'ना दूरी है, ना खाई है, मोदी हमारा भाई है...', इन 65 सीटों पर मुस्लिम वोटरों के लिए BJP ने बनाया 'मास्टरप्लान'

अल्पसंख्यक बहुल बूथों पर मुस्लिम समाज के युवाओं को भी बूथ की टीम में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है. अल्पसंख्यक मोर्चे की ओर से पीएम मोदी के लिए 'ना दूरी है, ना खाई है, मोदी हमारा भाई है' के नारे के साथ भी मुस्लिम समाज को पीएम मोदी के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.

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मुस्लिम वोटर्स (फाइल फोटो) मुस्लिम वोटर्स (फाइल फोटो)

हिमांशु मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 27 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST

लोकसभा चुनाव के रण में '400 पार' के नारे के साथ भारतीय जनता पार्टी की खास नजर मुस्लिम वोटरों पर भी है. लोकसभा की 65 सीटों पर मुस्लिम वोटर लगभग जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं. वहीं लगभग 35 से 40 ऐसी लोकसभा सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटर की संख्या 35 प्रतिशत से 70 प्रतिशत से भी ऊपर है.

बीजेपी ने देशभर में जिन 65 सीटों को खासतौर से चुना है, उन सीटों पर मुस्लिम वोटरों की आबादी 30 प्रतिशत से ज्यादा है. ये 65 सीटें असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में हैं जिन्हें जीतने के लिए पार्टी रणनीति के तहत इस बार पूरी ताकत लगा रही है. इन 65 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने बूथ स्तर तक जाकर मुस्लिम समाज को साधने की रणनीति बना ली है.

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ये 65 लोकसभा सीटें इस प्रकार हैं :

हरियाणा - गुरुग्राम, फरीदाबाद

दिल्ली - उतरी पूर्वी दिल्ली, चांदनी चौक

असम- करियाबोर, नौगांव, धुबरी, बरपेटा, मंगलदोई, सिल्चर, करिमगंज

उत्तर प्रदेश - सहारनपुर, कैराना, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, रामपुर, मुरादाबाद, नगीना, मेरठ, अमरोहा, संभल, बरेली, बहराइच, श्रावस्ती

बिहार - अररिया, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज

जम्मू कश्मीर- बारामुला, श्रीनगर, अनंतनाग, राजौरी

गोवा- उतरी गोवा, दक्षिण गोवा

मध्य प्रदेश- मंदसौर, बैतूल, भोपाल

महाराष्ट्र- औरंगाबाद, भिवंडी

तेलंगाना - सिकंदराबाद, हैदराबाद

तमिलनाडु - रामनाथपुरम

केरल - वायनाड, कासरगोड, कोझिकोड, कोट्टयम, पतनमथित्त, इडुक्की, वाडकर, मल्लापुरम

पश्चिम बंगाल - बशीरहाट, जादवपुर, जयनगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, मालदा दक्षिण, मालदा उतर, मुर्शिदाबाद, कृष्णक नगर, बहरामपुर, रायगंज, बीरभूम

लद्दाख- लद्दाख

गरीब कल्याण योजनाओं के बारे में बता रहे कार्यकर्ता

बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का यह मानना है कि चुनावों में अब तक सिर्फ बीजेपी को हराने के लिए वोट करने वाले मुस्लिम वोटरों को भी अब यह लगने लगा है कि बीजेपी को लोकसभा चुनाव हराना असंभव है इसलिए अब मुस्लिम वोटर भी मोदी की जीत में भागीदार बनना चाहते हैं.

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इस चुनाव में मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्रों के लिए बीजेपी एक तरफ खास तैयारी कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार, अजित पवार और जयंत चौधरी सहित अन्य सहयोगी दलों के सहारे मुस्लिम वोटरों को संदेश दे रही है. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे का कार्यकर्ता बूथ स्तर तक जाकर मुस्लिम मतदाताओं खासकर मुस्लिम महिलाओं को मोदी सरकार की गरीब कल्याण योजनाओं के बारे में बताकर अपनी पार्टी के लिए वोट सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है.

आयोजित किए 22700 स्नेह संवाद कार्यक्रम

पीएम मोदी कई मंचों से पार्टी कार्यकर्ताओं से कह चुके हैं कि मुस्लिमों में पसमांदा समाज को साथ लेकर चलना चाहिए. बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने पिछले तीन महीनों में मुस्लिम समाज के अलग-अलग वर्गों से बातचीत के लिए कई अभियान चलाए हैं. मोर्चे ने मुस्लिम समाज के 22700 स्नेह संवाद कार्यक्रम किए हैं. इन संवाद और कार्यक्रमों के जरिए देशभर में 1468 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया गया है. इन कार्यकर्मों के जरिए 50 लाख मुस्लिमों से संवाद किया गया है. 

543 सीटों पर बनाए 18 लाख से ज्यादा मोदी मित्र

देश की 543 लोकसभा सीटों पर कुल मिलाकर 18 लाख से ज्यादा मुस्लिम मोदी मित्र बनाए गए हैं. हर लोकसभा सीट पर 2000 मोदी मित्र बनाए गए हैं. पार्टी खासतौर से मुस्लिम महिला वोटरों को साधने का प्रयास करेगी जो तीन तलाक जैसी कुरीति से आजादी दिलाने के लिए पीएम मोदी को पसंद करती है. पार्टी को यह भी लगता है कि मुस्लिम समाज का एक बड़ा तबका अब जीत के जश्न में भी शामिल होना चाहता है यानी मोदी की जीत में भागीदार बनना चाहता है.

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'ना दूरी है, ना खाई है, मोदी हमारा भाई है'

अल्पसंख्यक बहुल बूथों पर मुस्लिम समाज के युवाओं को भी बूथ की टीम में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है. अल्पसंख्यक मोर्चे की ओर से पीएम मोदी के लिए 'ना दूरी है, ना खाई है, मोदी हमारा भाई है' के नारे के साथ भी मुस्लिम समाज को पीएम मोदी के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. बीजेपी इस लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के कोर वोटरों में भी सेंध लगाने के सभी प्रयास कर रही है. भले बीजेपी को मुस्लिम वोट ना मिलें लेकिन मुस्लिम मतदाताओं में असमंजस की स्थिति पैदा करना चाहती है.

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