Punjab Assembly Election 2022: पंजाब (Punjab) में चुनावी चौसर बिछ चुकी है. चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहे हैं. सूबे में सभी पार्टियां दांव-पेच लगा रही हैं. कुछ पुराने तो कुछ नए दल भी चुनावी दंगल में कूदने के लिए तैयार हैं. इस बार किसान संगठनों ने भी चुनाव में हुंकार भर दी है. बता दें कि पंजाब की सत्ता तक पहुंचने के लिए किसान संगठनों ने 'संयुक्त समाज मोर्चा' (Samyukta Samaj Morcha) बनाया है.
इस मोर्चे में एक नाम उभरकर सामने आया, जो किसान आंदोलन में भी काफी अहम रहा, वो है बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) का. कल तक किसानों की आवाज बुलंद करने वाले 78 साल के किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल अब सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने के लिए चुनावी दंगल में कूद गए हैं.
ऐसा है राजेवाल का राजनीतिक सफर
60 एकड़ जमीन और दो चावल मिल के मालिक बलबीर सिंह राजेवाल ने 1970 के दशक से राजनीति के मैदान में कदम रख दिया था. 1970 के दशक की शुरुआत में वह खेती-बाड़ी यूनियन से जुड़े. इसके बाद पंजाब में किसानों की मांगों को लेकर लगातार आवाज उठाते रहे. फिर साल आता है 1974 का.
जब सरकार ने किसानों को अपने गेहूं को राज्य के बाहर बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था. फिर किसानों ने सरकार की इस नीति के खिलाफ आवाज उठाते हुए एक आंदोलन शुरू किया था. राजेवाल भी उसी का हिस्सा थे. इस आंदोलन व्यापक स्वरूप हासिल किया. लिहाजा राजेवाल जेल भी गए. लिहाजा बलबीर सिंह साल 1974 से 1988 तक भारतीय किसान यूनियान (लखोवाल) के साथ थे. फिर बीकेयू (मान) का दामन थाम लिया. इसके बाद 2001 में राजेवाल ने खुद की जमीन तैयार की. लिहाजा बीकेयू (राजेवाल) की स्थापना की गई.
AAP का साथ छोड़ कैप्टन का संग पकड़ा
बलवीर सिंह राजेवाल ने 2002 में कांग्रेस सरकार का समर्थन किया था. लेकिन सरकार ने किसानों को धान की खेती में नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा नहीं दिया तो उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया. 2013 में राजेवाल सूखा पीड़ित किसानों को न्याय दिलाने के लिए भूख हड़ताल पर भी बैठे थे. बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2017 से पहले राजेवाल आम आदमी पार्टी का समर्थन कर रहे थे. लेकिन बाद में वह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थन में आ गए.
चढ़ूनी से रार की ये रही वजह
संयुक्त समाज मोर्चा (SSM) के प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाल पंजाब की समराला सीट से चुनाव लड़ेंगे. बता दें कि हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने जब अपनी पार्टी बनाने की घोषणा की थी, तब राजेवाल ने इसका जमकर विरोध किया था. हालांकि चढ़ूनी ने अपनी पार्टी बनाकर पंजाब में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी.
कैसे सबकी नजर में आए बलबीर सिंह
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल पिछले कई दशक से सक्रिय हैं, लेकिन उन्हें खास पहचान नहीं मिली. हालांकि 2001 के बाद उन्होंने बीकेयू (राजेवाल) की स्थापना कर ली थी. लेकिन हाल ही में दिल्ली में हुए किसान आंदोलन में उनकी राजनीतिक समझ और कुशल भाषण शैली के बारे में लोगों को पता चला. इसके बाद राजेवाल की लोकप्रियता बढ़ती चली गई. उनके भाषण के वीडियो को भी जमकर वायरल किया जाने लगा.
AAP के सीएम कैंडिडेट बनाए जाने की अफवाह
संयुक्त समाज मोर्चा (SSM) के 78 वर्षीय किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल निर्विवाद नेता रहे हैं. हाल ही में एक एक अफवाह ये भी उड़ी कि पंजाब में आम आदमी पार्टी राजेवाल को बतौर सीएम कैंडिडेट मैदान में उतार सकती है. हालांकि राजेवाल ने खुद इस तरह की अटकलों पर विराम लगा दिया था.
ऐसा है राजेवाल का परिवार
बलबीर सिंह राजेवाल का जन्म अगस्त 1943 को लुधियाना के राजेवाल में हुआ. राजेवाल के परिवार ने किसानों के हितों के लिए लड़ाई लड़ी है. उनके पिता आसा सिंह के साथ ही राजेवाल के भाई भी कई बार किसानों के लिए लड़ते हुए जेल जा चुके हैं. बता दें कि राजेवाल ने अपनी पढ़ाई खन्ना के एक स्कूल से पूरी की. इसके बाद खन्ना के ही एक कॉलेज में आगे की पढ़ाई पूरी की. बता दें कि राजेवाल ने एक समय में टेलीग्राफिस्ट के रूप में भी काम किया था. वह पंजाब के टेलीफोन विभाग में काम कर चुके हैं. बता दें कि राजेवाल 1968 ने नौकरी छोड़ खेती करना शुरू कर दिया था. बता दें कि राजेवाल खेतों में मेहनत करने के साथ ही चुनावी मैदान में दमखम लगा रहे हैं, लेकिन पंजाब के सियासी रण में वह क्या धुरंधरों को मात दे पाएंगे ये तो 10 मार्च को ही पता चलेगा.
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