फैक्ट चेक: बूढ़ी औरत और महिला कॉन्स्टेबल की इस तस्वीर के पीछे की कहानी फर्जी है

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि ये दावा झूठा है. AFWA ने पाया कि तस्वीर के साथ ये पूरी कहानी गढ़ी गई है. महिला सिपाही और उसी बूढ़ी महिला के बीच कोई रिश्ता नहीं है. इसलिए इस बूढ़ी महिला की अपनी पोती की परवरिश की कहानी भी झूठी साबित होती है. 

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
एक बूढ़ी महिला ने अपनी पोती को इंस्पेक्टर बनाने के लिए लोगों के बरतन साफ किये.
सच्चाई
फोटो के साथ किया दावा झूठा है. लेडी कॉन्स्टेबल और बूढ़ी महिला के बीच कोई रिश्ता नहीं है.

अर्जुन डियोडिया

  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST

हाथ में खाने की थाली लिये उम्रदराज महिला और उसके बगल में पुलिस यूनिफॉर्म में खड़ी महिला कॉन्स्टेबल की तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल है.  

क्या है दावा ?

इस वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि इंस्पेक्टर की वर्दी में खड़ी महिला बूढ़ी औरत की पोती है और लोगों के घरों में बरतन धोकर उन्होंने अपनी पोती को आज इस काबिल बनाया.

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सच्चाई क्या है ?

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि ये दावा झूठा है. AFWA ने पाया कि तस्वीर के साथ ये पूरी कहानी गढ़ी गई है. महिला सिपाही और उसी बूढ़ी महिला के बीच कोई रिश्ता नहीं है. इसलिए इस बूढ़ी महिला की अपनी पोती की परवरिश की कहानी भी झूठी साबित होती है.  

सोशल मीडिया पर इस कहानी को सच मानकर लोग इस बूढ़ी महिला की खूब तारीफ कर रहे हैं, रिवर्स सर्च के जरिए इस फोटो की सच्चाई सामने आ गई. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक पुलिस की वर्दी में महिला मानवी हैं जो यूपी के संत कबीरनगर में कॉन्स्टेबल पद पर तैनात हैं.  मानवी का नाम सुर्खियों में तब आया, जब उन्होंने एक परेशान, भूखी और कुपोषण की शिकार बूढ़ी महिला की मदद की थी. 5 महीने पुरानी इस घटना के वक्त यूपी पुलिस के डीजीपी ओ पी सिंह ने भी उनकी तारीफ की थी.

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डीजीपी की चिट्ठी के मुताबिक मानवी एक बैंक में इस बूढ़ी महिला से मिली जो भूखी थी और काम ढूंढ रही थी. मानवी ने बैंक में उसका काम कराया और उसे खाना खिलाया. इंडिया टुडे टीम ने मानवी से इस बारे में संपर्क किया लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई.

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