Sandi Assembly Seat: कायम रहेगा प्रभाष कुमार के परिवार का दबदबा या बदलेगा सियासी गणित?

सांडी सुरक्षित सीट पर अभी तक दो चुनाव हुए हैं और इन दोनों चुनाव में अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले बड़े राजनीतिक परिवारों का ही दबदबा रहा है.

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यूपी Assembly Election 2022 सांडी विधानसभा सीट यूपी Assembly Election 2022 सांडी विधानसभा सीट

प्रशांत पाठक

  • हरदोई,
  • 13 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:24 PM IST
  • बीजेपी के प्रभाष कुमार हैं सांडी सीट से विधायक
  • अनुसूचित जाति बाहुल्य है सांडी विधानसभा सीट 

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की एक सीट है सांडी विधानसभा सीट जो आरक्षित है. ये ऐसी सीट है जहां दलित वर्ग के बड़े राजनीतिक परिवार का दबदबा रहा है. कभी बिलग्राम विधानसभा का हिस्सा रही सांडी सीट नए परिसीमन के बाद 2012 के चुनाव में अस्तित्व में आई थी. बिलग्राम विधानसभा सीट का हिस्सा रही सांडी सीट सांडी, सुरसा और अहिरोरी ब्लॉक को मिलाकर अस्तित्व में आई थी.

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अनुसूचित जाति बाहुल्य सांडी सुरक्षित सीट पर अभी तक दो चुनाव हुए हैं और इन दोनों चुनाव में अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले बड़े राजनीतिक परिवारों का ही दबदबा रहा है. इस बार समीकरण थोड़े बदले नजर आ रहे हैं. पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे ओमेंद्र वर्मा और तीसरे स्थान पर रहे वीरेंद्र कुमार भी अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. ये दोनों भी बीजेपी से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. दबदबा कायम रहता है या इस सीट का राजनीतिक गुणा-गणित बदलेगा, ये आने वाला समय तय करेगा.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

सांडी विधानसभा सीट से 2012 के पहले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर राजेश्वरी देवी विधायक निर्वाचित हुई थीं. राजेश्वरी देवी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के वीरेंद्र वर्मा को हरा दिया था. राजेश्वरी देवी इससे पहले 2007 के विधानसभा चुनाव में बावन सुरक्षित विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुई थी. सांडी सुरक्षित सीट से 2007 में दूसरे स्थान पर रहे वीरेंद्र वर्मा अहिरोरी विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे. राजेश्वरी देवी दलित बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले पूर्व मंत्री स्वर्गीय परमाई लाल की पुत्रवधु हैं. 

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2017 का जनादेश

सांडी विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर दलित बिरादरी के राजनीतिक रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रभाष कुमार विधायक निर्वाचित हुए. प्रभाष ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के ओमेंद्र वर्मा को करीब 21 हजार वोट के अंतर से हरा दिया था. बीजेपी के प्रभाष को 72244 और कांग्रेस के ओमेंद्र वर्मा को 51419 वोट मिले थे.

सामाजिक ताना-बाना

सांडी विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची के अनुसार इस क्षेत्र में 3 लाख 22 हजार 546 मतदाता हैं. इनमें 1 लाख 75 हजार 877 पुरुष और 1 लाख 46 हजार 652 महिला मतदाता हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की तादाद अधिक है. ब्राह्मण, क्षत्रिय, यादव, पाल, धोबी, कहार, कुर्मी, राजपूत, कायस्थ, वैश्य जाति के साथ ही मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

सांडी सुरक्षित विधानसभा सीट से विधायक प्रभाष कुमार का जन्म 30 जून 1975 को हुआ था. प्रभाष 2017 में पहली बार बीजेपी के टिकट से सांडी विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए. इससे पहले प्रभाष कुमार अहिरोरी विधानसभा सीट से बसपा और सपा, दोनों दलों के टिकट पर किस्मत आजमा चुके थे लेकिन हर बार उन्हें हार मिली थी. प्रभाष ने हरदोई लोकसभा सीट से संसदीय चुनाव भी लड़ा.2017 के विधानसभा चुनाव से पहले वे बीजेपी में शामिल हुए थे.

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कोथावां के रसूखदार राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रभाष कुमार के चाचा रामपाल वर्मा भी बालामऊ विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक और चचेरे भाई अशोक रावत मिश्रिख लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद हैं. रामपाल वर्मा बेनीगंज विधानसभा सीट से कई बार विधायक भी रहे हैं. अनुसूचित जाति के रसूखदार राजनीतिक परिवार से आने के कारण अपनी बिरादरी में मजबूत पैठ का उन्हें फायदा मिला.

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सांडी विधानसभा सीट से विधायक प्रभाष कुमार अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए बताते हैं कि सांडी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण, ब्रह्मावर्त तीर्थ के लिए 50 लाख रुपये की स्वीकृति, अखवेलपुर में पुल और अहिरोरी में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना कराई. हालांकि, दो क्षतिग्रस्त मार्ग इस विधानसभा सीट की सबसे बड़ी समस्या हैं. विधायक बताते हैं कि इनकी मरम्मत का प्रस्ताव भी उन्होंने सरकार को भेजा है.

 

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