शराब कैसे युवाओं के लिए पार्टी सिंबल बन गई? हेल्थ एक्सपर्ट और मनोचिकित्सक इसकी रेड लाइन क्या मानते हैं

क्या लोग शराब के नशे में चूर होकर वो गलतियां कर रहे हैं, जो वो वैसे नहीं करते हैं? सवाल ये है कि क्या शराब पीकर वे अपनी ही बेवकूफी से अपनी हालत और ज्यादा खराब खुद करते हैं? जवाब हां है और इसे सुधारा जा सकता है. कैसे, यही जानने के लिए हमने कई एक्सपर्ट से बात की है, शराब के पीछे के विज्ञान को समझने का प्रयास किया है.

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शराब का बढ़ता ट्रेंड (फोटो-AFP) शराब का बढ़ता ट्रेंड (फोटो-AFP)

सुधांशु माहेश्वरी

  • नई दिल्ली,
  • 06 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:46 PM IST

2022 का आखिरी दिन, काला दिन साबित हुआ. वो मनहूस रात जब 20 साल की अंजलि देर रात अपने घर वापस जाने के लिए निकली थी. उसे क्या पता था कि वो उसका आखिरी सफर होने वाला है, जिसमें बेइंतहा दर्द होगा. नशे में चूर पांच युवक गाड़ी चलाएंगे, सड़क पर फुल स्पीड में भगाएंगे और अंजलि को अपने साथ घसीटते हुए ले जाएंगे. क्या हो गया है आज की नौजवान पीढ़ी को? नशा करते हैं, पहली गलती, शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं, दूसरी गलती, गाड़ी में तेज म्यूजिक चला इसे पब बना डालते हैं, तीसरी गलती. ऐसी बेसुध जिंदगी जीते हैं कि पता ही ना चले कि गाड़ी के नीचे किसी की जान फंसी है और ये भगाते चले जाएं.

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अब इन युवकों की पूरी गलती है, कह लीजिए अपराध है, पुलिस जांच कर रही है, बेटी को न्याय मिल जाएगा, लेकिन सवाल आज दूसरा है. नहीं करनी इस पर बहस कि शराब पीना कितना गलत है, कितना सही है. नहीं करनी इस पर बहस कि शराब पीने वाले लोग गलत हैं, ना पीने वाले महान. सवाल तो ये है कि क्या लोग शराब के नशे में चूर होकर वो गलतियां कर रहे हैं, जो वो वैसे नहीं करते हैं? सवाल ये है कि क्या शराब पीकर वे अपनी बेवकूफी से अपनी हालत और ज्यादा खराब खुद करते हैं? जवाब हां है और इसे सुधारा जा सकता है. कैसे, यहीं जानने के लिए हमने कई एक्सपर्ट से बात की है, शराब के पीछे के विज्ञान को समझने का प्रयास किया है.

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शराब के पीछे का विज्ञान क्या है, कैसे होता है असर?

साल 2019 में AIIMS की एक स्टडी सामने आई थी, उसमें बताया गया था कि भारत में कुल 16 करोड़ लोग शराब पीते हैं, वहां भी 5.7 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें इस शराब की लत लग चुकी है, यानी कि वे इसके सेवन के बिना नहीं रह पाते हैं. 1.6% महिलाओं की तुलना में 27.3% पुरुष में शराब की लत ज्यादा देखी जाती है. अब क्यों लोगों को शराब इतनी रास आ रही है, ऐसा क्या केमिकल लोचा होता है कि कोई लत वाली लेवल तक इसका सेवन करता है तो कोई ओकेशनल के नाम पर दो से तीन बार पेग लगा लेता है. इस बारे में साइकेट्री की फील्ड में 9 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाले डॉक्टर सतीश कुमार ने बड़ा ही साइंटिफिक जवाब दिया है, जिससे शराब का बॉडी पर पड़ने वाला असर भी समझ आता है और कब ये खतरनाक बन सकती है, इसका भी जवाब मिला है. 

