देश की एक मात्र सीट जहां 3 चरणों में होंगे लोकसभा चुनाव

दक्षिण कश्मीर की अनंतनाग सीट राज्य का सबसे संवेदनशील इलाका है और यहां से पीडीपी प्रमुख और सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती चुनाव जीत चुकीं हैं.

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वोटिंग (फाइल फोटो- AP) वोटिंग (फाइल फोटो- AP)

अनुग्रह मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 10 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 7:34 PM IST

लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है और 7 चरणों में 17वीं लोकसभा के लिए चुनाव कराए जाएंगे. पहले चरण की वोटिंग 11 अप्रैल को होगी और 23 मई को नतीजे घोषित किए जाएंगे. लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के विधानसभा चुनाव भी कराए जाएंगे लेकिन जम्मू कश्मीर में सुरक्षा कारणों से विधानसभा चुनाव फिलहाल नहीं कराने का फैसला लिया गया है.

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जम्मू कश्मीर में लोकसभा चुनाव 5 चरणों में होंगे जबकि यहां की अनंतनाग सीट पर 3 चरणों में चुनाव कराए जाएंगे. यहां 11 अप्रैल को 2 सीटों पर वोटिंग होगी. साथ ही 18 अप्रैल को 2 सीटों पर, 23, 29 अप्रैल को 1-1 सीट पर वोटिंग होगी. 6 मई को 2 सीटों पर वोटिंग होगी. राज्य में कुल 6 सीटें हैं जिन पर 5 चरणों में वोट डाले जाएंगे क्योंकि अकेले अनंतनाग लोकसभा सीट पर ही 3 चरणों में चुनाव होगा.

दो साल से नहीं हुआ उपचुनाव

दक्षिण कश्मीर की अनंतनाग सीट राज्य का सबसे संवेदनशील इलाका है और यहां से पीडीपी प्रमुख और सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती चुनाव जीत चुकी हैं. इस अशांत इलाके में चुनाव कराना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है और महबूबा के इस्तीफे के बाद दो साल से इस सीट पर उपचुनाव नहीं हो पाया है.

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चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 1996 में छह महीने के भीतर उपचुनाव कराने के कानून के बाद यह सबसे ज्यादा समय तक रिक्त रहने वाली लोकसभा सीट है.  इस सीट से महबूबा के अलावा पीडीपी अध्यक्ष रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे मोहम्मद शफी कुरैशी भी सांसद बन चुके हैं. यह सीट पीडीपी का गढ़ है. 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में अनंतनाग की 16 विधानसभा सीटों में से 11 सीटों पर पीडीपी जीती थी.

बेहद कम रहता है वोट प्रतिशत

अनंतनाग लोकसभा सीट पर चुनाव कराना हमेशा मुश्किल रहता है. 2014 के चुनाव में यहां 28 फीसदी मतदान हुआ था. इस दौरान अनंतनाग के अलग-अलग हिस्सों में सुरक्षाबलों और स्थानीय लोगों के संघर्ष में करीब 25 जवान घायल थे. इस चुनाव से पहले त्राल और अवंतीपोरा में कई राजनीतिक हत्याएं भी हुई थीं. 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी यहां हिंसा की घटनाएं हुई थीं. इस दौरान 27 फीसदी लोगों ने मतदान किया था.

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