फैक्ट चेक: नए कोरोना वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर फैलाया जा रहा भ्रम, फर्जी है वायरस की ‘रिलीज डेट’ वाली ये लिस्ट

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर घूम रही कोरोना वायरस वैरिएटंस की ये लिस्ट फर्जी ही है. ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ की हेड ऑफ मीडिया कंटेंट अमांडा रूसो ने ‘आजतक’ को बताया कि इस लिस्ट से ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ का कुछ लेना-देना नहीं है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
‘जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी’ और ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ ने पहले ही योजना बना ली थी कि कोरोना वायरस के कौन-कौन से वेरिएंट कब लॉन्च किए जाएंगे. इस लिस्ट में मौजूद ओमीक्रॉन नाम का वेरिएंट अब आ चुका है. इससे साबित होता है कि ये लिस्ट असली थी.
सच्चाई
ये लिस्ट फर्जी ही है. डब्लूएचओ ने घोषणा की थी कि कोरोना वायरस वैरिएंट्स के नाम ग्रीक एल्फाबेट्स पर रखे जाएंगे. घोषणा के बाद ही ये लिस्ट वायरल हो गई थी. ओमिक्रॉन भी एक ग्रीक एल्फाबेट ही है.

ज्योति द्विवेदी

  • नई दिल्‍ली ,
  • 30 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST

दक्षिण अफ्रीका में हाल ही में मिला कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमीक्रॉन काफी खतरनाक माना जा रहा है. अब तक ये तकरीबन 13 देशों में  पाया जा चुका है. 

इस वायरस को लेकर चल रही गहमागहमी के बीच सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस वैरिंएट्स के कथित नामों वाली एक  लिस्ट वायरल हो गई है. इस लिस्ट में बताया गया है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट  ‘मई 2022’ में आएगा. इसमें ये भी लिखा है कि कोरोना वायरस के बाकी वैरिएंटस कब आएंगे. इस लिस्ट को शेयर करते हुए ऐसा कहा जा रहा है कि एक षड़यंत्र के तहत इसे ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ और ‘जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी’ ने मिलकर बनाया था. 

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दरअसल ये लिस्ट जुलाई 2021 में भी वायरल हुई थी. तब ‘इंडिया टुडे’  सहित कई फैक्ट चेकिंग वेबसाइट्स ने इसका खंडन किया था. 

अब एक बार फिर ये लिस्ट शेयर करते हुए लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर ये फर्जी थी, तो भला इसमें ओमिक्रॉन वैरिएंट का नाम कैसे लिखा है? कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि नए वैरिएंट का नाम बोनीक्रॉन या कुछ और भी हो सकता था. फिर आखिर एक फर्जी लिस्ट में लिखा नाम सचमुच कैसे कोरोना वायरस का नया वैरिएंट घोषित कर दिया गया? 

एक फेसबुक यूजर ने इस लिस्ट को शेयर करते हुए लिखा, "World Economic Forum और John Hopkins University का वो दस्तावेज़ जिसमें फ़र्ज़ी वायरसों की लिस्ट और महीने दिए गए थे. उसमें Omicron वायरस के लिए बताया गया है कि वो मई महीने में आएगा. कुछ महीनों पहले ऐसा दस्तावेज़ सामने आते ही फैक्ट चेकर्स और वैश्विक षड्यंत्रकारियों ने एक मुहिम छेड़ दी थी, ये साबित करने के लिए कि ये दस्तावेज़ फ़र्ज़ी है. परंतु इन षड्यंत्रकारियों का पर्दाफाश यहां से होता है कि यदि वो दस्तावेज़ फ़र्ज़ी था तो उसमे दिए गए Omicron नाम का वायरस वेरियंट् ही कैसे आया है अब? फ़र्ज़ी दस्तावेज़ बनाने वाले को कैसे पता था इस नाम का कुछ आएगा? अरे कोई नाम ही बदल देते? Omicron की जगह Bonicron? लेकिन बदलते कैसे? ये पहले से ही फिक्स था."

