पंकज त्रिपाठी एक बार फिर बाहुबली की भूमिका में नजर आए हैं. हाल ही में आई अमेजन प्राइम की वेब सीरीज "मिर्जापुर" में उनका किरदार शांत, निर्मम और शातिर डॉन का है. पंकज इससे पहले पहले "गुड़गांव" और "गैंग्स ऑफ वासेपुर" जैसी फिल्मों में भी निगेटिव रोल कर चुके हैं.
मिर्जापुर में पंकज त्रिपाठी
ने शहर के डॉन कालीन भैया का किरदार निभाया है. कालीन भैया का असली नाम अखंडानंद त्रिपाठी है. वो कालीन के व्यवसाय की आड़ में देसी कट्टों और अफीम का अवैध धंधा करता है. कालीन भैया अपने बेटे की हरकतों से परेशान रहता है, उसका बेटा मुन्ना त्रिपाठी सिर्फ अय्याशी और बेवजह गुंडागर्दी करता रहता है.
कई सीन्स में कालीन भैया के रूप में पंकज का लुक और संवाद अदायगी कई बार उन्हीं के पुराने किरदारों की याद दिला जाता है. निर्देशकों को चाहिए कि पंकज के किरदार के मुताबिक उनके लुक पर कायदे से काम करें.
रतिशंकर शुक्ला के रूप में शुभ्रज्योति का किरदार भले ही छोटा है पर अभिनय, स्थानीय संवाद और लुक के मामले में वो सीरीज में सब पर भारी दिखते हैं. वो अपने किरदार में खूब जंचे भी हैं. उन्हें देखकर एक पल भी नहीं लगता कि रति, मिर्जापुर या जौनपुर का माफिया नहीं हैं.
रसिका दुग्गल ने भी कालीन भैया की दूसरी व्याहता के रूप में अच्छा काम किया है. हालांकि रसिका के किरदार की कुंठा पहले सीजन में पूरी तरह उभर कर सामने नहीं आ पाती. वो पति के पुरुषत्व से परेशान है, अपनी संतुष्टि के लिए घर से नौकर से नाजायज संबंध बना लेती हैं. वो अपने सौतेले बेटे मुन्ना त्रिपाठी को भी हासिल करना चाहती हैं.
इस सीरीज के लिए कुलभूषण खरबंदा के काम की भी तारीफ़ होनी चाहिए. जबकि उनके
हिस्से सबसे कम संवाद आए हैं, लेकिन उन्होंने पैरों से लाचार, बेहद
जातिवादी पौरुष पर घमंड करने वाले बूढ़े माफिया का किरदार बहुत ही शिद्दत से
निभाया है. वो बहू बीना के अनैतिक संबंधों का जिस तरह फायदा उठाते हैं और
उसका बलात्कार करते हैं, नौकर राजा को जिस तरीके सजा दिलवाते हैं, उसे
देखकर उनके किरदार से घिन होती है. यह कुलभूषण के अभिनय की अपनी ऊंचाई है.
रसिका के अलावा वसुधा के किरदार में शीबा चड्ढा, स्वीटी (श्रिया), गोलू और
डिम्पी (हर्षिता गौर) का किरदार भी बढ़िया है. मकबूल, किन्नर, यादव जी,
गुप्ता जी, एसपी मौर्या, रधिया और दूसरे तमाम किरदार निभाने वाले कलाकारों
का काम भी अपनी जगह ठीक ठाक ही है.