डॉक्टर सतीश कहते हैं कि कौन कितनी शराब ले रहा है, उसी पर डिपेंड करता है कि उसकी बॉडी पर उसका किस तरह से असर पड़ेगा. शराब का सबसे पहले सीधा कनेक्शन आपके Communication Pathways से जुड़ता है. कम्युनिकेशन पाथवेयस आपके दिमाग की एक प्रोसेसिंग सिस्टम है, आप क्या सुन रहे हैं, आप क्या देख रहे हैं, जितनी भी ऐसी चीजें होती हैं, ब्रेन उस सबको पहले समझता है और फिर वो संदेश Frontal Cortex (मस्तिष्क का सामने वाला हिस्सा) को भेज देता है, उसके बाद ही आप कोई भी काम कर पाते हैं. सरल शब्दों में समझे तो शराब के सेवन के बाद सबसे पहले आपके नॉर्मल मूवमेंट पर असर पड़ता है, फिर चाहे वो चलना हो, गाड़ी चलाते समय ब्रेक लगाना हो या फिर किसी से बात करना हो.

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(AFP)

इसी बात को आगे बढ़ाते हुए गुरुग्राम के वरिष्ठ साइकेट्रिस्ट डॉक्टर अनिल यादव ने भी बड़ी काम की बात बताई है. वे कहते हैं कि शराब को अगर बिल्कुल सरल शब्दों में समझना हो तो ये एक नींद की दवाई की तरह काम करती है. शराब की ये टेंडेंसी रहती है कि ये शुरुआत में आपको अच्छी लगेगी, अच्छा फील करवाएगी. लेकिन सारा खेल अमाउंट का होता है, जो लोग ज्यादा शराब का सेवन करते हैं, उनकी टॉलरेंस लेवल ज्यादा बन जाती है, लेकिन जो कभी कभार ड्रिंक करते हैं, उन पर शराब का नशा ज्यादा हिट कर सकता है. हर तरह की बॉडी अलग तरह से रिस्पॉन्ड करती है.

शराब पीने की कई स्टेज... जानिए कब खतरा बड़ा

लेकिन कुछ ऐसे साइन भी होते हैं जो शराब के सेवन के बाद हर शख्स में दिख सकते हैं. फिर ये मायने नहीं रखता कि आपने कम सेवन किया है या ज्यादा. इस बारे में डॉक्टर एमके जैन बताते हैं कि आप कम पीजिए या ज्यादा, शराब का बॉडी पर असर दिखेगा ही. आपकी सोचने की क्षमता प्रभावित होगी, आपको गुस्सा जल्दी आएगा. आप एक तरह से अलग ही पर्सनालिटी बन जाएंगे. अब एक सवाल मन में उठता है कि अगर शराब का असर हर किसी पर पड़ता है तो ऐसा क्यों होता है कि कुछ लोग इसके सेवन के बाद बिल्कुल शांत बैठ जाते हैं और कुछ हाइपर एक्टिव नजर आने लगते हैं. अब कोई आम आदमी तो यहीं समझेगा कि किसी ने ज्यादा पी है, इसलिए वो ज्यादा कूद रहा है, कम पी है, इसलिए शांत है. लेकिन शराब की इस साइंस को समझना इतना भी सरल नहीं है. असल में एक नहीं कई स्टेज होती हैं, अलग-अलग स्टेज पर शराब का अलग असर देखने को मिलता है. अगर इस बारे में आपको पूरी जानकारी होगी तो आप और समझदारी से अपने फैसले ले पाएंगे. इन्हीं स्टेज के बारे में डॉक्टर सतीश ने विस्तार से बताया है.

