पिछले कुछ समय में बॉलीवुड सिंगर जुबीन नौटियाल का झुकाव फिल्मी गीत के साथ-साथ डेवोशनल सॉन्ग में भी दिखा है. कबीरवाणी, जन्माष्टमी और रामनवमी के त्योहारों में जुबीन अपने गीत लॉन्च करते हैं.
मंगलवार को भी नवरात्र के मौके पर जुबीन ने एक सॉन्ग लॉन्च किया है. जिसे जुबीन न केवल दुर्गा मां बल्कि उन सभी माओं को डेडिकेट करते हैं, जो अपने बच्चे की सक्सेस पर अपनी जिंदगी न्यौछावर कर देती हैं. आजतक से खास बातचीत के दौरान जुबीन ने धार्मिक गीतों के प्रति अपनी झुकाव के बारे में भी बताया है.
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रैट रेस में मैं अपना अस्तित्व भूलने लगा था
जब एक आर्टिस्ट की जिंदगी में सक्सेस आती है, तो उसकी जिंदगी में कई सारे मौके, बड़े-बड़े गाने, बड़े लोग आपके साथ काम करना चाहते थे, लोग ऐसा काम करना चाहते हैं, जिसमें प्रमोशनल वैल्यू हो. इस भागदौड़ और यहां की चकाचौंध में भूल जाता है कि वो कहां से आता है और उसकी शुरूआत कैसे हुई थी. उसे बता ही नहीं होता है कि वो ऐसा क्यों बन गया है. तो यहीं से वो लॉस्ट होना शुरू हो जाता है. एक निश्चित जर्नी के बाद आपको भी नहीं पता होता है कि आखिर आगे क्या किया जाए. मेरे साथ भी यही हुआ, मैं इस रैट रेस में खुद को खोने लगा था.
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महामारी ने खुद पर सोचने को किया मजबूर
मैं खुद के बारे में यही कहना चाहूंगा कि महामारी के पहले तक मैं कुछ ऐसा ही हो गया था. घर पर बैठकर यही सोचने लगा कि आखिर मैं किस चीज के पीछे भाग रहा हूं. आखिर मेरा मकसद क्या है इस इंडस्ट्री में आने का. हर आर्टिस्ट के फेज में वो लाइफ आता है, जब वो रैट रेस में फंस जाता है. दुनियादारी में लग जाता है. लोगों को इंप्रेस करने लगता है और उसी में खुद को खोने लगता है. अपनी नींव को खोने लगता है.
चाहता हूं कि लोग अपने कल्चर को न भूलें
एक ओर जहां मैं कमर्शल गाने गा रहा हूं, तो दूसरी तरफ भी मेरी यही जिम्मेदारी बनती है कि मैं कुछ ऐसे गाने भी लेकर आऊं, जिससे लोग खुद को जुड़ा हुआ महसूस करें. आर्टिस्ट के काम को देखकर अगर कोई भावुक हो जाए, तो ये सबसे बड़ी कमाई होती है. कबीर का दोहा को मैं इस साल की सबसे बड़ी हाइलाइट मानता हूं. आज जो गाना रिलीज हुआ है, मेरी मां जैसा कोई नहीं, यह भी नवरात्र के मौके पर लेकर आ रहा हूं, ताकि लोग हमारे कल्चर को पकड़ कर चलें.
मैं फ्लैग बैरियर बनने को हूं तैयार
एक वक्त था, जब टी-सीरीज इन गानों के लिए पहचाना जाता था. अब अचानक से इस तरह के गाने आने बंद हो गए हैं. आप कह सकती हैं कि जो धार्मिक गाने पहले बना करते थें, मेरी यही कोशिश है कि मैं उस दौर को वापस लाऊं और उसका फ्लैग बैरियर बनने में मुझे खुशी होगी. जब भी हम दुख में होते हैं, या तो मां के पास जाते हैं या फिर मंदिर, मस्जिद जाकर दुआ करते हैं. जब हम छोटे थे, तो हमें बहुत से लोग बताने वाले थे, कि हमारे ग्रंथ में क्या है, या जो पौराणिक कहानियां हैं. लेकिन अब कौन बताए. इसलिए ये जरूरी है. गाने के जरिए लोगों को अपने रूट्स से जोड़ने की करूंगा कोशिश.
नेहा वर्मा