Govinda Naam Mera Review: पुरानी कहानी में नया तड़का, गोविंदा बनकर विक्की कौशल ने किया निराश

विक्की कौशल और कियारा आडवाणी की फिल्म 'गोविंदा नाम मेरा' रिलीज हो चुकी है. विक्की-कियारा कई दिनों से फिल्म का प्रमोशन कर रहे थे. फिल्म को लेकर कुछ उम्मीदें थीं, लेकिन उसे देखने के बाद उन सभी उम्मीदों पर पानी फिरता दिखा. बाकी आगे कहानी जानने के लिए पढ़ें रिव्यू.

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कियारा आडवाणी, विक्की कौशल कियारा आडवाणी, विक्की कौशल

आकांक्षा तिवारी

  • नई दिल्ली ,
  • 16 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:12 PM IST
फिल्म:कॉमेडी थ्रिलर
2.5/5
  • कलाकार : विक्की कौशल, कियारा आडवाणी, भूमि पेडनेकर
  • निर्देशक :शशांक खेतान

अंग्रेजी में एक कहावत है 'फर्स्ट इंप्रेशन इस द लास्ट इंप्रेशन'. बचपन से हम सब ये कहावत सुनते आए हैं. हालांकि, कहते हैं कि पहली नजर में किसी जज को करना अच्छी बात नहीं है. 'गोविंदा नाम मेरा' फिल्म पर ये कहावत एक फिट बैठती है. 16 दिसंबर को विक्की कौशल और कियारा आडवाणी स्टारर फिल्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो चुकी है. अब जानते हैं कि ये फिल्म हमें कितना इंप्रेस कर पाई है. 

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पुरानी कहानी में नया तड़का
किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले फिल्म की कहानी के बारे में जानना बेहद जरूरी है. कहानी पढ़ने के बाद आप समझ सकेंगे कि हमने स्टोरी की शुरूआत अंग्रेजी कहावत से क्यों शुरू की थी. 'गोविंदा नाम मेरा' कहानी है गोविंदा ए वाघमरे (विक्की कौशल) की. गोविंदा मुंबई शहर में एक्टर नहीं, बल्कि कोरियोग्राफर बनने के लिये पैदा हुआ है. बड़े-बड़े सपने देखने वाले गोविंदा की लाइफ की मुसीबतें भी कम बड़ी नहीं हैं. 

बेचारा एक अब्यूसिव मैरिज में है. गोविंदा अपनी पत्नी गौरी वाघमरे (भूमि पेडनेकर) के अत्याचारों से परेशान रहता है. हालांकि, उसके घाव पर मरहम लगाने के लिए सुकु (कियारा आडवाणी) है. सुकु और गोविंदा का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर चल रहा होता है. गोविंदा अपनी पत्नी को तलाक तो देना चाहता है. मगर जब तक वो गौरी को 2 करोड़ रुपये नहीं देता, तब तक अपनी पत्नी के चुंगल से आजाद नहीं हो पाएगा. गोविंदा की लाइफ में ये सिर्फ एक उल्झन नहीं है, बल्कि 150 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी विवाद में भी फंसा हुआ है.

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गोविंदा और उसकी मां आशा वाघमरे (रेणुका शाहणे) कई साल से इस प्रॉपर्टी के लिये कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं. असल में गोविंदा के पिता ने उसकी मां से दूसरी शादी की थी. पिता की मौत के बाद उसका सौतेला भाई और पिता की पहली पत्नी प्रॉपर्टी पर हक जताने आ जाते हैं. बंगला हासिल करने के लिये गोविंदा की मां ना जाने कितने साल से व्हील चेयर पर बैठकर लकवाग्रस्त होने का नाटक कर रही है. पैसों की जरुरत को पूरा करने के लिए गोविंदा बाहुबली नेता अजीत धारकर (सयाजी शिंदे) के बेटे के गाने को कोरियोग्राफर करने निकल पड़ता है.

मतलब गोविंदा अब समझ गए होंगे कि एक गोविंदा की जिंदगी में कितनी उथल-पुथल चल रही है. अब वो इन सारी परेशानियों को पार कर पाता है या फिर इन्हीं में उलझा रह जाता है. जानने के लिए फिल्म देखनी होगी. 

क्यों फिल्म में नहीं आया मजा?
'गोविंदा नाम मेरा' की शुरूआत कॉमेडी से होती है. इसके बाद इसका सेकेंड हाफ थ्रिलर में बदल जाता है. फिल्म का पहला सीन काफी बोरिंग है. इससे आपको अंदाजा हो जाता है कि पूरी फिल्म कैसी होगी. हालांकि, विक्की कौशल और कियारा आडवाणी की जोड़ी एक आस बंधाती है. पर दिल से कहा जाए, तो फिल्म की कहानी बहुत ही कंफ्यूजिंग है. एक स्टोरी लाइन कब कहां पहुंच जाती है. इसे समझने के लिये दिमाग लगाना पड़ता है. मतलब फिल्म देख कर सिर खुजलाने का मन करता है. 

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विक्की कौशल की एक्टिंग ने किया निराश
विक्की कौशल इंडस्ट्री के मंझे हुए एक्टर में शुमार है. विक्की कौशल ने अब तक सारी फिल्मों में गंभीर और स्ट्रांग रोल निभाए हैं. पर 'गोविंदा नाम मेरा' में उन्होंने कॉमेडी करने की कोशिश की है, जिसमें वो फेल होते दिखे. फिल्म का नाम में जितना वजन था. कहानी और एक्टिंग उतनी ही ढीली थी. वहीं कियारा और भूमि अपने किरदारों के साथ जस्टिस करती दिखती हैं. सरप्राइज ये है कि फिल्म में रणबीर कपूर का कैमियो भी है, जो विक्की कौशल के रोल पर भारी पड़ता दिखता है. 

डायरेक्शन मजाक लगता है 
शशांक खेतान ने 'गोविंदा नाम मेरा' के जरिये कॉमेडी फिल्म में थ्रिलर डालने की कोशिश की है. हालांकि, उनका ये एक्सपेरीमेंट बिल्कुल ठीक नहीं लगा. उन्होंने अपने जोनर से हटकर फिल्म बनाई है, जिसका निर्देशन बेहद कमजोर है. हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया, बद्रीनाथ की दुल्हनिया और धड़क जैसी फिल्म बनाने वाले शशांक खेतान से इस तरह की फिल्म की उम्मीद नहीं थी.

सोचा था कि 2022 खत्म होने से पहले विक्की-कियारा कुछ अच्छा देखने के लिये देंगे, पर क्या कहें.  हां मूवी देखने से पहले एक चीज याद रखिए. कहानी में लॉजिक ढूंढने की गलती मत करना बॉस. वरना बड़ा पछताओगे... बड़ा पछताओगे... बाकी एक बार फिल्म देखने में कोई बुराई नहीं है. 

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