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इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर घूम रही कोरोना वायरस वैरिएटंस की ये लिस्ट फर्जी ही है. ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ की हेड ऑफ मीडिया कंटेंट अमांडा रूसो ने ‘आजतक’ को बताया कि इस लिस्ट से ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ का कुछ लेना-देना नहीं है. इसी तरह, ‘जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी’ की डायरेक्टर ऑफ मीडिया रिलेशंस जिल रोजेन ने भी हमें बताया कि इस लिस्ट में दी गई जानकारियां गलत हैं और इसे बनाने में ‘जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी’ की कोई भूमिका नहीं है.

कैसे पता लगाई सच्चाई? 
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 31 मई 2021 को ये घोषणा की थी कि कोरोना वायरस वैरिएंट्स के नाम ग्रीक एल्फाबेट्स के नाम पर रखे जाएंगे. ऐसा दो कारणों से किया गया था. पहला, लोग इन वैरिएंट्स  के नामों को आसानी से समझ पाएं, याद रख पाएं. क्योंकि इनके वैज्ञानिक नाम जटिल होते हैं. दूसरा कारण ये था कि लोग वैरिएंट को उस देश के नाम से ही न बुलाने लगें, जहां वो पहली बार पाया गया है, क्योंकि इससे देशों के प्रति भेदभाव फैल सकता था. 

हमें सर्च करने पर पता चला कि सोशल मीडिया पर वायरल लिस्ट कम से कम जुलाई 2021 से शेयर हो रही है. इस लिस्ट में रिलीज की तारीखों का जो शेड्यूल बना हुआ है, वो जून 2021 से शुरू हो रहा है. साफ है कि ये लिस्ट  डब्लूएचओ की घोषणा के बाद ही आई थी. फर्जीवाड़ा करने वालों ने डब्लूएचओ की घोषण की आड़ लेकर ही ये लिस्ट बनाई. 

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‘यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस’, यूएस के मुताबिक कुल 24 ग्रीक एल्फाबेट होते हैं. ओमीक्रॉन इनमें से 15वां एल्फाबेट है. 

ओमिक्रॉन ही क्यों?  
कोरोना वायरस का पिछला वेरिएंट इसी साल 30 अगस्त, 2021 को कोलंबिया, यूएस में मिला था. इसका नाम 12वें ग्रीक एल्फाबेट ‘Mu’ के नाम पर रखा गया था. 

इसके बाद नवंबर 2021 में जब दक्षिण अफ्रीका में मिले वैरिएंट का नाम रखने की बारी आई, तो डब्लूएचओ ने 13वें और 14वें ग्रीक एल्फाबेट्स ‘Nu’ और ‘Xi’ को छोड़कर अगला एल्फाबेट ‘ओमीक्रॉन’ चुना. 

डब्लूएचओ के प्रवक्ता ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि उन्होंने दो एल्फाबेट इसलिए छोड़ दिए, क्योंकि ‘Nu’ का उच्चारण काफी हद तक ‘new’ जैसा है, जिससे भ्रम फैल सकता था. वहीं, ‘Xi’ पर वैरिएंट का नाम इसलिए नहीं रखा गया, क्योंकि ये एक बेहद प्रचलित नाम है. यही वजह है कि ‘Xi’ के बाद आने वाला ग्रीक एल्फाबेट ‘ओमिक्रॉन’ नए वैरिएंट का नाम बन गया. 

कितना खतरनाक है ओमिक्रॉन वैरिएंट?    

एक्सपर्ट्स का मानना है कि ओमिक्रॉन पिछले वैरिएंट की तुलना में काफी खतरनाक है. ये भारत में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही मचाने वाले डेल्टा वैरिएंटस से भी छह गुना ज्यादा तेजी से फैलता है. यहां तक कि ये वैक्सीनेशन से पैदा हुए इम्यून रिस्पॉन्स को भी बेअसर कर सकता है. अभी इस पर रिसर्च चल रहा है और इसके बारे में पुख्ता तौर पर कुछ भी कहना मुश्किल है. 

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साफ तौर पर, कोविड वैरिएंटस के नामों और उनकी रिलीज की तारीखों वाली एक मनगढ़ंत लिस्ट के जरिये कोरोना महामारी को षड़यंत्र बताया जा रहा है. 

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