फैक्ट चेक: श्रीनगर के गणपतयार मंदिर में 31 साल बाद गणेश चतुर्थी मनाए जाने का दावा है गलत

सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि श्रीनगर के गणपतयार मंदिर में 31 साल बाद गणेश चतुर्थी मनाई गई. लेकिन सच ये है कि यहां पिछले कई सालों से गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
इस बार कश्मीरी हिंदुओं ने श्रीनगर स्थित गणपतयार मंदिर में 31 साल बाद गणेश चतुर्थी मनाई.
सच्चाई
श्रीनगर के गणपतयार मंदिर में पिछले कई सालों से गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है. हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि इस साल गणेश चतुर्थी पर मंदिर में रौनक पहले से ज्यादा थी.

अर्जुन डियोडिया

  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST

देश भर में मनाए जा रहे गणेश उत्सव के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि कश्मीरी हिंदुओं ने श्रीनगर स्थित गणपतयार मंदिर में 31 साल बाद गणेश चतुर्थी मनाई. वीडियो एक मंदिर का है जिसमें कई लोगों को हिंदू देवी-देवताओं के दर्शन करते हुए देखा जा सकता है. दावे में 31 साल का तात्पर्य 1990 से है जब आतंकियों की वजह बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों को घाटी से पलायन करना पड़ा था.

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वीडियो के कैप्शन में लिखा है, "कश्मीरी हिंदुओं ने 31 साल बाद श्रीनगर के गणपतियार मंदिर में गणेश चतुर्थी मनाई। एक हवन भी किया गया, कश्मीर में घंटियों और मंत्रों की आवाज फिर से गूंजने लगी है। जब कोई आपसे पूछे कि मोदी ने क्या किया है, तो उन्हें यह दिखाओ। सनातन फिर से ऋषि कश्यप की पवित्र भूमि में उठ रहा है".

इसी कैप्शन के साथ वीडियो फेसबुक और ट्विटर पर हजारों लोग शेयर कर चुके हैं. पोस्ट के जरिए यूजर्स प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ कर रहे हैं कि उनकी वजह से 31 साल बाद इस मंदिर में कश्मीरी हिंदू गणेश चतुर्थी मना पाए.

क्या है सच्चाई?

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि पोस्ट में कही गई बात सच नहीं है. श्रीनगर के गणपतयार मंदिर में पिछले कई सालों से गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है. हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि इस साल गणेश चतुर्थी पर मंदिर में रौनक पहले से ज्यादा थी.

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इस दावे की सच्चाई जानने के लिए सबसे पहले हमने "कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति" के अध्यक्ष संजय टिक्कू से बात की. टिक्कू का कहना था कि यह दावा सरासर झूठ है कि गणपतयार मंदिर में 31 साल बाद हिंदुओं ने गणेश चतुर्थी मनाई. टिक्कू ने बताया कि इससे पहले भी वो लोग इस मंदिर में कई बार गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी मना चुके हैं. टिक्कू के अनुसार, ये सच है कि 1990 से 2021 के बीच दो-चार बार मंदिर में गणेश चतुर्थी नहीं मन पाई, लेकिन ऐसा हर साल नहीं हुआ. कई बार गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी पर मंदिर में हवन भी हो चुका है.

"कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति" की वेबसाइट पर भी कुछ तस्वीरें मौजूद हैं जो दिखाती हैं कि साल 2009 में इस मंदिर में गणेश चतुर्थी पर हवन पूजन हुआ था.

इसके अलावा हमें 20 सितंबर 2012 की "द ट्रिब्यून" की एक खबर भी मिली जो उस साल गणपतयार मंदिर में मनाई गई गणेश चतुर्थी को लेकर थी. इस मंदिर में गणेश चतुर्थी से जुड़ा एक वीडियो 2016 में यूट्यूब पर भी शेयर किया गया था. इसके साथ ही, गणपतयार मंदिर की गणेश पूजा की कुछ तस्वीरें अप्रैल 2018 में एक फेसबुक यूजर ने भी शेयर की थीं.

इन सारे सबूतों से इतनी बात तो साफ हो जाती है कि गणपतयार मंदिर में इस साल से पहले भी कई बार गणेश चतुर्थी मनाई जा चुकी है. हालांकि, इस साल मंदिर में गणेश चतुर्थी के मौके पर जम्मू से आए कुछ कश्मीरी पंडितों का कहना था कि पहले मंदिर में आने के लिए हालात सही नहीं थे. 1990 के बाद से सुरक्षा कारणों के चलते वो लोग इस मंदिर में नहीं आ पाए. लेकिन अब हालात थोड़े सुधरे हैं.

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वायरल वीडियो हमें "जम्मू कश्मीर नाउ" नाम के एक यूट्यूब चैनल पर भी मिला जहां इसे 11 सितंबर को अपलोड किया गया था. इस वीडियो में भी यही बताया गया है कि 1990 के बाद इस धाम पर हिंदुओं का आवागमन कम हो गया था, लेकिन तीन दशक बाद एक बार फिर यहां रौनक लौट आई है.

कुल मिलाकर निष्कर्ष ये निकलता है कि गणपतयार मंदिर में 31 साल में पहली बार गणेश चतुर्थी मनने का दावा गलत है, लेकिन ऐसा हो सकता है कि इस बार मंदिर में ये पर्व ज्यादा धूमधाम से मना हो और यहां चहल-पहल ज्यादा हुई हो.

बता दें कि कुछ दिनों पहले जन्माष्टमी के मौके पर भी ये गलत दावा किया गया था कि 32 साल बाद कश्मीरी पंडितों ने पहली बार श्रीनगर में जुलूस निकाला.

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