क्या है पैरोल-इन प्लेस, जिससे लाखों लोगों को मिल सकती है अमेरिकी नागरिकता, कितने भारतीय कतार में?

अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 10 लाख से ज्यादा पेशेवर भारतीय ग्रीन कार्ड के इंतजार में हैं. दूसरे देशों के लोग भी अमेरिकी नागरिकता के लिए लंबी कतार में हैं. इस बीच राष्ट्रपति चुनावों के ऐन पहले प्रेसिडेंट जो बाइडेन एक बड़ा दांव खेलते दिख रहे हैं जिससे लाखों अप्रवासियों के लिए ग्रीन कार्ड का रास्ता आसान हो जाएगा.

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बहुत से देशों के लोग अमेरिकी नागरिकता चाहते हैं. (Photo- Getty Images) बहुत से देशों के लोग अमेरिकी नागरिकता चाहते हैं. (Photo- Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 जून 2024,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं. इससे ठीक पहले वाइट हाउस ने एलान किया कि बाइडेन प्रशासन आने वाले समय में दस्तावेजों के बगैर रह रहे लोगों को अपने यहां बसने और नागरिकता के लिए आवेदन की इजाजत देगा. इससे 5 लाख से ज्यादा इमिग्रेंट्स को फायदा हो सकता है. इस स्कीम को पैरोल-इन-प्लेस ग्रीन कार्ड कहा जा रहा है. जानिए, ग्रीन कार्ड क्या है, और कितने भारतीय इसका इंतजार रहे रहे हैं. 

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क्यों है नया प्रपोजल चर्चा में

पैरोल इन प्लेस लीगल तरीका है, जिसके तहत बगैर डॉक्युमेंट्स के अमेरिका में रह रहे लोगों और उनके परिवार को बगैर डर देश में रहने की अनुमति मिलती है. इस बीच वे स्थाई नागरिकता के लिए आवेदन भी कर सकते हैं. बता दें कि दस्तावेजों के बिना रहते इमिग्रेंट्स अवैध माने जाते हैं, और अमेरिका तो क्या, कोई भी देश उन्हें स्वीकार नहीं करता है. 

प्रस्तावित स्कीम के तहत उन लोगों को रखा जाएगा, जो किसी अमेरिकी नागरिक से शादी के बाद कम से कम 10 साल अमेरिका में रह चुके हों. या फिर वे बच्चे भी इसके हकदार हो सकते हैं जिनके पेरेंट्स में से किसी ने अमेरिकी सिटिजन से शादी की हो. एक तरह से देखा जाए तो यह मानवाधिकार पैरोल है, जो उन्हें मिलता है जो लोग पहले से ही अमेरिका में रह रहे हैं. ये साढ़े 5 लाख से ज्यादा लोगों को अस्थाई वैधता और काम करने की छूट देगा. इस बीच वे वैधता के लिए ग्रीन कार्ड की मंजूरी भी ले सकते है.

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परिवार को साथ रखने में करेगा मदद

पैरोल-इन प्लेस खासकर उन लोगों के लिए है, जिनके पति या पत्नी गैर-अमेरिकी हैं. दस्तावेज न होने पर वे लंबे समय के लिए अलग रहने को मजबूर होते हैं, जिसका कुल असर प्रोडक्टिविटी पर भी होता है. अब नया प्रस्ताव इस दूरी को पाट सकता है.

 

फिलहाल बाइडेन के इस प्रपोजल को चुनावी स्टंट की तरह भी देखा जा रहा है. वहीं राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि वे सत्ता में आए तो दस्तावेजों के बिना रहते अप्रवासियों को देश से बाहर कर देंगे. बहरहाल सत्ता बनाम विपक्ष के बीच ये बात तय है कि भारत समेत दुनिया के लगभग सारे देशों के लोगों के लिए अमेरिकी ग्रीन कार्ड की अलग ही कीमत है. 

