'बड़ी उम्र का हीरो चलेगा मगर हीरोइन 18...', इंडस्ट्री के भेदभाव पर बोलीं शेफाली शाह

फिल्म धुरंधर में जहां एक्टर रणवीर सिंह (40) उनसे एक बहुत छोटी 20 साल की एक्टर सारा अर्जुन के साथ स्क्रीन शेयर किया है. इस पर एक्ट्रेस शेफाली शाह का रिएक्शन आया है.

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एक्ट्रेस शेफाली शाह (Photo: Instagram/ @shefalishahofficial) एक्ट्रेस शेफाली शाह (Photo: Instagram/ @shefalishahofficial)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:20 AM IST

इंडियन सिनेमा में काम करने के तरीके को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं. हाल ही में फिल्म 'धुरंधर' की सफलता के बाद एक्टर रणवीर सिंह (40) चर्चा में हैं, लेकिन उनकी तारीफ के साथ-साथ एक विवाद भी जुड़ गया. फिल्म में उनकी जोड़ी खुद से उम्र में आधी, यानी 20 साल की एक्ट्रेस सारा अर्जुन के साथ दिखाई गई है. इस पर शेफाली शाह का रिएक्शन आया है.

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HT के साथ बातचीत में फेमस एक्ट्रेस शेफाली शाह ने इस जेंडर भेदभाव पर अपनी बेबाक राय रखी है. उन्होंने साल 2005 की फिल्म 'वक्त' का उदाहरण दिया, जिसमें उन्होंने अपने से बड़े अक्षय कुमार की मां का रोल निभाया था.

शेफाली शाह ने क्या कहा?
शेफाली का मानना है कि इंडस्ट्री में 'हीरो' की उम्र मायने नहीं रखती, लेकिन 'हीरोइन' के लिए 18 से 25 साल की एक काल्पनिक 'एक्सपायरी डेट' तय कर दी गई है. उनके अनुसार, एक कलाकार के लिए उम्र सिर्फ एक हिस्सा है और उसका काम अलग-अलग किरदारों को जीना है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि इंडस्ट्री आज भी इसी पुरानी सोच के इर्द-गिर्द घूम रही है.

जेंडर पर बंटी हुई इंडस्ट्री
भेदभाव सिर्फ उम्र तक सीमित नहीं है, बल्कि काम करने के घंटों (Working Hours) को लेकर भी है. शेफाली शाह ने कहा, 'जब कोई मेल एक्टर अपने परिवार या बच्चों के लिए दो-तीन महीने की छुट्टी मांगता है, तो इसे 'वर्क-लाइफ बैलेंस' कहकर सराहा जाता है. लेकिन जब यही मांग किसी महिला की तरफ से आती है और वह काम के निश्चित घंटों की बात करती है, तो इसे एक बड़ा मुद्दा बना दिया जाता है. यह भेदभाव साफ तौर पर दर्शाता है कि इंडस्ट्री की सोच अब भी जेंडर के आधार पर बंटी हुई है.'

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महिला की बात पर विवाद होता है
अपनी बात खत्म करते हुए शेफाली ने कहा, 'काम के घंटों या अपनी शर्तों को रखना किसी भी इंसान की निजी पसंद और जरूरत हो सकती है. वह स्पष्ट करती हैं कि कोई भी एक्ट्रेस अपनी शर्तें किसी पर थोप नहीं रही है; वह बस अपनी बात रख रही है. अगर कोई फिल्ममेकर सहमत नहीं है, तो वह उसे कास्ट न करने के लिए स्वतंत्र है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर एक पुरुष कलाकार ऐसी मांग करता है, तो उस पर कोई बहस नहीं होती, पर महिला के बोलते ही इसे विवाद का रूप क्यों दे दिया जाता है?'

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