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वे बताते हैं कि अगर आपकी बॉडी में Blood Alcohol Concentration (BAC) 0.01 से 0.05 के बीच में रहता है तो इसे हम Subliminal Intoxication वाली स्टेज कहते हैं. एक पेग लेने के बाद ही आप इस वाले स्टेज में एंट्री कर जाते हैं. ज्यादा कुछ नहीं होता है, आपके जजमेंट और रिएक्शन टाइम में थोड़ा बदलाव आता है. इस स्टेज पर इंसान खुद को काफी आत्मविश्वास से भरा मानता है. इसे ड्रिंकिंग की permissible limit (सही लिमिट) कहते हैं. इसके बाद दूसरी स्टेज आती है जिसे Euphoria कहा जाता है, इसमें ब्लड में Blood Alcohol Concentration 0.03 से लेकर 0.12 तक हो जाता है, बॉडी में Dopamine हॉरमोन जनरेट होता है. इस वजह से इंसान खुद को काफी रिलेक्स महसूस करता है. लेकिन जजमेंट, सोचने-समझने की शक्ति और आपके रिसपॉन्स सिस्टम पर असर पड़ने लगता है. मेमोरी भी आपकी थोड़ी लॉस्ट होने लगती है. यहां ये बता दूं कि ड्रिंक एंड ड्राइव की सही लिमिट भी 0.08 मानी जाती है, ये लीगल लिमिट है.

अब इन दो स्टेज तक शराब पीने के बाद भी स्थिति कंट्रोल में रहती है. लेकिन जब इसी लिमिट को क्रॉस किया जाता है, यानी कि जब आप तीसरी स्टेज पर जाते हैं, तब खतरे की घंटी बज जाती है. इसी स्टेज से लोगों को बचना भी चाहिए और आगे सेवन नहीं करना चाहिए. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए डॉक्टर सतीश कहते हैं कि जब आप तीसरी स्टेज पर आते हैं तब बॉडी में शराब की लेवल 0.09-0.25 तक हो जाती है. इसे 'स्टेज ऑफ एक्साइटमेंट' कहते हैं. इस स्टेज पर शराब पीकर जो भी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं, वो सब स्पष्ट रूप से दिखने लग जाती हैं. आपका विजन धुंधला होने लगता है, आपकी सुनने की शक्ति पर असर होता है, आप किसी की भी बात को ठीक तरीके से नहीं सुन पाते हैं, आप ठीक तरह से किसी से बात नहीं कर पाते हैं, आपकी आवाज टूटने लगती है. आप अपने शरीर पर कंट्रोल खोने लगते हैं. ये वाली स्टेज अनुमेय सीमा से भी ऊपर है. अगर कोई इतनी शराब पी लेगा तो वो हार्श ड्राइविंग करेगा यानी कि उसका पूरी तरह खुद पर नियंत्रण नहीं होगा. इसके बाद Confusion वाला स्टेज शुरू हो जाता है जहां पर BAC 0.18-0.3 तक पहुंच जाता है. ये बहुत खतरनाक स्टेज है. ब्लैकआउट होने लगता है, आप किसी भी हालत में ड्राइव कर ही नहीं सकते हैं. 

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डॉक्टर सतीश की बातों से साफ है कि स्टेज 3 सबसे ज्यादा मायने रखती है जब आप पूरे विश्वास में तो होते हैं, लेकिन आपका शरीर आपके कंट्रोल में नहीं रहता. ना आप सही फैसला ले सकते हैं, ना आप ठीक से चल सकते हैं, ना आप किसी से बात कर सकते हैं. अगर कोई खुद को इस वाली स्टेज पर पहुंचा रहा है, तो ये एक बड़ी गलती है. अपने खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने के समान है. अब शराब का शरीर पर किस तरह से असर पड़ता है, कौन-कौन सा स्टेज होता हैं, ये तो समझ में आ गया. लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जो कभी भी ड्रिकिंग के खतरनाक स्टेज पर नहीं जाते हैं. उन्हें हम ओकेशनल ड्रिंकर भी कह सकते हैं जो कभी-कभार मौके के हिसाब से पीते हैं, लेकिन लिमिट में. अब डॉक्टरों के मुताबिक ऐसे लोगों की शराब को लेकर टॉलरेंस लेवल कम होती है, ऐसे में इन्हें कम इनटेक भी ज्यादा हिट कर सकता है. सवाल उठता है कि क्या इस नशे को किसी तरह से कम किया जा सकता है? या वो कौन सी बाते हैं जिनका ध्यान रख आप खुद को ज्यादा कंट्रोल में रख सकते हैं, ऐसी स्थिति में जहां ना खुद शर्मिंदगी हो ना ही किसी दूसरे को. इस सवाल का जवाब मिला है. हर डॉक्टर ने इस पर अपनी एक्सपर्ट एडवाइज दी है.

