आमतौर पर भक्त मंदिरों में अपनी आस्था से दान-दक्षिणा करते हैं, लेकिन कई बार इसमें चूक भी हो जाती है. ऐसी ही एक गलती तमिलनाडु के अरुलमिगु कंदस्वामी मंदिर में एक भक्त से हुई. दान करते हुए गलती से उसका आईफोन भी हुंडियाल यानी डोनेशन बॉक्स में गिर गया. वह उसे वापस लेना चाहता है, लेकिन मंदिर एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, अब इसपर उसका कोई हक नहीं. हां, अगर वो चाहे तो इसका डेटा जरूर दिया जा सकता है. इस अजीबोगरीब मामले के बीच देश में दान से जुड़े नियम-कानून का भी जिक्र हो रहा है.
सारी ही दुनिया के धर्म स्थलों पर डोनेशन के लिए कई कानून होते हैं ताकि उनका सही मैनेजमेंट हो सके, हमारे यहां भी ऐसा ही है. लेकिन कई बार यही नियम मुश्किल ला देते हैं, जैसा हालिया मामले में दिख रहा है. यहां गलती से दानपात्र में गिरी चीज भी दान ही मानी जा रही है. जानें, क्या हैं दक्षिण से लेकर उत्तर तक दान से जुड़े नियम.
इसके लिए कई कानून हैं
- भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882 के तहत, मंदिरों को चैरिटेबल और धार्मिक ट्रस्ट की तरह देखा जाता है, जो दान और चंदे का मैनेजमेंट करते हैं. कानून ट्रस्ट के कामकाज, ट्रस्टी की जिम्मेदारी और दान का क्या इस्तेमाल हो, ये देखता है.
- हिंदू धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट अधिनियम कुछ खास राज्यों के लिए है, जैसे दक्षिण में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में. यहां मंदिरों में दान का सही उपयोग हो सके, इसके लिए राज्य ही बोर्ड बना देती है.
- धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट अधिनियम के तहत टेंपल्स को मिलने वाले डोनेशन के लिए पक्का किया जाता है कि वो चैरिटी में ही उपयोग हो.
- कई राज्यों में मंदिरों और धार्मिक ट्रस्टों के मामलों के लिए विशेष आयोग होते हैं, जैसे महाराष्ट्र राज्य मंदिर समिति. यह चढ़ावा और अन्य धार्मिक गतिविधियों के प्रबंधन और निगरानी के लिए जिम्मेदार है.
- फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट भी है, जिसमें मंदिरों को अगर विदेशों से दान मिले तो इसका रजिस्ट्रेशन जरूरी है.
भगवान की संपत्ति मान लिया जाता है
दान आमतौर पर अपनी इच्छा से दिया जाता है. हिंदू धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट अधिनियम के तहत इसकी वापसी संभव नहीं. माना जाता है कि दान ईश्वर को पहुंच चुका, और जो चीज एक बार उनकी हो जाती है, उसे धार्मिक नजरिए से वापस नहीं लेना चाहिए. धन हो, चाहे कोई चीज, वो मंदिर की प्रॉपर्टी हो जाती है, जिसका इस्तेमाल चैरिटी में होता है, या होने की योजना बनाई जाती है.
क्या अतिरिक्त धन दानपात्र में चली जाए तो उसे वापस करने की मांग संभव
अगर किसी ने बहुत ज्यादा डोनेशन दे दिया हो और वो इस बात को साबित कर सके कि उसका इरादा इतने बड़े डोनेशन का नहीं था, तो वो मंदिर एडमिनिस्ट्रेशन से गुजारिश कर सकता है कि वो अतिरिक्त धन वापस लौटा दें. लेकिन जरूरी नहीं कि मंदिर ट्रस्ट इस बात को माने ही, ये पूरी तरह से उसकी मर्जी होगी.
जहां तक मामला आईफोन या इस तरह की चीज का है, जो आमतौर पर मंदिरों में दान नहीं की जातीं, तो इस मामले को कोर्ट तक ले जाया जा सकता है. यहां भी ये साबित करना होगा कि दान का कोई इरादा नहीं था, बल्कि चूक से ऐसा हुआ. मंदिर भी अपने तर्क देगा, उसके बाद फैसला होगा. लेकिन यहां हम दोहरा रहे हैं कि जरूरी नहीं फैसला दानकर्ता के पक्ष में ही हो.
अगर कोई इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत डोनेशन करे तो क्या उसकी वापसी की मांग कर सकता है
दान की वापसी आमतौर पर संभव नहीं. दान स्वैच्छिक यानी अपनी इच्छा से किया माना जाता है. आयकर अधिनियम के तहत सिर्फ इसमें टैक्स में छूट मिलती है. इसकी वापसी पर कोई स्पष्ट बात नहीं.
इनकम टैक्स के तहत हुए दान को रीक्लेम करना चाहें तो कुछ नियम जरूर हैं
- अगर दानकर्ता ये साबित कर सके कि उससे धोखा देते हुए दान लिया गया है तो वो सिविल कोर्ट में इसके लिए केस कर सकता है.
- अगर दान करते हुए कुछ कंडीशन्स तय की गई हों जो दान के बाद पूरी होती न दिखें तो वापसी के रास्ते बन सकते हैं. जैसे किसी ने स्कूल या अस्पताल के लिए दान किया और वो न बने तो दान वापस मांगा जा सकता है.
- दान देने के बाद संस्थान या ट्रस्ट अगर पहले से तय शर्तों को मानने से इनकार कर दे तो कानूनी तौर पर इसे वापस लेने की कोशिश हो सकती है.
यहां ये बात भी है कि अगर दानकर्ता ने इनकम टैक्स में छूट के लिए दान किया हो और फिर उसे वापस लेना चाहे तो छूट अपने-आप खत्म हो जाएगी.
पहले भी आए हैं गलती से दान के मामले
आईफोन का मामला फिलहाल चर्चा में है लेकिन हुंडियाल में गलती से सामान गिरने और उसकी वापसी की मांग नई नहीं. पिछले साल मई में एक ऐसा ही मामला आया था, जिसमें एक महिला भक्त की सोने की चेन दक्षिण के ही एक मंदिर में गिर गई थी. महिला ने उसकी वापसी चाही. मंदिर प्रशासन ने पड़ताल की और सीसीटीवी फुटेज में साफ हो गया कि चेन वाकई गलती से गिरी थी. तब ट्रस्टीज ने अपने खर्च पर उसी वजन और कीमत की नई सोने की चेन उस महिला को भिजवाई.
aajtak.in