Agenda Aajtak 2021: 'एजेंडा आजतक' के कार्यक्रम में शुक्रवार को शामिल हुए किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) और बीजेपी सांसद राजकुमार चाहर (Rajkumar Chahar) के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप हुए. बीजेपी नेता का कहना है कि देश के सिर्फ 6 फीसदी किसान अपनी 23 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल (MSP) पर बेचते हैं जबकि बाकी बचे 94% किसानों की चिंता कौन करेगा, जो कि फल, फूल, सब्जी इत्यादि की खेती करते हैं. राकेश टिकैत के एमएसपी पर गारंटी कानून की मांग पर उन्होंने यह जवाब दिया.
सांसद चाहर ने इस बहस के दौरान यूपी में चले 'लेवी आंदोलन' का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि साल 1973 में गेहूं का सरकारी समर्थन मूल्य कम था और बाजार में ज्यादा दाम मिल रहे थे. जब किसान बाजार में अपनी फसल बेचने लगे तो सरकार ने उन पर मुकदमे लगा दिए. इस आंदोलन में किसानों के पक्ष में आवाज उठाने के लिए तत्कालीन बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी को 5 दिन तक जेल में रहना पड़ा था. इसलिए एमएसपी पर कानून बनाने से पहले इसे सभी पहलुओं पर गंभीर विचार-विमर्श की जरूरत है.
किसानों की नहीं, व्यापारियों की चिंता
बीजेपी नेता के सवाल पर टिकैत ने कहा कि इनको किसानों की चिंता नहीं है बल्कि व्यापारियों की चिंता है. व्यापारी सस्ती दरों पर किसानों से फसल खरीदता है और एमएसपी अधिक मूल्य पर बेचता है. अधिकारी, व्यापारी और सरकार आपस में मिले हुए हैं, इसीलिए एमएसपी गारंटी कानून नहीं लाया जा रहा है.
PM ने MSP पर कमेटी की बात कही
एजेंडा कार्यक्रम में मौजूद बीजेपी सांसद राजकुमार चाहर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एमएसपी पर कानूनी गारंटी को लेकर कमेटी बनाने का सुझाव दे चुके हैं. अगर यह गारंटी किसानों के हित में होगी तो उसे बिल्कुल लागू किया जाना चाहिए. पलटवार में टिकैत ने कहा कि एमएसपी कानून मामले में कमेटी 2011 में बन गई थी और आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस कमेटी के अध्यक्ष थे. अब उनकी सरकार बता दें कि एमएसपी से किसानों को नुकसान होगा या फायदा?
पहले कानून बनाया जाए
कमेटी बनाने की बात पर टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार किसान संगठनों को बातों में उलझाने में जुटी है. सरकार का कहना है कि एमएसपी कानून बनाने को लेकर एक कमेटी बना ली जाए, जबकि किसान नेता का कहना है कि पहले एमएसपी गारंटी कानून बना दिया जाए, फिर उसे लागू करने के लिए कमेटी बना दी जाए.
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