क्या है विदेश यात्रा के समय पुतिन के साथ दिखने वाला ब्रीफकेस, अंदर कौन सी तबाही बंद है?

हाल में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के पास दिखे एक ब्रीफकेस की बात हो रही है. चीन की यात्रा के दौरान पुतिन की आर्मी ये ब्रीफकेस थामे दिखी, जो असल में न्यूक्लियर पेटी है. इसमें परमाणु अटैक का कोड होता है ताकि वे कहीं से भी कमांड देकर हमला कर सकें. अमेरिकी राष्ट्रपति के पास भी चमड़े का ऐसा ही ब्रीफकेस दिखता है.

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रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने हाल में चीन की यात्रा की. सांकेतिक फोटो (AP) रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने हाल में चीन की यात्रा की. सांकेतिक फोटो (AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST

एक तरफ हमास-इजरायल के बीच जंग को लगभग 2 हफ्ते हुए, वहीं दूसरी तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध डेढ़ साल से चल रहा है. इस बीच रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने चीन का दौरा किया. इस यात्रा के काफी खतरनाक मतलब निकाले जा रहे हैं, जिसकी वजह है पुतिन के साथ एक ब्रीफकेस का दिखना. चेगेट नाम से जानी जाती ये पेटी रूसी प्रेसिडेंट के हर सफर में साथ होती है. ये कपड़ों या कागजातों की पेटी नहीं, बल्कि न्यूक्लियर पेटी है. 

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क्या है इस ब्रीफकेस की कहानी

सबसे पहले अस्सी के दशक में मिखाइल गोर्बाचेव के समय में ये दिखा. तब सोवियत संघ हुआ करता था. साल 1999 में पुतिन के पास ये ब्रीफकेस आया, तब से ये उन्हीं के पास है. 

कुछ साल पहले रूस के एक टेलीविजन चैनल पर खुद वहां के रक्षा मंत्रालय ने ये ब्रीफकेस दिखाया. कथित तौर पर इसमें कमांड सेक्शन होता है. इसमें दो बटन हैं- लॉन्चिंग के और उसे कैंसल करने के. रूसी भाषा में सूटकेस को चेगेट कहते हैं, जो कि वहां के एक पहाड़ के नाम पर आधारित है. 

कैसे करता है काम

वैसे तो ये सीक्रेट है, लेकिन टीवी पर जो जानकारी दी गई, उसके मुताबिक इसमें भीतर की तरफ इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है. आगे कई बटन्स लगे हुए हैं. सफेद रंग के बटनों को एक के बाद एक दबाते ही न्यूक्लियर हमले का कोड एक्टिव हो जाएगा. अगर इसी बीच उसे रद्द करना चाहें तो लाल बटन भी है. 

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कितना सेफ है ब्रीफकेस

इसका कोड सिर्फ रूसी राष्ट्रपति के पास होता है. फिलहाल ये पुतिन ही जानते हैं. कहा ये भी जाता है कि ऐसे दो और ब्रीफकेस रशियन आर्मी और नेवी के पास भी होते हैं. वैसे तो ब्रीफकेस के किसी और के हाथ लगने की संभावना लगभग नहीं है, लेकिन अगर ऐसा हो तो तुरंत अलार्म बजता है और सेना एक्टिव हो जाती है. 

US के पास है न्यूक्लियर फुटबॉल

अमेरिकी राष्ट्रपति के पास ऐसा ही एक ब्रीफकेस रहता है, जिसे न्यूक्लियर फुटबॉल कहा जाता है. इसका वजन लगभग 20 किलोग्राम है. इसके ऊपर की तरफ एंटीना लगा दिखता है, जिससे ये अंदाजा लगाया जाता रहा कि अंदर सैटेलाइट कम्युनिकेशन का इंतजाम होगा. 

साठ के दशक में अमेरिका ने तैयार किया

साल 1962 में ये ब्रीफकेस बना, जब तत्कालीन अमेरिकी प्रेसिडेंट जॉन एफ कैनेडी ने ये समझना चाहा कि पेंटागन कैसे सुनिश्चित होगा कि हमले का आदेश प्रेसिडेंट ने ही दिया. तब उसके क्यूबा और रूस दोनों के साथ रिश्ते काफी खराब चल रहे थे, और न्यूक्लियर हमलों के खतरे की बात होती रहती थी. 

न्यूक्लियर फुटबॉल भी एक नहीं, बल्कि तीन हैं. एक हमेशा राष्ट्रपति के साथ रहता है और यात्रा पर जाने पर आर्मी इसे उनके साथ लेकर चलती है. इसमें भी कोड होता है. 

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यूके में क्या होता है

यूनाइटेड किंगडम के पास अलग इंतजाम है. वहां पद पर आते ही पीएम को एक लेटर लिखना होता है, जिसे लेटर ऑफ लास्ट रिजॉर्ट कहते हैं. पीएम के पद से हटते ही कागज नष्ट कर दिया जाता है, और नए पीएम से लेटर लिखवाया जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें 4 लेटर होते हैं, जो डीकोड किए जाते है. 

भारत में किसके पास है न्यूक्लियर हमले के आदेश का पावर 

भारत में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति कोई ब्रीफकेस लेकर नहीं चलते, न ही न्यूक्लियर हमले का उनके पास सीधा अधिकार होता है. ये काम न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी देखती है. अथॉरिटी के दो हिस्से होते हैं, जिसमें एक भाग का लीडर पीएम, जबकि दूसरे को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार देखते हैं. तीनों सेना प्रमुख भी इससे जुड़े होते हैं. ये सभी मिलकर तय करते हैं कि हमला किया जाए, या नहीं. हालांकि आखिरी सहमति पीएम ही देते हैं.

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