उत्तराखंड: चुनाव से पहले किसे झटका? कांग्रेस के प्लान को यूं फेल करने में जुटी बीजेपी

उत्तराखंड में पहले बीजेपी ने अप्रत्याशित तरीके से निर्दलीय विधायक प्रीतम पवांर को अपने खेमे में कर लिया और अब मिशन कांग्रेस को झटका दे उनके विधायकों और कद्दावर नेताओं को भाजपा में शामिल करवाने की तैयारी में है.

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हरीश रावत (फाइल फोटो) हरीश रावत (फाइल फोटो)

दिलीप सिंह राठौड़

  • देहरादून,
  • 09 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:21 PM IST
  • उत्तराखंड में बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को मात देने की कोशिश में हैं
  • उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं

उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों तैयारियों में जुट गई हैं. भाजपा में नाराज चल रहे विधायकों को कांग्रेस अपने पाले में करने की कोशिश में जुटी है और दावा कर रही है कि भाजपा के विधायक उनके सम्पर्क में हैं. वहीं भाजपा उसे झटका देने की हरसंभव कोशिश में लगी है. पहले बीजेपी ने अप्रत्याशित तरीके से निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार को अपने खेमे में कर लिया और अब मिशन कांग्रेस को झटका दे उनके विधायकों और कद्दावर नेताओं को भाजपा में शामिल करवाने की तैयारी में है.

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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस के एक वर्तमान विधायक और एक पूर्व विधायक भाजपा के पाले में आने की तैयारी में हैं, यही नहीं एक निर्दलीय भी भाजपा के संपर्क में हैं जो कि कुमाऊं छेत्र से विधायक हैं. 

कांग्रेस चुनाव अभियान की कमान संभाल रहे हरीश रावत ने गुरुवार को सोशल मिडिया पर भाजपा और संघ सहित उनकी सरकार के समय कांग्रेस से भाजपा में गए विधायकों पर भी निशाना साधा. हरीश रावत ने लिखा है कि आज तो सिर्फ भाजपा के अनुशासन और संघ की शिक्षा की धज्जियां उड़ रही हैं कल को कुछ खांटी के भाजपाई और संघी सब खून के आंसू रोएंगे.

आगे हरीश रावत ने  दल-बदलुओं पर भी हमला बोलते हुए कहा है कि दो-तीन बागियों को छोड़कर अधिकांश ने धन व पद के लालच में दलबदल किया था, जो सामाजिक और राजनीतिक अपराध के साथ-साथ संसदीय लोकतंत्र पर कलंक है. पूर्व सीएम रावत ने कहा कि ऐसा अपराध जिस दल के साथ होता है वह एक बार रोता है पर जहां दल-बदलू जाते हैं वह दल कई-कई बार रोता है और भाजपाई आज रो रहे हैं.

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क्या है हरीश रावत के बयान के मायने

हरीश रावत के इस बयान के कई मायने हैं. एक तो हरीश रावत नहीं चाहते कि उनकी सरकार की नैया डुबोने वाले विधायकों की फिर से पार्टी में एंट्री हो और दूसरा वो सिर्फ दो तीन विधायकों को अपने जरिये पार्टी में शामिल कराने के मूड में हैं और उनके लिए खिड़की खुली रखना चाहते हैं.

पर उल्टा बीजेपी के खेमे से एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस पर फिर दलबदल का खतरा मंडरा रहा है. कांग्रेस के एक वर्तमान विधायक और एक पूर्व विधायक की भाजपा में एंट्री हो सकती है.

ये विधायक हो सकते हैं भाजपा में शामिल

जानकारी के मुताबिक, भीमताल से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा भाजपा का दामन थाम सकते हैं तो इससे भी बड़ी खबर ये है कि देहरादून से एक सिटिंग विधायक भी भाजपा के सम्पर्क में हैं और उनकी भाजपा से ये शर्त है कि उनको देहरादून की ही एक सीट से उम्मीदवार बनाया जाए. अगर पार्टी इस पर सामंजस्य बना लेती है तो उनकी भाजपा में एंट्री लगभग फाइनल है. इसके साथ ही गढ़वाल क्षेत्र से भी कांग्रेस के एक पूर्व विधायक भाजपा के सम्पर्क में हैं.

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इसके अलावा विजयपाल सजवाण का नाम भी चर्चा में है. अगर ऐसा होता है तो उत्तरकाशी में एक बड़ा कद रखने वाले सजवाण भाजपा के लिए उत्तरकाशी में जीत की गारंटी बन सकते हैं. भाजपा के ही एक कद्दावर नेता और विधायक की मृत्यु के बाद से उत्तरकाशी की सीट खाली. भाजपा का जनाधार भी उत्तरकाशी में कम दिखाई दे रहा है.

मनोवैज्ञानिक बढ़त की कोशिश

चुनाव से पहले कांग्रेस और निर्दलीयों को अपने पाले में कर भाजपा बढ़त बनाने के साथ कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिशों में जुटी है. दूसरी तरफ गुटबाजी का सामना कर रही कांग्रेस के लिए ऐसी स्थितियां मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं.

हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि बीजेपी में सब ठीक है. यहां भी गुटबाजी की खबरे हैं. बीजेपी में एक गुट सामने निकलकर आया है, जिससे पार्टी असहज है. इस गुट में अधिकतर वो लोग हैं जो कांग्रेस का चेहरा होते थे मगर 2016 में भाजपा का दामन थाम लिया था. कांग्रेस से भाजपा में आये नेताओं का आरोप है कि पुराने भाजपाई उनके आने से खुश नहीं हैं. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल कह चुके हैं कि ऐसे नेता उनके संपर्क में हैं.

नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने आजतक से बात करते हुए कहा है कि राजनीति के दरवाजे खुले रहते हैं, जिससे लोग जाते भी हैं और आते भी हैं ऐसे में अगर पुराने साथी आते हैं तो उनका स्वागत है.

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