पीरियड्स पर लिपटा शर्म का चोला उतार रहा 'पैडमैन': राधिका

'पीरियड्स को शर्म के चोले में किसने लपेटकर रखा है? पुरुषों में तो इसे लेकर जानकारी का अभाव शुरू से रहा है, महिलाएं ही हैं, जो अपनी बहू, बेटियों में पीरियड्स को लेकर शर्म बढ़ा रही हैं.

Advertisement
राध‍िका आप्टे राध‍िका आप्टे

ऋचा मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 11 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 1:17 PM IST

'पीरियड्स को शर्म के चोले में किसने लपेटकर रखा है? पुरुषों में तो इसे लेकर जानकारी का अभाव शुरू से रहा है, महिलाएं ही हैं, जो अपनी बहू, बेटियों में पीरियड्स को लेकर शर्म बढ़ा रही हैं.' यह कहना है फिल्म की नायिका राधिका आप्टे का. वह कहती हैं कि 'पैडमैन' भारतीय सिनेमा के इतिहास की शायद पहली फिल्म है, जिसने फिल्म के जरिए समाज में जागरूकता लाने के नए कीर्तिमान गढ़े हैं.

Advertisement

Box office: महिलाओं को भा रही है PADMAN, 2 दिन में कमाई 24 करोड़

सैनिटरी पैड पर GST हटाने पर बोलीं राधिका

सैनिटरी पैड से जीएसटी हटाने की मुहिम को लेकर राधिका खुद को अलग रखते हुए कहती हैं कि इससे बेहतर होगा कि इन्हें गांवों और दूरदराज के क्षेत्रों में मुफ्त बांटा जाए. राधिका ने बातचीत में कहा, "दुख होता है यह जानकर कि देश की 82 फीसदी महिलाएं सैनिटरी पैड का इस्तेमाल नहीं करतीं. सैनिटरी पैड से जीएसटी हटाने से अच्छा है कि इन्हें ग्रामीण और दूरदराज इलाकों की महिलाओं को मुफ्त मुहैया कराया जाए."

पद्मावत के बाद पैडमैन भी FB पर लीक, 5 हजार बार हुई शेयर

बदलाव घर से शुरू होगा, तभी समाज बदलेगा

राधिका कहती हैं, "ऐसा क्यों होता है कि जब टेलीविजन पर अचानक से सैनिटरी पैड का विज्ञापन आता है, तो हम पानी पीने या बाथरूम के बहाने कमरे से खिसक जाते हैं या बगले झांकने लगते हैं. बदलाव कहां से आएगा, यह जब घर से शुरू होगा, तभी समाज बदलेगा." हालांकि, वह कहती हैं कि नई पीढ़ी समझदार और कई मायनों में जागरूक है. वह इस तरह की चीजों को समझ रही है, लेकिन हम सभी को इसे लेकर संवेदनशील होना पड़ेगा.

Advertisement

असल जिंदगी में किरदार से अलग हैं राधिका

पिछले 14 वर्षो से थिएटर से जुड़ी और कत्थक में पारंगत राधिका फिल्म में अपने किरदार के बारे में बताती हैं, "मैं असल मायने में इस किरदार से बिल्कुल अलग हूं. मैं महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर मुखर होकर बात करने वालों में से हूं. मेरे परिवार में ज्यादातर लोग डॉक्टर हैं तो मैं इन विषयों को लेकर बोल्ड रही हूं. मेरी पहले पीरियड्स पर तो जश्न मनाया गया था, लेकिन फिल्म में जो किरदार मैं निभा रही हूं, वह इससे उलट है."

अक्षय की मासूमियत लोगों को है पसंद  

फिल्म में अक्षय के साथ स्क्रीन शेयर करने के बारे में पूछने पर वह कहती हैं कि फिल्म में अक्षय की मासूमियत दर्शकों को थिएटर में खींचकर लाने पर मजबूर कर रही है.

देश में कई जगह पीरि‍यड्स होने पर मानते हैं जश्न

वह कहती हैं, "हम सैनिटरी पैड को लेकर फूहड़ता नहीं फैला रहे हैं. यह समझने की जरूरत है कि माहवारी के दौरान स्वच्छता नहीं बरतने से बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा रहता है. इससे होने वाले कैंसर से महिलाओं की मौत हो रही है. इसे टैबू क्यों समझा जाता है, जबकि हमारे ही देश के कुछ राज्यों में पहली बार पीरियड्स होने पर जश्न मनाया जाता है, क्योंकि इसे शरीर में खून साफ करने की प्रक्रिया के तौर पर देखा जाता है."

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement