बिहार: छठे चरण की आठों सीटें NDA की, महागठबंधन के कारण बदल गए समीकरण

इस चरण में चंपारण की 4 सीटें भी हैं जहां पिछले कुछ चुनाव से बीजेपी की धाक है. लेकिन 2019 के चुनावी समर में इन सीटों पर समीकरण बदले हुए हैं. बड़ी पार्टियों की क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गोलबंदी वोटों का जमीनी गणित बदल रही है. टिकट कटने से पार्टियों के अंदर भी गणित बदला हुआ है. रोचक बात ये है कि एनडीए के 8 में से 4 वर्तमान सांसदों के टिकट कट गए हैं.

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संदीप कुमार सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 07 मई 2019,
  • अपडेटेड 2:02 PM IST

बिहार में छठे चरण का चुनाव काफी रोचक होने जा रहा है. 12 मई को छठे चरण में बिहार की 8 लोकसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे. ये सीटें हैं- वाल्मीकिनगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान और महाराजगंज. 2014 के चुनाव में इन सभी सीटों पर एनडीए के उम्मीदवार जीते थे लेकिन इस बार सामने से महागठबंधन की मजबूत चुनौती है.

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इस चरण में चंपारण की 4 सीटें भी हैं जहां पिछले कुछ चुनाव से बीजेपी की धाक है. लेकिन 2019 के चुनावी समर में इन सीटों पर समीकरण बदले हुए हैं. बड़ी पार्टियों की क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गोलबंदी वोटों का जमीनी गणित बदल रही है. टिकट कटने से पार्टियों के अंदर भी गणित बदला हुआ है.

रोचक बात ये है कि एनडीए के 8 में से 4 वर्तमान सांसदों के टिकट कट गए हैं. इसका कारण है गठबंधन के लिए जेडीयू को जगह देने के लिए बीजेपी की सीटों में आई कमी. इनमें 3 बीजेपी के सांसद हैं और एक एलजेपी का. ये चार सीटें हैं- सीवान, गोपालगंज, वैशाली और वाल्मीकिनगर. सभी 8 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है. हालांकि, बेटिकट हुए सांसदों का रुख चुनाव में अहम होगा.

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कहां किसका किससे है मुकाबला-

वाल्मीकिनगर- वर्तमान सांसद हैं BJP के सतीश चंद्र दुबे. इस बार जेडीयू के बैद्यनाथ प्रसाद महतो और कांग्रेस के शाश्वत केदार के बीच मुकाबला.

पश्चिम चंपारण- वर्तमान सांसद हैं BJP के डॉ. संजय जायसवाल. इस बार संजय जायसवाल का मुकाबला रालोसपा के ब्रजेश कुमार कुशवाहा से.

पूर्वी चंपारण- वर्तमान सांसद हैं BJP के राधामोहन सिंह, इस बार भी मैदान में. मुकाबला रालोसपा के आकाश सिंह से.

शिवहर- वर्तमान सांसद हैं BJP की रमा देवी, इस बार भी मैदान में, आरजेडी के सैयद फैजल अली से मुकाबला.

वैशाली- वर्तमान सांसद हैं LJP के रामा सिंह, इस बार एलजेपी की वीणा देवी और आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह के बीच मुकाबला.

गोपालगंज- वर्तमान सांसद हैं BJPके जनकराम, इस बार जेडीयू के अजय कुमार सुमन और आरजेडी के सुरेंद्र राम के बीच मुकाबला.

सीवान- वर्तमान सांसद हैं BJP के ओम प्रकाश यादव, इस बार जेडीयू की कविता सिंह और आरजेडी के हिना शहाब के बीच मुकाबला.

महाराजगंज- वर्तमान सांसद हैं BJP के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, इस बार भी मैदान में, आरजेडी के रणधीर सिंह से मुकाबला.

किस सीट पर किसकी क्या है चुनौती?

1. वाल्मीकिनगर में जीत की हैट्रिक पर एनडीए की नजर

चंपारण की वाल्मीकिनगर सीट 2009 में अस्तित्व में आई. उसके बाद के दोनों चुनाव जेडीयू और बीजेपी ने जीते हैं. इस बार दोनों दल एक साथ हैं और जेडीयू के वैद्यनाथ प्रसाद महतो मैदान में हैं. 2014 में इस सीट से बीजेपी के सतीश चंद्र दुबे जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. उन्हें 3,64,013 वोट मिले थे. जबकि जेडीयू उम्मीदवार को 81,612 वोट. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार को 2,46,218 वोट मिले थे. आरजेडी और कांग्रेस साथ मिलकर इस चुनाव में उतरी थीं.

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इस बार भी महागठबंधन के लिए इस सीट पर चुनौती बड़ी है. यहां की 6 विधानसभा सीटों में से 2015 के चुनाव में 3 बीजेपी ने जीते थे जबकि 1 जेडीयू ने. बाकी दो सीटों में से एक कांग्रेस और 1 सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थी.

