अखिलेश से मिले जयंत चौधरी, RLD की सीटों पर सस्पेंस बरकरार

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और आरएलडी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी के बीच दिल्ली में बुधवार को बैठक होगी. इस बैठक में तय होगा कि आरएलडी सपा-बसपा गठबंधन का हिस्सा होगी या फिर नहीं.

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जयंत चौधरी और अखिलेश यादव (फोटो-फाइल) जयंत चौधरी और अखिलेश यादव (फोटो-फाइल)

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ\नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 1:37 PM IST

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन में चौधरी अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) हिस्सा होगी या नहीं, इस बात का फैसला बुधवार को हो सकता है. इस संबंध में आरएलडी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने के लिए पार्टी कार्यलय में  पहुंचकर मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने कहा कि सीट की कोई बात नहीं है सवाल रिश्ते का है. इसमें हम लोग काफी मजबूत रहेंगे. हालांकि उन्होंने आरएलडी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, इस पर कुछ भी नहीं बोले. 

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अखिलेश से मुलाकात के बाद बाहर निकले जयंत चौधरी ने कहा कि सपा अध्यक्ष के साथ उनकी बातचीत अच्छी रही, हमें इसकी सफलता मिलेगी. पहले चरण की बातचीत को हमने आगे बढ़ाया है.  उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ और मोदी सरकार के किसान विरोधी नीति के खिलाफ गठबंधन पूरे देश में खड़ा होगा. उन्होंने कहा कि सीट की कोई बात नहीं है सवाल रिश्ते का है. कैराना में हमारा तालमेल बहुत सफल रहा है. उन्होंने कहा कि सीटों को लेकर आपस में कोई लड़ाई नहीं है बल्कि हम मिलकर लड़ने की लड़ाई है.

माना जा रहा था कि दोनों नेताओं की बीच आज होने वाली इस बैठक में आरएलडी को दी जाने वाली सीटों लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी, लेकिन जयंत चौधरी ने सीटों को लेकर कोई बात नहीं कही. हालांकि सपा-बसपा गठबंधन ने आरएलडी के लिए 2 सीटें छोड़ी हैं, लेकिन इस पर पार्टी अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह सहमत नहीं हैं.

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सूत्रों के मुताबिक आरएलडी सम्मानजनक तौर पर अब गठबंधन में 4 सीटें चाहती है,  जिसमें मुजफ्फरनगर , बागपत और मथुरा. इन तीन सीटों के अलावा कैराना और अमरोहा में से एक सीट कोई भी हो सकती है. हालांकि गठबंधन ने 2 सीटें आरएलडी के लिए छोड़ रखी हैं, इसके अलावा अखिलेश यादव अपने कोटे से उन्हें एक और सीट ऑफर कर सकते हैं.  आरएलडी 2 सीटों के लिए तैयार नहीं है लेकिन क्या वो 3 सीटों पर मान जाएगी इसे अभी कहा नहीं जा सकता है.

बता दें कि शनिवार को बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने साझा प्रेस कान्फ्रेंस करके गठबंधन का एलान किया था. इस दौरान दोनों नेताओं ने आरएलडी को लेकर किसी तरह की कोई बात नहीं कही थी. हालांकि, सपा-बसपा ने सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जबकि 2 सीटें सहयोगी दल के लिए छोड़ रखा है. इसके अलावा अमेठी और रायबरेली सीट पर कांग्रेस के खिलाफ गठबंधन कोई उम्मीदवार नहीं उतारने की बात कही है.

प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि आरएलडी की सीटों के बारे में अलग से बता दिया जाएगा. हालांकि उसी के कुछ देर बाद सपा महासचिव राम गोपाल यादव ने आरएलडी को दो सीटें देने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि दो सीटें जो छोड़ी गई हैं वो आरएलडी के लिए ही हैं.

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वहीं, आरएलडी ने सपा-बसपा के सामने छह सीटों की मांगी रखी है. इनमें बागपत, मथुरा, कैराना, हाथरस, मुजफ्फरनगर और अमरोहा सीट शामिल हैं. सपा-बसपा गठबंधन आरएलडी को बागपत और मुजफ्फरनगर सीटें देना चाहता है. इसमें मुजफ्फरनगर से चौधरी अजित सिंह और बागपत सीट से उनके बेटे जयंत चौधरी चुनाव लड़ सकते हैं.

सपा अपने कोटे से आरएलडी को दो सीटें दे सकती है, लेकिन वो सीधे तौर पर नहीं होंगी. वो सीटें ऐसी होंगी, जहां आरएलडी उम्मीदवार सपा के चुनाव चिन्ह पर चुनावी मैदान में उतरना पड़ेगा. सूत्रों की मानें तो इसके लिए आरएलडी को पहले ही इस फॉर्मूले को बता दिया गया है. अखिलेश यादव और जयंत की पहले हुए बैठक में ही इस बात की जानकारी दे दी गई थी कि दो सीटें आरएलडी अपने चुनाव चिन्ह पर लड़े और दो सीटें कैराना मॉडल के तहत.

दिलचस्प बात ये है कि आरएलडी अपने सियासी सफर में सबसे संकट के दौर से गुजर रही है. मौजूदा दौर में उसके पार्टी के एक विधायक है जो राज्यसभा चुनाव में बीजेपी से जुड़ गए हैं. इसके अलावा 2014 के लोकसभा चुनाव में अजित चौधरी और जयंत चौधरी भी जीत नहीं सके थे. बता दें कैराना उपचुनाव में सपा बसपा के समर्थन से आरएलडी उम्मीदवार ने जीत हासिल कर पार्टी का खाता खोला था. हालांकि, ये सपा के उम्मीदवार थे, जिन्हें आरएलडी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा था.

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