Kasganj District Profile: 3 विधानसभा सीटों का जातिगत समीकरण, 2022 में किस करवट बैठेगा ऊंट?

कासगंज विधानसभा क्षेत्र जनसंघ+बीजेपी का प्रमुख गढ़ बन गया, जहां सर्वाधिक 6 बार बीजेपी विधायक नेतराम सिंह वर्मा रहे. उसके बाद इस क्षेत्र के पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक मानपाल सिंह जनता के चहेते रहे. इन्होंने कांग्रेस, सपा में रहकर अपना परचम लहराया.

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काली नदी और भगीरथी गंगा के बीचों-बीच बसा जनपद कासगंज. काली नदी और भगीरथी गंगा के बीचों-बीच बसा जनपद कासगंज.

आर्येंद्र सिंह

  • कासगंज,
  • 02 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:54 PM IST
  • 3 विधानसभा हैं कासगंज जनपद में
  • लोधी और शाक्स बाहुल्य हैं विधानसभाएं

Kasganj District Profile: काली नदी और भगीरथी गंगा के बीचों-बीच बसा जनपद कासगंज पहले एटा जिले का मुख्य भाग था. समाजवादी पार्टी के शासन में साल 2008 में कासगंज को नया जनपद बनाया गया और फिर इस जनपद क्षेत्र के हिस्से में तीन विधानसभा क्षेत्र शामिल किए गए, जिसमें कासगंज, अमांपुर और पटियाली विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. अमांपुर विधानसभा क्षेत्र पहले सोरों विधानसभा क्षेत्र में शामिल था, लेकिन बीते कुछ वर्षों पहले परिसीमन में सोरों विधानसभा क्षेत्र को समाप्त कर अमांपुर विधानसभा सृजित की गई और सोरों को कासगंज विधानसभा में शामिल कर दिया गया.

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कासगंज जनपद की तीनों विधानसभाओं पर समय-समय पर हर पार्टी ने अपना अपना वजूद कायम किया है. भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा दलों ने इस विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया है. कासगंज विधानसभा क्षेत्र का प्रथम विधायक बनने का सौभाग्य कासगंज के ही कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार कालीचरण अग्रवाल को आजादी के बाद हुए प्रथम विधानसभा चुनाव में हासिल हुआ था. उसके बाद कासगंज विधानसभा क्षेत्र जनसंघ+बीजेपी का प्रमुख गढ़ बन गया, जहां सर्वाधिक 6 बार बीजेपी विधायक नेतराम सिंह वर्मा रहे. उसके बाद इस क्षेत्र के पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक मानपाल सिंह जनता के चहेते रहे. इन्होंने कांग्रेस, सपा में रहकर अपना परचम लहराया.

लोधी बाहुल्य सीट, वैश्य मतदाता निर्णायक

कासगंज विधानसभा मुख्य रूप से लोधी बाहुल्य सीट मानी जाती है. वैसे देखा जाए तो कासगंज और अमांपुर ये दोनों ही विधानसभा सीटें लोधी बाहुल्य हैं. अमांपुर विधानसभा सीट पर द्वितीय स्थान पर शाक्य मतदाता, तो वहीं कासगंज विधानसभा में दूसरे नंबर पर यादव मतदाताओं की संख्या है. पटियाली विधानसभा क्षेत्र ठाकुर और शाक्य बहुल क्षेत्र है. जनपद की तीनों सीटों पर वैश्य मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं. वैश्य मतदाताओं की राजनीतिक निष्ठा समय समय पर बदलती भी रही है, जिसके चलते हर राजनैतिक दल इस जाति के मतदाताओं को अपनी ओर प्रभावित करने का इच्छुक रहता है.

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2 नेताओं के साथ घटी वारदात

कासगंज विधानसभा से बसपा के पूर्व विधायक और वर्तमान सपा नेता हसरत उल्ला शेरवानी को साल 2012 में हुए एक नाटकीय घटनाक्रम में अपने समर्थकों के साथ 7 साल की न्यायालय द्वारा सजा दी जा चुकी है, जबकि वर्तमान में वह समाजवादी पार्टी से टिकट के प्रबल दावेदार थे. तो वहीं दूसरी ओर, अमांपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है, लिहाजा इन दोनों सीटों पर नए सिरे से नेता चयन की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है. 

कासगंज विधानसभा सीट

कासगंज जिले की कासगंज विधानसभा सीट (Kasganj Vidhan Sabha Constituency) क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर वोटरों की संख्या 345711 थी. 1952 के लोकसभा चुनाव में हुए परिसीमन के बाद कासगंज विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी. कासगंज विधानसभा सीट अनारक्षित है, इसे शहरी और ग्रामीण दोनों परिवेश की सीट कहा जाता है. कासगंज विधानसभा सीट पर 25 फीसदी लोधी राजपूत, 12 फीसदी मुस्लिम, 12 फीसदी ठाकुर, 10 फीसदी ब्राह्मण, 8 फीसदी शाक्य, 8 फीसदी जाटव, 5 फीसदी यादव, 4 फीसदी धीमर, 3 फीसदी बघेल, 2 फीसदी तेली और शेष 11 फीसदी अन्य जाति वर्ग धर्म के वोटरों की संख्या है. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से मानपाल सिंह ने 48535 वोट प्राप्त करते हुए बहुजन समाज पार्टी (BSP) के हसरत उल्ला शेरवानी को 10179 वोटों से हराया था. वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के देवेन्द्र सिंह राजपूत ने 101908 वोट प्राप्त करते हुए समाजवादी पार्टी (SP) के हसरत उल्ला शेरवानी पर 52030 वोटों से शानदार जीत दर्ज की थी.

