फैक्ट चेक: क्या उद्धव ठाकरे ने 1992 दंगों के लिए मुस्लिम नेताओं से मांगी माफी? अखबार की ये कटिंग फर्जी है

महाराष्ट्र चुनाव के बीच एक अखबार की कटिंग सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है जिसमें शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे के एक कथित बयान जिक्र किया गया है. अखबार की इस कटिंग के अनुसार, उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र चुनाव से ठीक पहले मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक की और उनसे 1992 के दंगों में शामिल होने के लिए माफी मांगी है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
उद्धव ठाकरे ने मुस्लिम नेताओं से कहा कि शिवसेना का 1992 के दंगों में शामिल होना गलत कदम था, उन्हें माफ करें.
सच्चाई
उद्धव ठाकरे ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है. “राष्ट्रीय उजाला” नाम के अखबार की ये कटिंग फर्जी है.

सत्यम तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:29 PM IST

महाराष्ट्र चुनाव के बीच एक अखबार की कटिंग सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है जिसमें शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे के एक कथित बयान जिक्र किया गया है. अखबार की इस कटिंग के अनुसार, उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र चुनाव से ठीक पहले मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक की और उनसे 1992 के दंगों में शामिल होने के लिए माफी मांगी है.

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वायरल कटिंग “राष्ट्रीय उजाला” नाम के किसी अखबार की है, जिसमें लिखा है कि इस बैठक में सज्जाद नोमानी, मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल जैसे नेता मौजूद थे, जिनके सामने उद्धव ठाकरे ने ये बयान दिया. इस कटिंग को शेयर करते हुए एक एक्स यूजर ने लिखा, “कल तक जो शेखी बघार रहे थे कि 1992 के दंगों से मुंबई को शिवसेना ने बचाया, उसी दंगो के लिए आज उद्धव ठाकरे मुस्लिम समाज से माफ़ी मांगते हुए दिख रहे है।” ऐसे एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

दरअसल, मुंबई में दिसंबर 1992 से जनवरी 1993 के बीच सांप्रदायिक दंगे हुए थे जिसमें करीब 900 लोगों की जान गई थी. वायरल कटिंग में इसी 1992 दंगों का जिक्र किया गया है.

मगर आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि “राष्ट्रीय उजाला” नाम के अखबार ने ऐसी कोई खबर नहीं छापी है. उद्धव ठाकरे ने भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया है.

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कैसे पता चली सच्चाई?

अगर उद्धव ठाकरे की मुस्लिम नेताओं और इस्लामिक विचारकों के साथ ऐसी कोई बैठक हुई होती, या उन्होंने ऐसा कोई बयान दिया होता तो इसको लेकर महाराष्ट्र और राष्ट्रीय मीडिया में खबरें जरूर छपती. मगर खोजने पर हमें ऐसी कोई विश्वसनीय खबर नहीं मिली.

हमने देखा कि वायरल कटिंग में अखबार का नाम “राष्ट्रीय उजाला” और संवाददाता का नाम “प्रणव डोगरा” लिखा हुआ है. इस जानकारी के साथ खोजने पर हमें नोएडा से छपने वाला “राष्ट्रीय उजाला” नाम का एक अखबार मिला. हमने इस अखबार से संपर्क किया. राष्ट्रीय उजाला के निदेशक ज्योति नारायण ने आजतक से बातचीत में बताया कि उनके अखबार में ऐसी कोई खबर नहीं छपी है और उनके अखबार के नाम से शेयर हो रही ये कटिंग फर्जी है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि उनका अखबार सिर्फ ई-पेपर के तौर पर आता और उसकी कॉपी छपना काफी पहले बंद हो चुकी है.

राष्ट्रीय उजाला ने अपने फेसबुक पेज के जरिये भी इस कटिंग को फर्जी बताया है और ये भी कहा है कि प्रणव डोगरा नाम के रिपोर्टर का भी उनके अखबार से कोई संबंध नहीं है.

हमने इसके बाद शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी से वायरल दावे के बारे में बात की. उन्होंने आजतक को सीधे तौर पर कहा कि उद्धव ठाकरे की इस तरह की कोई मीटिंग मुस्लिम नेताओं के साथ नहीं हुई है. उन्होंने बीजेपी पर झूठी खबरें शेयर करने का आरोप भी लगाया है. हमने देखा कि सोशल मीडिया पर यही दावा एक मराठी अखबार की कटिंग के साथ भी शेयर किया जा रहा है. शिवसेना (यूबीटी) ने उस खबर को भी फर्जी बताया है.

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हमने इसके बाद इस्लामिक स्कॉलर सज्जाद नोमानी की टीम से भी संपर्क किया. उनकी टीम ने भी यही कहा कि सज्जाद नोमानी की उद्धव ठाकरे के साथ ऐसी कोई बैठक नहीं हुई है.

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