जितिन प्रसाद से स्वामी प्रसाद तक, यूपी चुनाव से पहले हुए सबसे बड़े 15 दलबदल!

UP Election leaders who change party: यूपी चुनाव के मद्देनजर सियासी नब्ज को देखते हुए दिग्गज नेता अपने-अपने लिए सुरक्षित राजनीतिक ठिकाने की तलाश में जुट गए हैं. ऐसे में जितिन प्रसाद से लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य तक 15 दलबदल करने वाले नेताओं का जिक्र करेंगे, जिन्होने 2022 के चुनाव से पहले कदम उठाया है.

Advertisement

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 12 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:09 AM IST
  • बीजेपी के आधा दर्जन विधायक छोड़ चुके पार्टी
  • बसपा के सबसे ज्यादा नेताओं ने छोड़ी पार्टी
  • यूपी में दलबदलू नेताओं का ठिकाना बनी सपा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ऐलान के साथ ही राजनीतिक मंसूबे पूरे करने की चाह में सियासी पाला बदलने का सिलसिला शुरू हो गया है. सूबे के कई दिग्गज चेहरों ने चुनावी वैतरणी पार करने के लिए समीकरणों के मद्देनजर नए सियासी ठिकाने तलाश में दलबदल का दांव खेलना शुरू कर दिया है. ऐसे चेहरों में कोई एक शख्स या एक सियासी पार्टी नहीं है बल्कि हर पार्टी एक दूसरे के नेता को अपने खेमे में लाकर बड़ा सियासी संदेश देने में जुटी है. ऐसे में जितिन प्रसाद से स्वामी प्रसाद  मौर्य तक 2022 यूपी चुनाव में हुए 15 सबसे बड़े दलबदल करने वाले नेताओं का जिक्र करेंगे.

Advertisement

1. स्वामी प्रसाद मौर्य 
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी छोड़ सपा का दामन थामने जा रहे हैं. पांच बार के विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य ओबीसी के बड़े नेता माने जाते हैं, जो 14 जनवरी को अपने समर्थकों के साथ साइकिल पर सवार होंगे. सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ उनकी मुलाकात भी हो गई है, जो बीजेपी के लिए बड़ा सियासी झटका माना जा रहा है. स्वामी प्रसाद के साथ ही बीजेपी के तीन अन्य विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है. 

2.जितिन प्रसाद
यूपी चुनाव से पहले गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन था. बीजेपी ने उन्हें एमएलसी के साथ-साथ योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया, जिसके जरिए ब्राह्मण समुदाय को सियासी संदेश देने की रणनीति मानी गई थी. जितिन प्रसाद दो बार सांसद रहे हैं और केंद्र की यूपीए सरकार में मंत्री रहे. वो कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे स्व. जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं. 

Advertisement

2.हरेंद्र मलिक फैमिली
पश्चिमी यूपी के दिग्गज जाट नेता और पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक ने भी 2022 चुनाव के ऐलान से पहले ही कांग्रेस छोड़कर सपा की साइकिल पर सवार हो गए हैं. हरेंद्र मलिक के साथ उनके बेटे पूर्व विधायक पंकज मलिक भी सपा का दामन थामा. दोनों ही नेता प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते थे और उनके सपा में जाने से कांग्रेस को पश्चिमी यूपी में बड़ा सियासी झटका लगा है, क्योंकि पार्टी के पास कोई भी जाट नेता नहीं बचा.  

3.लालजी वर्मा
यूपी पंचायत चुनाव के बाद पूर्व मंत्री लालजी वर्मा को मायावती ने बसपा से निष्कासित कर दिया था. इसके बाद लालजी वर्मा ने सपा का दामन थाम लिया है. वो ओबीसी के कुर्मी समुदाय से आते हैं और बसपा के दिग्गज नेता माने जाते थे. मायावती की सभी सरकार में मंत्री रहे हैं. लालजी वर्मा के सपा में शामिल होने से बसपा को अंबेडकरनगर, फैजाबाद, गोंडा के इलाके में बसपा को तगड़ा सियासी झटका लगा है. 

4. रामअचल राजभर
बसपा के संस्थापक सदस्य रहे रामअचल राजभर को भी मायावती ने बाहर कर दिया था, जिसके बाद वो भी सपा का दामन थाम लिया है. रामअचल राजभर बसपा के अति पिछड़े वर्ग के नेता माने जाते थे. मायावती की सभी सरकारों में मंत्री रहे और बसपा के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय महासचिव तक रहे. अंबेडकरनगर से आते हैं और राजभर समाज के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं. 

Advertisement

5. ललितेश पति त्रिपाठी
उत्तर प्रदेश के पूर्व  मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के पौत्र ललितेश पति त्रिपाठी ने कांग्रेस छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया है. ललितेश गांधी परिवार के करीबी नेताओं में गिने जाते थे और पूर्वांचल में कांग्रेस का ब्राह्मण चेहरा माने जाते थे. ऐसे में कांग्रेस छोड़ने से प्रियंका गांधी को तगड़ा झटका लगा है. 

6. हरिशंकर तिवारी परिवार
पूर्वांचल के बाहुबली और ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के परिवार ने बसपा छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है. हरिशंकर तिवारी के बेटे विधायक विनय शंकर तिवारी , पूर्व सांसद कुशल तिवारी और भांजे गणेश शंकर पांडेय ने बसपा को छोड़ सपा की सदस्यता ली. तिवारी परिवार के छोड़ने से बसपा के ब्राह्मण राजनीति को झटका लगा है तो सपा को पूर्वांचल में सियासी ताकत मिली. हरिशंकर तिवार का योगी आदित्यनाथ के बीच छत्तीस के आंकड़े रहे हैं. 

