गुन्नौर, मैनपुरी, छिबरामऊ, गोपालपुर...कहां से पहला विधानसभा चुनाव लड़ेंगे अखिलेश? जानें हर सीट की पॉलिटिक्स

UP Election: सपा प्रमुख अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं, लेकिन किस सीट से चुनाव लड़ेंगे इसका खुलासा नहीं किया. आजमगढ़ के गोपालपुर, संभल के गुन्नौर, मैनपुरी सदर या छिबरामऊ में से किसी एक सीट से अखिलेश किस्मत आजमा सकते हैं. ऐसे में इन चारों सीटों में से सपा के लिए सबसे बेहतर और मुफीद सीट कौन होगी?

Advertisement
सपा प्रमुख अखिलेश यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 20 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:50 PM IST
  • अखिलेश यादव पहली बार लड़ेंगे विधानसभा चुनाव
  • यादव-मुस्लिम बहुल सीटों पर अखिलेश की नजर
  • गुन्नौर से मुलायम सिंह यादव विधायक रह चुके हैं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. योगी और अखिलेश पहली बार विधानसभा के चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे. योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे तो अखिलेश यादव की सीट को लेकर अभी सस्पेंस बना हुआ है. हालांकि, आजमगढ़ के गोपालपुर, संभल की गुन्नौर, कन्नौज की छिबरामऊ और मैनपुरी सदर में से किसी एक सीट पर अखिलेश किस्मत आजमा सकते हैं. ऐसे में सपा के लिए सबसे मुफीद सीट कौन सी होगी? 

Advertisement

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा कि आजमगढ़ की जनता से अनुमति लेकर ही चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने बात को साफ करते हुए कहा कि आजमगढ़ की जनता से अनुमति इसलिए लेनी पड़ेगी क्योंकि वहां के लोगों ने उन्हें चुनाव जिताया है. अखिलेश यादव ने कभी भी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा है. अगर वह मैदान में उतरेंगे तो यह उनका पहला विधानसभा चुनाव होगा.

हालांकि, अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है कि अखिलेश कहां से चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में अखिलेश यादव के मैनपुरी, आजमगढ़ की गोपालपुर, संभल, छिबरामऊ से चुनाव लड़ने की चर्चाएं शुरू हुई, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि योगी आदित्यनाथ से पहले वह चुनाव लड़े. योगी आदित्यनाथ जिस गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं वहां पर छठे चरण में 3 मार्च को मतदान होना है. ऐसे में साफ है कि अखिलेश छठे चरण से पहले चुनाव लड़ेंगे. 

Advertisement

गुन्नौर सीट 
संभल जिले की गुन्नौर विधानसभा सीट पर अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की चर्चा है, यहां से मुलायम सिंह यादव विधायक रहे चुके हैं. यादव बहुल गुन्नौर सीट पर 2004 में मुलायम सिंह उपचुनाव लड़े थे और रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की थी. गुन्नौर के सियासी समीकरण को देखे तो पौने चार लाख मतदाता है, जिनमें सबसे ज्यादा ज्यादा करीब सबा दो लाख यादव, करीब तीस हजार जाटव और 40 हजार मुस्लिम, करीब छत्तीस हजार ब्राह्मण, बनियां, ठाकुर हैं. इसके करीब तीस हजार मौर्य आदि प्रमुख वोटर हैं.

सियासी समीकरण के लिहाज से अखिलेश यादव के यहां से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन सपा ने यहां से राम खिलाड़ी यादव को फॉर्म बी दे रखा है. वहीं, बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक अजित यादव को प्रत्याशी बना रखा है. अजित यादव  कभी सपा में थे, पर पिछले चुनाव में बीजेपी में शामिल हो गए थे. ऐसे में अखिलेश अपने पिता मुलायम की विरासत के तौर पर आजमगढ़ की तरह गुन्नौर सीट से किस्मत आजमने उतरते हैं तो कोई आश्रर्य की बात नहीं है. 

