कॉलेज में फेल हुए थे एक्टर विजय राज, बेची साड़ियां, फिर ऐसे शुरू हुआ एक्ट‍िंग का सफर

एक्टर विजय राज ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई में दो साल तक फेल होने, कमाई के लिए साड़ी बेचने और चार्टर्ड अकाउंटेंट के साथ काम करने के दिनों को याद किया. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि थिएटर से जुड़ने के बाद उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई थी. ऐसे में वो अपना फाइनल का पेपर खाली छोड़ आए थे.

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एक्टर विजय राज ने याद किए कॉलेज के दिन (File Photo) एक्टर विजय राज ने याद किए कॉलेज के दिन (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST

बॉलीवुड एक्टर विजय राज लगभग तीन दशकों से फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा रहे हैं. उन्होंने 2019 में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कदम रखा और 'मेड इन हेवन', 'शेरनी', 'मर्डर इन माहीम' और 'शोटाइम' जैसे वेब शो में शानदार परफॉरमेंस दी. अब वह अमेजन एमएक्स प्लेयर के शो 'जमनापार सीजन 2' में एक महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आ रहे हैं.

कॉलेज के दिनों को विजय ने किया याद

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इस वेब सीरीज का प्रमोशन जोरों पर हैं. इस दौरान इंडियन एक्सप्रेस संग बातचीत में विजय राज ने खुलासा किया कि एक्टिंग कभी उनका लक्ष्य नहीं था. उन्होंने युवावस्था में कई छोटे-मोटे काम करने और अपनी फाइनल ईयर की परीक्षा में असफल होने की बात भी याद की. विजय ने बताया कि दिल्ली के डीएवी कॉलेज की इवनिंग शिफ्ट में वह पढ़ाई करते थे. जब वह केवल 19 वर्ष के थे तब उन्हें पहली बार थिएटर के बारे में पता चला और उन्होंने इसके साथ एक्सपेरिमेंट शुरू किया था.

एक्टिंग का नहीं था इरादा

एक्टर ने कहा, 'मेरे लिए यह पूरी तरह से संयोग था. मैं कभी इस पेशे में नहीं आना चाहता था. जिंदगी चल रही थी, मैं एक अकाउंटेंट के रूप में नौकरी कर रहा था और शाम के कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था. अचानक मुझे कुछ लोग मिले जो थिएटर करते थे और मैंने पहली बार यह शब्द सुना. मैं तब 19 साल का था. वहीं से सब शुरू हुआ. शुरू में मेरे परिवार को लगा कि मैं बिजी हूं. वे खुश थे कि मैं कुछ कर रहा हूं. लेकिन जब उन्हें पता चला कि मैं इसे स्थायी रूप से करने वाला हूं, तब यह एक समस्या बन गई. मेरे पिता एक सरकारी कर्मचारी थे. उस समय सरकारी नौकरियां ही सम्मानजनक मानी जाती थीं. अगर आप चपरासी भी बन जाते थे, तो सरकार आपकी मौत तक आपका ध्यान रखती थी. उस पीढ़ी में यह एक निश्चित सोच थी. इसलिए मेरे पिता भी यही उम्मीद करते थे कि मैं ऐसा ही करूं. भले ही यह संयोग था, लेकिन ब्रह्मांड मुझे इस दिशा में धकेल रहा था.'

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विजय ने 1999 में 'भोपाल एक्सप्रेस' के साथ अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने 'जंगल', 'मानसून वेडिंग', 'रन', 'गंगूबाई काठियावाड़ी', 'गली बॉय', 'वेलकम', 'डेली बेली' जैसी शानदार फिल्मों में काम किया. उनकी नई फिल्में 'चंदू चैंपियन' और 'भूल भुलैया 3' भी काफी सफल रही हैं. लेकिन एक युवा विजय राज को मंच का आकर्षण इतना प्रभावित कर गया कि वह अपनी ग्रेजुएशन की फाइनल ईयर की परीक्षा में असफल हो गए.

फाइनल ईयर में विजय हुए थे फेल

अपने कॉलेज के दिनों की एक घटना शेयर करते हुए विजय ने कहा, 'मैंने बीकॉम के दूसरे साल में थिएटर शुरू किया और फिर पढ़ाई में मेरी रुचि खत्म हो गई. फाइनल ईयर में मेरा इकोनॉमिक्स का पेपर था और मैं थिएटर के इस नए प्यार में खो गया था. तो जब मुझे पेपर मिला, मैं एक शब्द भी नहीं लिख सका. मेरा दिमाग खाली था. मैं वहां बैठा, टीचर से कहा कि पेपर वापस ले लें. उन्होंने मुझे कम से कम 30 मिनट रुकने को कहा. मैंने सिर्फ उस पेपर पर अपना नाम लिखा. मुझे विश्वास था कि टीचर मेरी ईमानदारी की सराहना करेंगे. लेकिन मैं फेल हो गया. मैं पहले दो सालों में भी फेल हुआ था, तो मैं उन परीक्षाओं को भी एक साथ दे रहा था.'

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कारोल बाग में बेची साड़ियां

विजय ने यह भी बताया, 'मैंने 18 साल की उम्र में कमाई शुरू कर दी थी. मैं एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के साथ काम करता था. मेरे पिता ने मुझे वहां रखा था. मैंने उनसे अकाउंटिंग सीखी. यह मेरा पेशा बन गया. फिर मैंने कई जगहों पर काम किया. मेरा आखिरी काम करोल बाग में एक साड़ी की दुकान पर था. मैं वहां पार्ट टाइम जॉब करता था. मैंने बहुत सारे छोटे-मोटे काम किए हैं. आज लोग 17 साल के बच्चों को बच्चा मानते हैं. हमारे समय में हम 15 साल की उम्र में काम शुरू कर देते थे.' इसी इंटरव्यू में विजय के को-एक्टर वरुण बडोला ने भी लाजपत नगर में अपने कालीन बेचने के दिनों को याद किया.

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