7. जय चौबे  
संतकबीरनगर से विधायक दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे बीजेपी छोड़ सपा का साइकिल पर सवार हो गए हैं. पूर्वांचल में जय चौबे का अपना सियासी कद है और चुनावी जोड़तोड़ के माहिर माने जाते हैं. बीजेपी छोड़ने से पूर्वांचल में बीजेपी का ब्राह्मण समीकरण गड़बड़ाया है. 

8. इमरान मसूद
पश्चिमी यूपी के दिग्गज नेता और मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले इमरान मसूद ने कांग्रेस को छोड़कर सपा में शामिल होने का फैासला किया है. सहारनपुर की सियासत में इमरान मसूद बड़ा नाम माने जाते हैं. वो पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी राशिद मसूद के भतीजे हैं. प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के करीबी नेताओं में इमरान मसूद का नाम आता था, लेकिन चुनाव ऐलान के साथ ही पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को बड़ा सियासी झटका लगा है. 

Advertisement

8. कादिर राणा 
मुजफ्फरनगर से पूर्व सांसद और विधायक रहे कादिर राणा ने बसपा छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है. कादिर राणा को मुजफ्फरनगर की सियासत के मुस्लिमों के बीच अच्छा खासा असर है. ऐसे में बसपा के हाथी से उतरकर सपा के साइकिल पर सवार होने से मुजफ्फरनगर में बसपा के एक भी बड़ा मुस्लिम नेता नहीं बचा. 

9.अदिति सिंह 
सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली की सदर विधानसभा सीट से विधायक अदिति सिंह ने बागी रुख अपना रखा था और हाल ही में कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा है. अदिति सिंह 2017 में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी. रायबरेली से विधायक रहे बाहुबली नेता अखिलेश सिंह की बेटी हैं. इसके अलावा रायबरेली के हरचंद्रपुर से विधायक राकेश प्रताप सिंह ने भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है.

10. सलीम शेरवानी 
पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी ने भी पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर सपा में वापसी की है. बदायूं सीट से कई बार सांसद रहे सलीम शेरवानी को गांधी परिवार का करीबी माना जाता था, लेकिन काफी दिनों से साइडलाइन चल रहे थे. ऐसे में उन्होंने सपा में वापसी कर गए हैं. 

11. अन्नू टंडन
उन्नाव से सांसद रही अन्नू टंडन ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थामा है. अन्नू टंडन 2009 में कांग्रेस के टिकट पर उन्नाव से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं, लेकिन पिछले दो चुनाव से हार रही थी. ऐसे में कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व से नाराजगी और लगातार हो रही उपेक्षा की वजह से इस्तीफा देकर सपा में शामिल हो गई हैं. अन्नू टंडन के पति संदीप टंडन देश के जाने माने उद्योगपति मुकेश अंबानी के रिलाएंस ग्रुप में काफी ऊंचे पद पर थे. 

Advertisement

12. चौधरी विजेंद्र सिंह 
पश्चिमी यूपी की सियासत में जाट चेहरा और किसान नेता माने जाने वाले पूर्व सांसद चौधरी विजेंद्र सिंह कांग्रेस छोड़ सपा का दामन थाम लिया. अलीगढ़ की राजनीति में विजेंद्र सिंह बड़े नाम माने जाते थे और कांग्रेस के टिकट पर विधायक से लेकर सांसद तक की जीत हासिल की है. 

12. राकेश राठौर
सीतापुर से विधायक राकेश राठौर 2022 चुनाव में बीजेपी छोड़ने वाले पहले विधायक थे. वो बीजेपी छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है. ओबीसी समाज से आते हैं और बीजेपी के विधायक रहते हुए योगी सरकार पर सवाल खड़े करते रहे हैं. 

13. राकेश पांडेय
बसपा के दिग्गज नेता व पूर्व सांसद राकेश पांडेय ने मायावती का साथ छोड़कर अखिलेश यादव की साइकिल पर सवार हो गए है. राकेश पांडेय अंबेडकरनगर से लोकसभा सदस्य रहे हैं और मौजूदा समय में उनके बेटे रितेश पांडेय इसी सीट से सांसद हैं.

14. आरके चौधरी 
कांशीराम के साथ बसपा का गठन करने वाले आरके चौधरी ने भी सपा का साइकिल पर सवार हो गए हैं. कई बार विधायक रहे आरके चौधरी दलित वर्ग के पासी समुदाय से आते हैं. अवध के जिलों में पासी वोटर काफी निर्णायक भूमिका में है. पासी समाज के दिग्गज नेता माने जाते हैं. मायावती से लेकर मुलायम सिंह की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.  

Advertisement

15. बीजेपी विधायक ने छोड़ी पार्टी
स्वामी मौर्य के इस्तीफे के बाद बांदा के तिंदवारी विधानसभा सीट से विधायक ब्रजेश प्रजापति ने बीजेपी से त्यागपत्र दे दिया है. इनके अलावा शाहजहांपुर की तिलहर सीट से विधायक रोशनलाल वर्मा और कानपुर के बिल्हौर के विधायक भगवती प्रसाद सागर ने भी बीजेपी से इस्तीफा दिया है. इससे पहले बीजेपी विधायक माधुरी वर्मा और बिल्सी से विधायक आरके शर्मा ने बीजेपी छोड़ सपा में शामिल हो गए हैं. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement