शिवसेना के बाद बीजेपी भी अड़ी, फडणवीस बोले- गठबंधन के लिए उतावले नहीं

देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भाजपा शिवसेना के साथ गठबंधन करना चाहती है लेकिन इसके लिए हम उतावले नहीं हैं. हम हिंदुत्व के संरक्षक के तौर पर गठबंधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ना चाहते हैं.

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फडणवीस और उद्धव ठाकरे (PTI) फडणवीस और उद्धव ठाकरे (PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 12:31 AM IST

शिवसेना और भाजपा की दरारें दिन पर दिन गहरी होती जा रही हैं. शिवसेना के नेता संजय राउत ने सोमवार को कहा था कि हम बड़े भाई की भूमिका में हैं और फिफ्टी-फिफ्टी का बंटवारा नहीं हो सकता. शिवसेना को ज्यादा सीटें देनी होंगी. इस पर पलटवार करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि हम शिवसेना से गठबंधन के लिए उतावले नहीं हैं. फडणवीस जालना में भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की एक दिवसीय बैठक के समापन भाषण में बोल रहे थे.  

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देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भाजपा शिवसेना के साथ गठबंधन करना चाहती है लेकिन इसके लिए हम उतावले नहीं हैं. हम हिंदुत्व के संरक्षक के तौर पर गठबंधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ना चाहते हैं. वहीं भाजपा के कई मंत्रियों ने कहा कि अगर हिंदुत्व विरोधी ताकतों का सामना करना है तो शिवसेना के साथ गठबंधन जरूरी है.

गौरतलब है कि महराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना का सरकार चल रही है लेकिन दोनों के संबंध तुम्हीं से मुहब्बत तुम्हीं से लड़ाई वाले माहौल में हैं. शिवसेना भाजपा को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ती. ऐसा भी माना जा रहा है कि दोनों शायद साथ में चुनाव न लड़ें लेकिन दोनों को यह भी पता है कि अगर अलग-अलग लड़े तो इसका सीधा फायदा कांग्रेस और शिवसेना को मिलेगा. यह बात दोनों पार्टियां समझती हैं और एकदूसरे को धौंस देने के बावजूद सरकार चल रही है. सूत्रों के मुताबिक अमित शाह प्रदेश के नेताओं से कह चुके हैं कि अपने बलबूते प्रदेश को जीतने की आदत डालिए.

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संसद में शिवसेना के मुख्य सचेतक और राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने सोमवार को कहा कि भाजपा की ओर से शिवसेना के साथ किसी तरह का गठबंधन बनाने का प्रस्ताव नहीं है. हम ऐसी किसी पेशकश का इंतजार नहीं कर रहे हैं. इसके जवाब में ही महाराष्ट्र के सीएम का बयान आया है.

भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के बारे में बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि 60 साल के गड्ढों को साढ़े चार साल में नहीं भरा जा सकता. ऐसा माना जा रहा है कि दोनों दल एक दूसरे पर दबाव बना रहे हैं. सीटों की सौदेबाजी के लिए ऐसे बयान दिए जा रहे हैं कि एक दूसरे के बिना दोनों का काम चल जाएगा लेकिन दोनों पार्टियां जानती हैं कि अगर महाराष्ट्र में अगर कोई दो पार्टियां स्वाभाविक साझीदार हैं तो वह भाजपा और शिवसेना ही हैं और दोनों का अलग होना किसी भी तरह से दोनों के लिए घाटे का ही सौदा रहेगा.

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