फैक्ट चेक- प्लेटफार्म टिकट पर ‘अडानी रेलवे’ लिखा दिखाती ये तस्वीर फर्जी है

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने तस्वीर को छेड़छाड़ से फर्जी तैयार किया गया पाया है. मूल तस्वीर में ‘अडानी रेलवे’ या रेलवे के ग्रुप की निजी संपत्ति होने जैसी कोई बात नहीं लिखी है. हालांकि यह सच है कि भारतीय रेलवे ने कोविड-19 महामारी के बीच रेलवे स्टेशनों पर भीड़ कम रखने के लिए प्लेटफॉर्म टिकट के दाम बढ़ाए हैं.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
पुणे में प्लेटफॉर्म टिकटों पर अब“अडानी रेलवे”लिखा होने के साथ टैगलाइन दी गई है कि“रेलवे अब अडानी ग्रुप की निजी संपत्ति है.”
सच्चाई
तस्वीर से छेड़छाड़ की गई है. मूल तस्वीर में“अडानी रेलवे”या टैगलाइन मौजूद नहीं है. लेकिन भारतीय रेलवे ने पुणे में प्लेटफॉर्म टिकट के दाम महामारी के चलते भीड़ को कम रखने के मकसद से अस्थायी तौर पर बढ़ाए हैं.

अर्जुन डियोडिया

  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:49 PM IST

अक्सर केंद्र सरकार पर विपक्ष ओर से सरकारी निकायों के निजीकरण के आरोप लगाए जाते रहे हैं. किसानों का मौजूदा आंदोलन भी कृषि के निगमीकरण (कॉर्पोरेटाइजेशन) के खिलाफ है.

इन सबके बीच एक रेलवे प्लेटफॉर्म का टिकट वायरल हो रहा है जिस पर ‘अडानी रेलवे’ लिखा हुआ है. इसी के नीचे पंक्ति लिखी है-‘रेलवे अब हमारी निजी संपत्ति है.’ प्लेटफॉर्म टिकट पुणे जंक्शन का बताया गया है, जिसमें तिथि, समय, टिकट नंबर और मूल्य 50 रुपये जैसी जानकारी भी अंकित है.

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सोशल मीडिया पर यूजर्स इस तस्वीर को शेयर करते वक्त रेलवे को अडानी ग्रुप को ‘बेचने’ के लिए सरकार की आलोचना भी कर रहे हैं. कई ने कमेंट भी किए हैं कि अडानी ग्रुप ने प्लेटफॉर्म टिकट के दाम 10 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये कर दिए.  

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA)ने तस्वीर को छेड़छाड़ से फर्जी तैयार किया गया पाया है. मूल तस्वीर में ‘अडानी रेलवे’ या रेलवे के ग्रुप की निजी संपत्ति होने जैसी कोई बात नहीं लिखी है. हालांकि यह सच है कि भारतीय रेलवे ने कोविड-19 महामारी के बीच रेलवे स्टेशनों पर भीड़ कम रखने के लिए प्लेटफॉर्म टिकट के दाम बढ़ाए हैं.

  

सोशल मीडियापर यह दावा वायरल हो गया. वायरल पोस्ट को यहां आर्काइव देखा जा सकता है.  

AFWA जांच  

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तस्वीर को रिवर्स सर्चिंग करने पर हमने पाया कि कई यूजर्स ने अगस्त में मूल तस्वीर को पोस्ट किया था. इनमें से एक पत्रकार प्रशांत कनोजिया भी हैं जिन्होंने प्लेटफॉर्म टिकट के दाम 5 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये करने के लिए सरकार की आलोचना की थी.   

कनोजिया के ट्वीट के जवाब में, भारतीय रेलवे के प्रवक्ता ने 18 अगस्त को स्पष्टीकरण दिया कि पुणे रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म टिकट के दाम कोरोना वायरस के खतरे के चलते भीड़ को कम रखने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के मकसद से बढ़ाए गए.

पुणे जंक्शन द्वारा प्लेटफार्म टिकट का मूल्य ₹50 रखने का उद्देश्य अनावश्यक रूप से स्टेशन पर आने वालों पर रोक लगाना है जिस से सोशल डिसटेनसिंग का पालन किया जा सके।

रेलवे प्लेटफार्म टिकट की दरों को कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों से ही इसी प्रकार नियंत्रित करता आया है। https://t.co/X2HuPC5HUg

— Spokesperson Railways (@SpokespersonIR) August 17, 2020

उस वक्त रेलवे बोर्ड के सीईओ वीके यादव ने भी कहा कि डिविजनल रेलवे प्रबंधकों को स्टेशनों पर भीड़ कम रखने के लिए प्लेटफॉर्म टिकट के दाम बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बढ़े हुए दामों की महामारी के बाद फिर से समीक्षा की जाएगी.  

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प्लेटफॉर्म टिकट के मौजूदा दाम क्या है?  

आगे पुष्टि के लिए AFWA ने पुणे रेलवे डिविजन के पीआरओ मनोज झावर से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि पुणे रेलवे स्टेशन पर अब भी प्लेटफॉर्म टिकट के दाम 50 रुपए हैं और ये टिकट स्पेशल केसों में उन्हें जारी किए जाते हैं जिनके साथ बुजुर्ग या दिव्यांग यात्री होते हैं.   

द इंडियन एक्सप्रेस” ने इस विषय में अगस्त में एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की.    

द इंडियन एक्सप्रेस” की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2019 से प्राइवेट फर्म भारत विकास ग्रुप (बीवीजी) पुणे रेलवे स्टेशन का प्रबंधन कर रही है. ये कदम भारतीय रेलवे स्टेशन्स डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (आईआरएसडीसी) की ओर से स्टेशन पर प्राइवेट एजेंसियों को “फैसिलिटी मैनेजर” नियुक्त किए जाने के बाद उठाया गया.  
 

रेलवे, अडानी और फेक न्यूज  

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि उद्योगपति अडानी और उनके ग्रुप को “भारतीय रेलवे के निजीकरण” से जुड़ी भ्रामक पोस्ट्स में घसीटा गया है. 

कुछ दिन पहले, एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें ट्रेन पर “फॉरच्यून” प्रोडक्ट्स और “अडानी विलमर” के विज्ञापनों को दिखाया गया था. साथ ही दावा किया गया था कि भारत सरकार ने रेलवे को अडानी ग्रुप को बेच दिया है. AFWA ने तब इस दावे का सच उजागर किया था. 

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सितंबर, में ऐसे ही वीडियो के साथ एक और दावा वायरल हुआ था जिसमें चलती कंटेरनर ट्रेन पर ‘अडानी’ लिखा हुआ था. AFWA ने इस दावे को भी भ्रामक पाया.   

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