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Occasional Drinker हैं? आपके लिए क्या सही

डॉक्टर एमके जैन के मुताबिक कई लोग गलती करते हैं कि वे हमेशा शराब को खाली पेट पीते हैं. वे सिर्फ पीने पर अपना फोकस रखते हैं, लेकिन ऐसा करना सेहत के लिए ज्यादा नुकसानदायक है. वे जोर देकर कहते हैं कि अगर ड्रिंक करने के दौरान आप कुछ ना कुछ थोड़ा खाते रहे, उस स्थिति आपको नशा तेजी से नहीं चढ़ता है. एमके जैन इस बात को भी बड़ी प्रमुखता से कहते हैं कि आप एक ड्रिंक पिएं या फिर दो, लेकिन पीकर गाड़ी चलाना एक बड़ा NO है. ये रिस्क किसी भी कीमत पर नहीं लिया जा सकता है. डॉक्टर अनिल यादव भी इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि कभी भी आपको शराब जैसी ड्रिंक स्पीड में नहीं पीनी चाहिए. अमाउंट तो मायने रखती ही है, लेकिन जितना स्लो रखेंगे, उतना आपके लिए बेहतर. डॉक्टर अनिल ये भी मानते हैं कि शराब के सेवन के बाद अगर कोई ज्यादा शारीरिक गतिविधियों में शामिल होता है, तो उसका नशा भी बढ़ेगा और शराब का असर उस पर हावी होने लगेगा. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जो लोग पार्टियों में शराब के सेवन के बाद खूब डांस करते हैं, लगातार उछलते-कूदते रहते है, उन पर शराब का असर ज्यादा रहता है. ऐसे में जिसकी बॉडी जिस तरह से रिस्पॉन्ड करती है, उसे उतना ही डांस करना चाहिए या कह लीजिए शारीरिक गतिविधियों में शामिल होना चाहिए.

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क्या शराब के नशे को कम किया जा सकता है?

अब डॉक्टर सतीश दोनों एमके जैन और अनिल यादव से थोड़ी अलग राय रखते हैं. उनके मुताबिक नशे को कभी भी मिनिमाइज नहीं किया जा सकता है. शराब का सेवन किया है तो उसका असर दिखना ही है. लेकिन कभी-कभार ड्रिंक करने वाले लोगों को डॉक्टर सतीश ने एक काफी प्रैक्टिकल समाधान दिया है. वे कहते हैं कि अगर आपको पता है कि आप ज्यादा ड्रिंक नहीं करते हैं या आपकी टॉलरेंस लेवल उतनी नहीं है, हमेशा कोशिश कीजिए कि अपने साथ एक ड्राइवर रखें जो आपके लिए गाड़ी चला सके. अगर ड्राइवर नहीं है तो एक नॉन ड्रिंकर फ्रेंड को जरूर साथ लेकर जाएं. वरना एक कैब के जरिए भी जाया जा सकता है. ये लोगों को नहीं भूलना चाहिए कि अगर आप थोड़ी भी शराब पी रहे हैं तो उसका असर आपके शरीर पर पड़ रहा है. आपका रिस्पॉन्स टाइम खराब हो जाता है. गाड़ी चलाते समय तो आप देखकर भी ठीक टाइम पर रिस्पॉन्ड नहीं कर पाते हैं. डॉक्टर सतीश ये भी मानते हैं कि शराब के नशे को किसी भी तरह से कम नहीं किया जा सकता है. उनकी माने तो ड्रिंक के बाद पर्याप्त रेस्ट मिलना ही मायने रखता है. कोई ऐसी मेडिसन नहीं है जो आपके शराब के नशे को कम कर सकती है.