मैनपुरी सीट
मुलायम सिंह यादव के गढ़ मैनपुरी सदर सीट पर भी अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की चर्चा है. इस विधानसभा क्षेत्र ने हर एक-दो चुनाव के बाद सत्ता के समीकरण को बदला है. कभी यह सियासी लहरों के साथ चली तो कभी धारा के विपरीत. यहां कभी किसी दल का वर्चस्व बरकरार नहीं रहा. चुनावों के मुकाबले रोचक और कड़े होते रहे. सीट के मिजाज का अंदाजा इससे ही लगाइए कि यहां चार-चार बार बीजेपी और कांग्रेस जीत दर्ज कर चुकी हैं, जबकि सपा ने तीन बार विजय पताका फहराई है. मोदी लहर में भी यहां बीजेपी कमल नहीं खिला सकी और सपा के राजकुमार यादव विधायक हैं. 

Advertisement

जातीय समीकरण के लिहाज से देखे तो मैनपुरी सीट 2012 से पहले तक ठाकुर बाहुल्य हुआ करती थी, लेकिन परिसीमन के बाद सीट का भूगोल बदला तो जातीय समीकरण भी पूरी तरह बदल गए. मौजूदा समय में इस सीट पर यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है, जो 70 हजार के आसपास हैं. इसके बाद शाक्य मतदाताओं का नंबर आता है, जो 30 हजार के लगभग हैं. ठाकुर वोटरों की संख्या 25 से 30 हजार के बीच हैय. दलित मतदाताओं की संख्या 20 हजार के आसपास मानी जाती है. विधानसभा में लोधी, ब्राह्मण, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 15-15 हजार के आसपास मानी जाती है. ऐसे में सपा के लिहाज से काफी मुफीद सीट नजर आ रही है.  

छिबरामऊ सीट
कन्नौज जिले की छिबरामऊ सीट पर भी अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की कयास लगाए जा रहे हैं. कन्नौज लोकसभा सीट से अखिलेश यादव सांसद हुआ करते थे और बाद में उनकी पत्नी भी सांसद रही, लेकिन 2017 के चुनाव में सपा के मजबूत दुर्ग में बीजेपी ने सेंध लगाया. छिबरामऊ सीट पर बीजेपी ने विधायक बनाया और 2019 में कन्नौज लोकसभा सीट पर कमल खिलाया. छिबरामऊ सीट सपा को 1996 में जीत मिली थी, जिसके बाद 2012 तक चार चुनाव जीती है. 

Advertisement

छिबरामऊ के सियासी समीकरण को देखें तो करीब साढ़े चार लाख से ज्यादा मतदात है, जिसमें ब्राह्मण और यादव 70-70 हजार के करीब हैं. इसके अलावा यहां पर मुस्लिम वोटर भी करीब 50 हजार के करीब हैं जबकि ठाकुर वोटर यहां पर 20 हजार है. इसके अलावा दलित और अति पिछड़ी जातियां निर्णायक भूमिका में है. दलित वोटर भी यहां पर करीब 35 से 40 हजार है. ऐसे में यहां के सियासी समीकरण यादव-मुस्लिम मिलाकर तो बनते हैं, लेकिन दलित और पिछड़ी जातियों के बिना जीत आसान नहीं है. बीजेपी ब्राह्मण वोटों के सहारे जीत का परचम फहराया है. 

गोपालपुर सीट
आजमगढ़ जिले की गोपालपुर विधानसभा सीट से भी अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज हैं. यादव बहुल माने जाने वाले गोपालपुर सीट सपा का दबदबा रहा है और यहां से मुस्लिम और यादव विधायक लंबे समय से बनते रहे हैं. सपा का अभी भी कब्जा है. अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र में आती है. ऐसे में वो चुनावी मैदान में उतरते हैं तो आसानी से जीत सकते हैं. हालांकि, यहां से बसपा ने भी यादव प्रत्याशी दे रखा है. 

गोपालपुर सीट के सियासी समीकरण को देखें तो 33 फीसद यादव, 22 फीसद अनुसूचित जाति, 20 फीसद मुसलमान, 11 फीसद सवर्ण और 12 फीसद अन्य बैकवर्ड मतदाता हैं. जातिगत आधार पर किन्हीं दो बड़े वर्गों का मत जिसके साथ होता है उसी की विजय सुनिश्चित होती है. यादव और मुस्लिम मिलाकर सपा के पक्ष में सियासी समीकरण फिट बैठते हैं. इसी आधार पर सपा यहां से लगातार जीत दर्ज कर रही है और अखिलेश यादव के लिए काफी मुफीद सीट मानी जा रही है. 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement