दस नवंबर की शाम जब दिल्ली बम धमाके से पूरा देश दहल गया, तो हर कोई मोबाइल या टीवी पर इस सनसनीखेज घटना से जुड़ी पल-पल की जानकारी ले रहा था. सबको बेसब्री थी ये जानने की कि इसके पीछे आखिर हाथ किसका है? सफेद रंग की जिस i20 कार में लाल किले के पास धमाका हुआ उसे चला कौन रहा था?
तभी तमाम न्यूज चैनल पर मुख्य आरोपी डॉ. उमर उन नबी की फोटो दिखाई जाने लगी. अभी तक ये माना जा रहा है कि धमाके का मुख्य आरोपी उमर ही था जिसके शरीर के परखच्चे भी धमाके के साथ उड़ गए. जांच एजेंसियां पुलवामा में उमर के परिवार तक पहुंच चुकी हैं. उसकी मां के डीएनए के साथ धमाके की जगह पर मिले शरीर के टुकड़ों को मिलाकर इस बात की पुष्टि की जाएगी कि जिस कार में ब्लास्ट हुआ उसे डॉ. उमर ही चला रहा था.
छोटे बाल, करीने से दाढ़ी कटी हुई दाढ़ी और स्टाइलिश ट्रांस्पैरेंट फ्रेम वाला चश्मा. न्यूज चैनल्स पर दिखाई जा रही फोटो को देखकर लोगों को यकीन नहीं हो रहा कि ये शख्स, जो पेशे से एक डॉक्टर था, जिसका काम बीमार लोगों को नया जीवन देना होता है वो दस से ज्यादा लोगों के लिए मौत का दूत कैसे बन गया.
लेकिन कश्मीर में ही, अपने घर में टीवी पर दिल्ली धमाकों की खबर देख रहे एक रिटायर्ड मेडिकल प्रोफेसर आरोपी के तौर पर उमर की फोटो देख कर दुखी तो थे - लेकिन बहुत ज्यादा हैरान नहीं.
वजह ये कि उन्होंने तीन साल पहले ही डॉ. उमर उन नबी का वो चेहरा देख लिया था जिससे दुनिया अब वाकिफ हो रही है. यही नहीं, प्रोफेसर गुलाम जीलानी रूमशू उन चार लोगों में शामिल थे जिन्होंने डॉ. उमर को अनंतनाग के मेडिकल कॉलेज से निकाला था. वजह थी एक मरीज की अस्पताल में मौत.
मरीज की मौत बनी थी करियर का अंत
बात साल 2023 की है. डॉ. उमर उन नबी, अनंतनाग के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजिडेंट के तौर पर काम कर रहा था. उसने एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से की थी. उसके बाद तीन साल की सीनियर रेजिडेंसी करने अनंतनाग मेडिकल कॉलेज आया था जहां डॉ. गुलाम जीलानी उसके प्रोफेसर थे. उमर उन्हीं के विभाग जनरल मेडिसिन में काम करता था.
लेकिन जल्दी ही डॉ. उमर के खिलाफ तमाम शिकायतें आने लगीं. साथ के दूसरे डॉक्टर, पैरा-मेडिकल स्टाफ और यहां तक कि मरीज भी लगातार ये शिकायत करने लगे कि डॉ. उमर अकसर बदतमीजी करते हैं और मरीजों पर ध्यान नहीं देते. ये भी शिकायत आने लगी कि वो अकसर अस्पताल से गायब रहते हैं.
दिल्ली धमाकों का मुख्य आरोपी घोषित होने के बाद जब मीडिया उमर के घर पुलवामा के कोइल गांव पहुंची तब उसकी भाभी मुजम्मिल ने बताया कि उमर बच्चों से बहुत प्यार करता था और घर में बंद होकर बस पढ़ाई में लगा रहता था.
लेकिन उसके ही विभाग के प्रोफेसर रहे डॉ. गुलाम जीलानी रूमशू ने आजतक फैक्ट चेक को बताया कि हद तब पार हो गयी जब अस्पताल में उसकी वजह से एक मरीज की जान चली गई.
हुआ असल में ये कि डॉ. उमर की देखरेख में एक मरीज भर्ती था जिसकी हालत गंभीर थी. लेकिन उमर मरीज को छोड़कर ड्यूटी से कहीं गायब हो गया और इसी बीच मरीज
की हालत और बिगड़ गयी. वहां मौजूद जूनियर डॉक्टर ने उसे बचाने की कोशिश की लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. मरीज के घरवालों ने डॉ. उमर की शिकायत अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट से कर दी. अब मामला सीधे मरीज की मौत का था इसलिए इस गंभीर आरोप की जांच के लिए चार सीनियर डॉक्टरों की एक कमिटी बनायी गयी.
डॉ. गुलाम जीलानी रूमशू के अलावा उस कमिटी में अनंतनाग मेडिकल कॉलेज के तीन और सीनियर डॉक्टर शामिल थे - डॉ. मुहम्मद इकबाल (मेडिकल सुपरिंटेंडेंट), डॉ. मुमताज उद दिन वानी (जनरल सर्जरी) और डॉ. संजीत सिंह रिसम (डेंटिस्ट्री). आजतक ने इन सभी डॉक्टरों से बात करने की कोशिश की लेकिन बाकी लोगों ने इस बारे में हमें ज्यादा कुछ बताने से इंकार कर दिया.
डॉ. जीलानी ने बताया कि उमर ने ड्यूटी से गायब रहने की बात से साफ इंकार कर दिया. लेकिन जब सीसीटीवी फुटेज निकाली गयी तो उसके झूठ की पोल तुरंत खुल गयी. उन्होंने कहा कि सबसे हैरानी की बात ये थी कि जांच के दौरान कई बार बुलाने के बाद भी वो कमिटी के सामने अपनी सफाई देने के लिए नहीं आया. अंत में कमिटी ने उसे अनंतनाग मेडिकल कॉलेज से निकालने की सिफारिश की जिसे प्रिंसिपल ने मान लिया. 2023 में ही लापरवाही से मरीज की मौत के आरोप में डॉ. उमर को अस्पताल से निकाल दिया गया.
खबरों के मुताबिक डॉ. उमर उन नबी, अनंतनाग के अस्पताल से निकाले जाने के बाद 2023 में ही फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल प्राइवेट यूनिवर्सिटी में आ गया. बीमारों की जान बचाने की पढ़ाई करने वाला निर्दोष लोगों की जान लेने का आरोपी कब, कैसे और क्यों बन गया ये तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा.
बालकृष्ण / ज्योति द्विवेदी