शराब पीने के बाद क्या चीजें नहीं करनी चाहिए?

अब शराब के नशे को कम नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ चीजों से बचा जरूर जा सकता है. डॉक्टर अनिल यादव ने ड्रिंकर्स के बिहेवियर को काफी करीब से समझने की कोशिश की है. उस बारे में वे बताते हैं कि शराब का सेवन करने के बाद देखा गया है कि इंसान काफी ज्यादा हाइपर एक्टिव हो जाता है. ऐसी स्थिति में आपको किसी को भी फोन करने से बचना चाहिए. आपका ड्रिंक लेने के बाद लंबी बातचीत का मन जरूर कर सकता है, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. इसी तरह से शराब के नशे में कभी भी किसी के साथ शारीरिक संबंध ना बनाएं.

शराब पीने की कोई सही लिमिट?

एक जरूरी सवाल और खड़ा होता है, क्या शराब पीने की कोई सही लिमिट होती है. मतलब कौन से स्टेज पर क्या होता है, ये जान लिया गया है, शराब का बॉडी पर कैसे असर पड़ता है, ये जानकारी भी ले ली गई है, लेकिन क्या ये तय किया जा सकता है कि कितनी शराब पीना ठीक रहेगा? डॉक्टर एमके जैन ने इसका जवाब देने का प्रयास किया है. वे मानते हैं कि शराब हर बॉडी पर अलग असर दिखाती है. लोगों को अपनी टॉलरेंस लेवल खुद पता होनी चाहिए. विवेक का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी हो जाता है. अगर आप कहीं बाहर किसी पार्टी में जा रहे हैं, या अपने घर से दूर हैं तो जरूर ज्यादा ड्रिंक नहीं कर सकते हैं. आप अगर अपने घर में हैं या एक ऐसे कंट्रोल माहौल में जहां सबकुछ आपके अनुकूल है, वहां पर थोड़ी छूट ले सकते हैं.

शराब का कोई फायदा, क्या कहती Medical Science?

वैसे शराब पीने का लोग कोई ना कोई तर्क ढूंढ ही लेते हैं. कई लोगों को ऐसा कहते सुना गया है कि ठंड के मौसम में शराब पीनी चाहिए, दवाई का काम करती है. शरीर में गर्मी आती है. कई लोग तो दूसरे देशों का भी उदाहरण देने लग जाते हैं. इस एक तर्क के सहारे कई बार जरूरत से ज्यादा ड्रिंक कर लिया जाता है. अब फिर यहां पर शराब पीने वालों को जज नहीं किया जा रहा है, लेकिन ये जानना जरूरी हो जाता है कि क्या शराब का मेडिकल साइंस में कोई फायदा भी है? क्या इसे लेकर कोई रिसर्च हुई है? इस बारे में डॉक्टर सतीश कहते हैं कि अल्कोहल एक तरह का 'Energy Producing Substance' है. अल्कोहल भी उन्हीं चीजों से बनती है, जिससे एनर्जी बनती है. ऐसे में होता ये है कि जब कोई शराब का सेवन करता है तो उसकी बॉडी में जो भी एनर्जी बनती है, वो पूरी तरह हीट के रूप में बाहर निकल जाती है. वहीं अगर आप कोई नॉर्मल खाना खाते हैं जैसे कार्बोहाइड्रेट वाली कोई चीज, तो उससे भी आपके शरीर में एनर्जी तो बनती है, लेकिन तब उस एनर्जी का कुछ हिस्सा आपके सेलों के पास भी जाता है जो आपकी ओवरऑल ग्रोथ में जरूरी रहता है और एनर्जी का बचा हुआ हिस्सा हीट के रूप में बाहर निकलता है. लेकिन अल्कोहल के साथ दिक्कत ये रहती है कि सारी की सारी एनर्जी हीट के रूप में ही रिलीज हो जाती है और शरीर को कुछ नहीं लगता.

