सरोजनी नायडू देश की पहली महिला राज्यपाल. इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री. सुचेता कृपलानी देश की पहली महिला मुख्यमंत्री. देश की इन तीन महिला नेत्रियों के बारे में एक बाद कॉमन है और वो है इनका यूपी कनेक्शन. हालांकि जिस उत्तर प्रदेश ने देश को पहली महिला राज्यपाल, महिला प्रधानमंत्री और महिला मुख्यमंत्री दी उसी राज्य की राजनीति में आज महिलाओं की भागीदारी निराश करने वाली है.
सुचेता कृपलानी 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं लेकिन सुचेता कृपलानी के बाद यूपी को दूसरी महिला मुख्यमंत्री मिलने में 28 साल का वक्त लग गया. जून 1995 में बहुजन समाज पार्टी की मायावती समाजवादी पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बनीं. मायावती तीन बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं. लेकिन आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य में अब तक कभी 10 फीसदी से ज्यादा महिला विधायक नहीं चुनी गईं.
एक बार फिर से यूपी की सियासत में महिलाओं की हिस्सेदारी की बहस छिड़ी हुई है. वजह है कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का ऐलान. प्रियंका गांधी ने कहा है कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देगी. उन्होंने ये भी कहा कि अगर उनके बस में होता तो वो 50 फीसदी टिकट महिलाओं को देतीं.
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लेकिन पिछले आंकड़े देखे जाएं तो 40 फीसदी तो बहुत दूर की बात है, कोई भी पार्टी, यहां तक कि खुद कांग्रेस भी महिलाओं को 15 फीसदी टिकट भी नहीं देती है. चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि यूपी में पिछले तीन विधानसभा चुनाव यानी 2007, 2012 और 2017 में करीब 18 हजार उम्मीदवार उतरे थे. इनमें से महिलाएं सिर्फ 8 फीसदी थीं.
आंकड़ों के मुताबिक, कांग्रेस ने पिछले तीन चुनावों में कुल 862 उम्मीदवार उतारे. उनमें से 12 फीसदी के आसपास महिलाएं थीं. हालांकि 2017 में कांग्रेस ने 114 उम्मीदवार उतारे थे और उनमें से करीब 30 फीसदी यानी 34 महिला उम्मीदवार थीं. रही बात बीजेपी की तो उसने तीन चुनावों में 1,132 उम्मीदवार उतारे और उनमें से सिर्फ 11 फीसदी टिकट ही महिलाओं को बांटे. बसपा ने तीनों चुनावों में यूपी की सभी 403 सीटों पर चुनावों लड़ा और 1,209 उम्मीदवार उतारे, लेकिन इनमें से साढ़े 5 फीसदी ही महिलाएं थीं. सपा ने भी तीन चुनावों में 10 फीसदी से भी कम महिलाओं को उतारा है.
वहीं, अगर बात नतीजों पर की जाए तो कांग्रेस ने पिछले तीन चुनावों को मिलाकर महज 57 विधायक ही विधानसभा पहुंचाए हैं और इनमें से 6 ही महिलाएं थीं. पिछले तीन विधानसभा चुनावों में बीजेपी के 410 विधायक चुने गए और उनमें से 48 यानी 11.7 फीसदी महिला विधायक थीं. बीजेपी ने 2017 में सबसे ज्यादा 312 सीटें जीती थीं और उनमें से 36 महिलाएं थीं.
... क्या इस बार बनेगा रिकॉर्ड?
चुनाव आयोग के मुताबिक, 2017 में सबसे ज्यादा 42 महिला विधायक चुनी गईं, जो एक रिकॉर्ड है. इससे पहले 2012 के चुनाव में 35 महिला विधायक थीं. जबकि, 2007 के चुनाव में 23 महिलाएं विधानसभा पहुंची थीं.
आखिर में बात अगर देशभर की करें तो आंकड़े हैरान करने वाले मिलते हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 48 फीसदी से ज्यादा आबादी महिलाओं की है, लेकिन विधानसभाओं में सिर्फ 8 फीसदी महिलाएं हैं. देश में इस वक्त 30 राज्यों की 4 हजार 29 विधानसभा सीटों पर सिर्फ 330 यानी 8.1 फीसदी ही महिलाएं हैं. वहीं, लोकसभा में 78 यानी 14.3% और राज्यसभा में 12.2% महिला सांसद हैं.
Priyank Dwivedi