आखिर क्या है ग्रीन कार्ड 

यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस, बाहरी लोगों को, अमेरिका में अनिश्चितकाल तक रहने और काम करने की इजाजत देते हुए एक कार्ड जारी करता है. ये आईडी कार्ड है, जिसे वैध स्थाई निवासी कार्ड भी कहते हैं. यह एक तरह का स्थाई वीजा है, जिसके जरिए आप अमेरिका में जब चाहे आ-जा सकते हैं, या वहीं रहते हुए काम कर सकते हैं. वहीं अल्पकालिक वीजा को तय समय पर रिन्यू करने के लिए आवेदन देना होता है, जो कि रिजेक्ट भी हो सकता है. 

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ग्रीन कार्ड की कैटेगरी

- फैमिली बेस्ड ग्रीन कार्ड के तहत अमेरिकी नागरिक का परिवार, जैसे पत्नी या पति, 21 साल से कम उम्र के गैर-शादीशुदा बच्चे और अमेरिकी सिटिजन के पेरेंट्स आते हैं. 

- रोजगार के आधार पर भी ग्रीन कार्ड बनते हैं. इसमें भी कई श्रेणियां हैं, जैसे प्रोफेशनल्स से लेकर इनवेस्टर जिनकी वजह से दूसरों को रोजगार मिले.
 
- रिफ्यूजी स्टेटस मिलने के सालभर के बाद भी लोग ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं. 

- जिन देशों के लोगों का अमेरिकी में इमिग्रेशन कम है, उन्हें ज्यादा से ज्यादा लेने के लिए भी एक कैटेगरी है, जिसे डायवर्सिटी लॉटरी कहते हैं. 

- किसी हिंसा या ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शिकार हो चुके लोग भी ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसमें किसी खास क्राइम के पीड़ित को यू वीजा, जबकि मानव तस्करी के पीड़ित को टी वीजा मिलता है. 

- लंबे समय से रहते लोग भी ग्रीन कार्ड मांग सकते हैं. 

कितने भारतीय ग्रीन कार्ड के इंतजार में

नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी ने बीते साल एक स्टडी की, जिसमें पता लगा कि 1.2 मिलियन भारतीय परमानेंट रेजिडेंट कार्ड के लिए कतार में हैं. ये केवल रोजगार वाली श्रेणी के भारतीय हैं. फैमिली-स्पॉन्सर्ड ग्रीन कार्ड के लिए भी अच्छा-खासा इंतजार बाकी है. इसमें ये तो नहीं पता कि कितने भारतीय इस वीजा के लिए अटके हुए हैं, लेकिन कुल संख्या 3.6 मिलियन है, जिसमें सभी देशों के नागरिक शामिल हैं, जो अमेरिकी नागरिकता चाहते हैं. 

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भारतीयों को करना पड़ता है ज्यादा इंतजार

ग्रीन कार्ड पाने के लिए बहुत से देशों के नागरिक लगातार आवेदन करते रहते हैं. अमेरिका ने सबको बराबर का मौका देने के लिए एक व्यवस्था की. उसने तय कर दिया कि हर देश से निश्चित प्रतिशत ही लोगों को कार्ड की मंजूरी मिलेगी. इसे पर-कंट्री लिमिट कहते हैं. चूंकि भारत से इसके लिए आवदेन करने वालों की संख्या काफी ज्यादा रहती है, इसलिए क्यू भी लंबी होती चली जा रही है. 

अमेरिका में किस देश के इमिग्रेंट्स ज्यादा

अमेरिका में रहते इमिग्रेंट्स में भारतीय चौथे नंबर पर हैं. पहला नंबर मैक्सिको का है. पड़ोसी देश होने की वजह से यूएस ने इसे खास रियायत दी और यहां के लोग आसानी से परमानेंट रेजिडेंट बनने लगे. दूसरे नंबर पर चीन और फिर भारत हैं.

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