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अमांपुर विधानसभा सीट

जिले की अमांपुर विधानसभा सीट (Amanpur Vidhan Sabha constituency) क्षेत्रफल की दृष्टि से तीसरे स्थान पर है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर वोटरों की संख्या 292812 थी. सोरों विधानसभा सीट को ख़त्म कर उसके और कासगंज विधानसभा के कुछ हिस्से को काटकर वर्ष 2012 में हुए परिसीमन में अमांपुर विधानसभा सीट का पुनर्गठन किया गया था. अमांपुर विधानसभा सीट अनारक्षित है, इसे ग्रामीण परिवेश की सीट कहा जाता है. अमांपुर विधानसभा सीट पर 20 फीसदी लोधी राजपूत, 14 फीसदी मुस्लिम, 14 फीसदी शाक्य, 10 फीसदी ठाकुर, 10 फीसदी जाटव, 7 फीसदी ब्राह्मण, 7 फीसदी यादव, 4 फीसदी धीमर, 2 फीसदी बघेल, 2 फीसदी तेली और शेष 10 फीसदी अन्य जाति वर्ग धर्म के वोटरों की संख्या है. विधानसभा चुनाव 2012 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के ममतेश शाक्य ने 37996 वोट प्राप्त करते हुए समाजवादी पार्टी (SP) के वीरेंद्र सिंह सोलंकी को 3656 वोटों से हराकर इस सीट से जीत दर्ज की थी. वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के देवेंद्र प्रताप ने 85199 वोट प्राप्त करते हुए समाजवादी पार्टी (SP) के वीरेंद्र सिंह सोलंकी को 41804 वोटों से हराकर शानदार जीत दर्ज की थी.


पटियाली विधानसभा सीट

पटियाली विधानसभा सीट (Patiyali Vidhan Sabha constituency) क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरे स्थान पर है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर वोटरों की संख्या 328107 थी. विधानसभा चुनाव 1969 में हुए परिसीमन के बाद पटियाली विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी. पटियाली विधानसभा सीट अनारक्षित है, इसे ग्रामीण परिवेश की सीट कहा जाता है. पटियाली विधानसभा सीट पर 18 फीसदी मुस्लिम, 15 फीसदी जाटव, 14 फीसदी शाक्य, 12 फीसदी ठाकुर, 8 फीसदी ब्राह्मण, 8 फीसदी यादव, 5 फीसदी धीमर, 5 फीसदी बघेल, 4 फीसदी तेली, 3 फीसदी लोधी राजपूत और शेष 8 फीसदी अन्य जाति, वर्ग, धर्म के वोटरों की संख्या है. 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (SP) की नजीबा खान जीनत ने 62493 वोट प्राप्त करते हुए बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सूरज सिंह शक्य को 27775 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की  ममतेश शाक्य ने 72414 वोट प्राप्त करते हुए समाजवादी पार्टी (SP) की किरन यादव को 3771 वोटों से हराकर जीत दर्ज की.

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ये हैं जनपद की मूलभूत समस्याएं

कासगंज जिले की सभी विधानसभा सीटों पर कानून व्यवस्था, बेहतर शिक्षा का अभाव, चिकित्सकीय सुविधाओं का अभाव, खटारा सरकारी बसें, बेरोजगारी, खस्ताहाल सड़कें, गंदगी, अघोषित बिजली कटौती की समस्याएं आम हैं. पिछले कई दशकों से लगातार सरकारें आती-जाती रहीं, लेकिन आम जनमानस की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है.

कब, कौन-सा ब्लॉक बना

कासगंज जनपद में 3 तहसील हैं. इसका मुख्यालय कासगंज पर है. कासगंज ब्लॉक 26 जनवरी 1956 को स्थापित किया गया है. सोरों ब्लॉक 2 अक्टूबर 1958 में स्थापित किया गया है. पटियाली ब्लॉक दो अक्टूबर 1957 में स्थापित किया गया है. गंजडुंडवारा ब्लॉक एक अप्रैल  अप्रैल 1959 में स्थापित हुआ. सिद्धपुरा ब्लॉक 2 अक्टूबर 1959 में स्थापित किया गया था. अमांपुर ब्लॉक 1 अप्रैल 1960में स्थापित किया गया है.

बाहुबली नेता हैं कुंवर देवेन्द्र सिंह यादव और श्यामसुंदर गुप्ता

समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष और पूर्व सांसद कुंवर देवेन्द्र सिंह यादव और भाजपा के नेता श्यामसुंदर गुप्ता जिले के बाहुबली नेताओं में से जाने जाते हैं. कुंवर देवेंद्र सिंह की बात करें तो इन्होंने गांव की प्रधानी से जीत हासिल कर ब्लॉक प्रमुख, विधायक, सांसद सहित जिला पंचायत अध्यक्ष के पद तक की कमान संभाली है.

 

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