ठंड में शराब पीना ठीक, क्या लॉजिक?

अब जो ठंड में शराब पीने का तर्क दिया जाता है, इसका जवाब भी डॉक्टर सतीश ने दे दिया है. उन्होंने इसके पीछे की साइंस भी सरल शब्दों में समझा दी है. वे बोलते हैं कि शराब पीने के बाद आपको एक गर्माहट का अहसास तो हो सकता है, आपके मन को भी ये संकेत मिलता है कि मुझे ठंड नहीं लग रही है क्योंकि हीट सारी की सारी बाहर की तरफ जा रही है. लेकिन ऐसी स्थिति में बॉडी की जो इंटरनल हीट होती है, वो कॉम्प्रोमाइज हो सकती है. इसी वजह से अगर आप ज्यादा नशे में हैं तो इसके नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल जाएंगे. आपको फ्रॉस्ट बाइट की दिक्कत भी हो सकती है. वैसे बातचीत के दौरान डॉक्टर अनिल यादव ने जरूर इस बात को स्वीकार किया है कि रम, रेड वाइन में कुछ antioxidant पाए जाते हैं, लेकिन सीमित मात्रा में. ऐसे में लोग ठंड का तर्क देकर लगातार शराब का सेवन नहीं कर सकते हैं.

शराब बनाम बीयर की रेस के मायने

इसी शराब को लेकर एक दूसरी डिबेट भी काफी चलती है. लोगों का कहना होता है कि हम शराब नहीं बीयर पीते हैं. वे मानकर चलते हैं कि बीयर में कोई नशा नहीं है, इसलिए उनके शरीर को भी कोई नुकसान नहीं होगा. इसी भरोसे में वे ज्यादा बीयर पीते हैं. अब डॉक्टर अनिल ने ऐसे लोगों को सख्त चेतावनी दी है. उनका कहना है कि अगर कोई लाइट बीयर भी ज्यादा अमाउंट में पीता है, तो उस पर पूरा असर पड़ेगा. लोगों को शायद ये भी नहीं पता है कि बीयर में कुछ दूसरे ऐसे केमिकल भी होते हैं जो सीधे-सीधे आपके पेट पर इफेक्ट डालते हैं, आपका बैली फैट बढ़ाने का काम भी ये बीयर ही करती है. यानी कि 'Excess of anything is bad'.

पार्टी का मतलब शराब, शराब का मतलब पार्टी

अब कहने को 'किसी भी चीज की अति' वाली कहावत सभी समझते हैं, लेकिन इस देश में जब बात शराब की आती है, दोस्तों के साथ जाम लगाने की आती है, तो ये सभी बातें हवा-हवाई हो जाती हैं. इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो यही है कि अब देश में ज्यादातर पार्टियां बिना शराब के अधूरी मानी जाती हैं. पहले लोगों के लिए स्टैटस सिंबल दूसरे हुआ करते थे, लेकिन अब जब तक किसी पार्टी में शराब का पूरा आयोजन ना किया जाए, लोग दूसरों को जज करने लग जाते हैं. होली का त्योहार है, तो शराब पीनी है, दिवाली आई है, इस खुशी में बोतल खुलती है, नए साल आने वाला है, अब तो पीना लाजिमी हो गया है. इन्हीं सब तर्कों के साथ शराब का नाता पार्टियों के साथ अटूट बनता जाता है. ये कोई शुभ संकेत नहीं है, बल्कि एक चिंताजनक ट्रेंड है. इस बारे में अपने विचार रखते हुए डॉक्टर अनिल यादव बताते हैं कि देश पश्चिमी संस्कृति से बहुत ज्यादा प्रभावित चल रहा है. वहां के लोग अपनी संस्कृति शायद इतनी अब फॉलो नहीं कर रहे हैं, लेकिन भारत में जरूर इसका असर बढ़ने लगा है. कहीं ना कहीं जिस प्रकार की फिल्में अब बनने लगी हैं, उन्होंने भी लोगों के माइंडसेट पर असर डाला है, कुछ धारणाएं बना दी हैं.

