सोशल मीडिया पर एक ब्लैक एंड वाइट फोटो जमकर वायरल है, जिसमें साइकिल पर एक लड़के को अखबार ले जाते हुए देखा जा सकता है. तस्वीर के साथ दावा किया गया है कि यह तस्वीर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बचपन की है जब वे घरों में अखबार डाला करते थे.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया गया दावा गलत है. यह तस्वीर फरवरी 2011 में हैदराबाद में खींची गई थी. वायरल तस्वीर को पुरानी दिखाने के लिए एडिटिंग की मदद से ब्लैक एंड वाइट भी किया गया है. हालांकि ये बात भी किसी से छुपी नहीं है कि अब्दुल कलाम ने भी बचपन में घरों में अखबार डालने का काम किया था.
ट्विटर और फेसबुक पर कई सालों से इस तस्वीर को अब्दुल कलाम का मानकर शेयर किया जा रहा है.
पिछले साल अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र ने भी इस तस्वीर को शेयर कर दिया था. हालांकि, जब लोगों ने उन्हें बताया ये तस्वीर कलाम की नहीं है तो उन्होंने इस पर माफ़ी भी मांग ली थी.
वायरल तस्वीर को खोजने पर हमें द हिंदू का एक आर्टिकल मिला जिसमें इसकी असली तस्वीर मौजूद थी. फरवरी 2011 में प्रकाशित हुआ यह लेख अखबार बांटने वालो की कठिन दिनचर्या पर आधारित था.
लेख में इस तस्वीर के लिए फोटोग्राफर एम सुभाष को क्रेडिट दिया गया था. हमारी खबर को पुख्ता करने के लिए हमने एम सुभाष से भी संपर्क किया. सुभाष के मुताबिक, यह तस्वीर उन्होंने 2011 में 17 से 19 फरवरी के बीच हैदराबाद में ली थी. इससे ये साबित होता है कि तस्वीर महज नौ साल पुरानी है और इसका कलाम के बचपन से कोई लेना-देना नहीं.
हालांकि यह बात भी सच है कि अब्दुल कलाम का बचपन भी संघर्षों से भरा हुआ था. 5 साल की उम्र में कलाम ने भी अपने पिता की मदद करने के लिए अखबार बांटने का काम किया था.
अर्जुन डियोडिया