भारतीय शास्त्रीय संगीत को देश में ही नहीं विदेश में भी एक अलग पहचान दिलाने वाले पंडित जसराज 28 जनवरी को 86 साल के हो गए. इस मौके पर राजधानी दिल्ली में पंडितजी का खास कॉन्सर्ट आयोजित किया जा रहा है.
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86 साल बाद भी खुद को दिल से युवा समझने वाले पंडितजी ने एक खास मुलाकात में बताया कि आज मैं जो कुछ भी हूं अपने संगीत की वजह से हूं. सब मेरे संगीत का ही करिश्मा है. अपनी रूह को छूने वाली आवाज के जरिये पंडित जसराज ने लाखों दिलों को जीता है. लेकिन क्या पाश्चात्य संगीत का भारत की संस्कृति पर बढ़ते प्रभाव से शास्त्रीय संगीत को कोई खतरा है? इस बात पर पंडितजी ने बताया कि हमारे संगीत में कोई कमी नहीं है. भारतीय संगीत को कोई खतरा नहीं है और न कभी हो सकता है.
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पंडित जसराज के सुर शास्त्रीय संगीत के मुरीदों के सिर चढ़ कर बोलते हैं. आज कल के रीमिक्स और फ्यूजन के दौर में पंडितजी का मानना है कि शास्त्रीय संगीत को आगे ले जाने में और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी लोगों में भारतीय सुरों को नए आयाम दिलाने में डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है.
स्वाति रस्तोगी