इसी ट्रेंड को डॉक्टर सतीश थोड़े अलग नजरिए से देखते हैं. वे मानते हैं कि पार्टियों में जो शराब का चलन बढ़ता चला गया है, ये चिंताजनक है. इस बारे में वे कहते हैं कि जब भी आप किसी पार्टी में शराब का सेवन करते हैं, तब आपका माइंड वो पार्टी एन्जॉय नहीं कर रहा होता है, बल्कि एक एलियन बॉडी सब फील कर रही होती है क्योंकि यहां पर शराब भी एक तरह की एलियन ही है. मतलब ये कि फ्री माइंड के साथ जो पार्टी आप एन्जॉय करेंगे, उसका असर आप पर ज्यादा दिनों तक रहेगा, आप उसे कई दिनों तक याद भी रखेंगे, लेकिन शराब के नशे में जब आप कोई पार्टी करते हैं, तो सबकुछ धुंधला रहता है, लंबे समय तक वो यादें आपके साथ भी नहीं रहती हैं.

(Reuters)

शराब का खतरनाक अनुभव और एक सीख

इन बातों का सार यही है कि आप शराब को खुद पर हावी होने की अनुमति ना दें, बल्कि शराब को आप खुद गाइड करें. सारी ताकत आपके हाथ में रहनी चाहिए. अब जो ये बात समझ लेता है, वो पहले शराब का सेवन कम करता है, फिर अगर स्थिति बहुत अनुकूल बनी तो वो इससे पूरी तरह मुक्त भी हो जाता है. इस समय इसी राह पर चल रहे हैं शुभम. 27 साल के हैं, एक समय बहुत शराब पीते थे. एडिक्ट बन चुके थे, लेकिन अब वे अपनी जिंदगी को बदलने की ठान चुके हैं. अपने अनुभव के बारे में शुभम कहते हैं कि मुझे इस बात का अहसास हो चुका है कि शराब एक तरह का 'Guilty Pleasure' है. ये कुछ समय की खुशी तो देता है, लेकिन फिर कई बार पछतावा भी करना पड़ता है. एक पुराने किस्से के बारे में शुभम बताते हैं कि मैंने हैवी ड्रिंकिंग के बाद अपने ही दोस्त पर बोतल फेंक दी थी. उसे काफी चोट आई, मैं उसकी किसी बात से नाराज हो गया और कुछ ट्रिगर हुआ और मैंने अटैक कर दिया. लेकिन जब अगले दिन होश में आया तो कई बार उससे माफी मांगी. लेकिन मैंने वो दोस्ती हमेशा के लिए गंवा दी. शुभम कहते हैं कि लोगों को शराब पीने की जल्दी होती है, लेकिन अगर वे कभी बोतल के नीचे लिखी एक लाइन को पढ़ लेंगें तो कभी गलत कदम ना उठाएं. कई बोतलों पर नीचे लिखा होता है- Enjoy Responsibly. बस इतना समझ जाएंगे तो पीकर कभी ड्राइव भी नहीं करेंगे, किसी से मारपीट भी नहीं होगी और आपको पूरी जिंदगी कई बातों का मलाल नहीं करना पड़ेगा.


 

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