की मौत हुई है. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता व सफाई कर्मचारी आंदोलन (SKA) के संस्थापक बेजवाड़ा विल्सन के अनुसार, मैनुअल स्कैवेंजिंग की वजह से 2023 में 102, 2024 में 116 और 2025 में अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि 31 जुलाई, 2024 तक देश के 766 में से 732 जिले मैनुअल स्कैवेंजिंग-मुक्त हो चुके हैं.
(रिपोर्ट: अभिषेक पाठक)
फैक्ट चेक ब्यूरो