'ठाकुर गब्बर को जान से मारता, सेंसर बोर्ड ने बदलवाया शोले का क्लाइमैक्स' बोले रमेश सिप्पी

बॉलीवुड की एपिक फिल्म 'शोले' बनाने वाले डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने खुलासा किया है कि उनकी फिल्म का क्लाइमैक्स 1975 में आई इमरजेंसी के कारण बदला गया था. सेंसर बोर्ड ने उनसे ठाकुर के सीन्स बदलने की बात कही थी.

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इमरजेंसी के कारण बदला 'शोले' का क्लाइमैक्स (Photo: Instagram @rameshsippy47, IMDb/ Sholay) इमरजेंसी के कारण बदला 'शोले' का क्लाइमैक्स (Photo: Instagram @rameshsippy47, IMDb/ Sholay)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:20 AM IST

हिंदी सिनेमा की एपिक एक्शन-रिवेंज फिल्म 'शोले' को रिलीज हुए 50 साल का समय बीत चुका है. हाल ही में फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने खुलासा किया है कि 'शोले' का क्लाइमैक्स बदला गया था. सेंसर बोर्ड ने ठाकुर और गब्बर सिंह की लड़ाई वाला सीन पूरी तरह से बदलवाया गया था.

क्यों बदला गया 'शोले' का क्लाइमैक्स?

'शोले' बॉलीवुड की उन फिल्मों में से है जिसकी दीवानगी आज भी लोगों के बीच काफी ज्यादा है. इसकी कहानी पुरानी है, मगर आज भी ऑडियंस को उनकी सीट से बांधे रखने का काम करती है. यूं तो फिल्म का एक-एक हिस्सा लोगों की याद बन चुका है. लेकिन इसका क्लाइमैक्स आज भी उनके दिलों को तोड़कर रख देता है. हालांकि उसमें भी कुछ बदलाव किए गए थे.

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रमेश सिप्पी का कहना है कि 'शोले' का क्लाइमैक्स ओरिजिनल स्क्रिप्ट के मुताबिक नहीं रखा गया. सेंसर बोर्ड ने 1975 में आई इमरजेंसी के कारण क्लाइमैक्स में बदलाव किए. जूम संग बातचीत में फिल्ममेकर ने बताया, 'मेरी फिल्म का क्लाइमैक्स पहले ऐसा था कि ठाकुर गब्बर सिंह को मार देता है. लेकिन सेंसर बोर्ड ने हमें कहा कि वो एक पुलिस ऑफिसर है, वो अपने हाथ में कानून कैसे ले सकता है? मैंने कहा कि ये सीन जिसमें पुलिस ऑफिसर आता है और उसे मारने से रोक देता है, ये मैं फिल्मों में हजार बार देख चुका हूं.'

'आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि मैं इसे बदलूंगा? लेकिन उन्होंने हमसे रिक्वेस्ट की और उस वक्त इमरजेंसी भी थी. उनके हाथ में सारी ताकत थी, हम कुछ कर नहीं सकते थे. इसलिए मुझे उनकी बात माननी पड़ी.'

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क्लाइमैक्स में बदलाव के कारण रमेश सिप्पी थे नाराज?

फिल्ममेकर रमेश सिप्पी ने आगे बताया कि सेंसर बोर्ड ने उनसे ठाकुर के पैरों में कीलें गढ़वाने वाला सीन भी हटवाया ताकि बाद में उसके कारण कोई परेशानी ना खड़ी हो सके. उनका कहना था कि वो इन सभी बदलावों से खुश नहीं थे. रमेश सिप्पी ने कहा, 'जब मैं आज इन बदलावों के बारे में सोचता हूं, शायद उस वक्त वो ठीक काम कर गया था. क्योंकि अगर वो बदलाव नहीं होते तो शायद सबकुछ काफी भयानक हो जाता. मुझे लगता है कि वो ठीक हुआ.'

'लेकिन आप कभी कुछ भी पूरी तरह से नहीं जान सकते. शायद इंसान उन्हीं चीजों पर रिएक्ट करता है जो उसके सामने आती हैं. मगर मुझे उस वक्त जो कुछ भी हो रहा था, वो पसंद नहीं आ रहा था. हमने पहले ये भी दिखाया था कि ठाकुर के जूतों में कीलें गाढ़ी जा रही हैं. जिससे वो क्लाइमैक्स में गब्बर को मारता भी है. वो भी निकलवाया ताकि बाद में कोई परेशानी ना हो. इन सभी बदलावों के बाद उन्होंने हमें सर्टिफिकेट दिया. मुझे ये सबकुछ स्वीकार करना पड़ा.'

बता दें कि 'शोले' के क्लाइमैक्स में वीरू गब्बर सिंह को मारता है, जिसके बाद ठाकुर गब्बर से अकेले भिड़ जाता है. हालांकि वो इस दौरान गब्बर को जान से नहीं मारता है. वो उसे पुलिस के हवाले कर देता है. बात करें 'शोले' की, तो ये फिल्म 50 सालों के बाद टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन होने जा रही है, जिसमें इसका 4K वर्जन दिखाया जाएगा.

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