2. रालोसपा भेद पाएगी पश्चिमी चंपारण का किला?

ये बीजेपी की सेफ सीट मानी जाती है. पिछले दो बार से यहां से बीजेपी प्रत्याशी डॉ. संजय जायसवाल जीतते रहे हैं. दोनों चुनाव में उन्होंने फिल्म निर्देशक प्रकाश झा को हराया था. 2009 में वे एलजेपी और 2014 में जेडीयू के टिकट पर उतरे थे. अब बीजेपी-जेडीयू एक साथ हैं. बीजेपी की तरफ से डॉ. संजय जायसवाल फिर मैदान में हैं. महागठबंधन की ओर से रालोसपा के डॉ. ब्रजेश कुमार कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं.

इस सीट का गणित एनडीए के पक्ष में रहा है. 2014 में बीजेपी के डॉ. संजय जायसवाल को 3,71,232 वोट मिले थे. जेडीयू के प्रकाश झा को 2,60,978. वहीं आरजेडी के रघुनाथ झा को 1,21,800 वोट. पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट के तहत आने वाली 6 विधानसभा सीटों में से 2015 में 4 बीजेपी ने जीते थे जबकि 1-1 सीट आरजेडी और कांग्रेस के हाथ आई थी. इस बार महागठबंधन ने रालोसपा को मौका दिया है और आरजेडी-कांग्रेस के वोटबैंक से उसे फायदा हो सकता है.

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3. पूर्वी चंपारण में बीजेपी की मजबूत दीवार Vs महागठबंधन का पेच

पूर्वी चंपारण से बीजेपी के मजबूत उम्मीदवार राधा मोहन सिंह इस बार एनडीए के उम्मीदवार हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह इस सीट से 5 बार सांसद रह चुके हैं. उनके सामने हैं रालोसपा के आकाश कुमार सिंह. आकाश राज्यसभा सांसद और बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश सिंह के बेटे हैं. यहां से सीपीआई के उम्मीदवार प्रभाकर जायसवाल भी मैदान में हैं. 2014 के चुनाव में राधामोहन सिंह आरजेडी के विनोद कुमार श्रीवास्तव से लगभग दोगुने मतों के अंतर से जीते थे.

2014 के चुनाव में राधामोहन सिंह को 4,00,452, जबकि आरजेडी उम्मीदवार को 2,08,089 वोट मिले थे. जेडीयू के अवनीश कुमार सिंह को 1,28,604 वोट मिले थे. इस लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली 6 विधानसभा सीटों में से 2015 के चुनाव में 3 भाजपा ने, 2 आरजेडी ने और 1 सीट एलजेपी ने जीती थी.

4. शिवहर में आरजेडी की अंदरुनी लड़ाई बिगाड़ न दे गेम

बिहार के सबसे छोटे जिले शिवहर में इस बार लड़ाई सबसे बड़ी है. इस सीट पर राजपूत वोट नतीजों को प्रभावित कर सकने की क्षमता रखता है. पिछले दो बार से यहां बीजेपी का कब्जा है. रमा देवी तीसरी बार सांसद बनने के लिए बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. महागठबंधन की तरफ से आरजेडी के सैयद फैजल अली चुनौती देने उतरे हैं. फैजल अली पत्रकार रहे हैं. इसी सीट से अपने समर्थक अंगेश कुमार को टिकट दिलाने के लिए तेजप्रताप यादव ने आरजेडी में बगावत की थी. हालांकि, बाद में अंगेश कुमार का नामांकन रद्द हो गया.

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2014 के चुनाव में बीजेपी की रमा देवी को 3,72,506 वोट मिले थे. वहीं आरजेडी के मोहम्मद अनवारुल हक को 2,36,267, जेडीयू के शाहिद अली खान को 79,108, सपा की लवली आनंद को 46,008 और बीएसपी के अंगेश कुमार को 26,446 वोट मिले थे. यहां की 6 विधानसभा सीटों में से 2015 के चुनाव में बीजेपी-जेडीयू को 2-2 और कांग्रेस और आरजेडी के खाते में 1-1 सीटें आई थीं.

5. वैशाली में राजपूत वोटों पर टिकी निगाह

वैशाली सीट राजपूत बहुल सीट है. यहां से 12 चुनावों में से 10 बार राजपूत उम्मीदवारों की ही जीत हुई है. यहां से आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह लगातार 5 बार सांसद रहे हैं. लेकिन 2014 के चुनाव में उन्हें एलजेपी नेता और बाहुबली रामा सिंह ने हरा दिया था. इस बार एनडीए की ओर से वीणा देवी चुनाव मैदान में हैं तो आरजेडी ने फिर रघुवंश प्रसाद सिंह को उतारा है.

2014 के चुनाव में एलजेपी के रामा सिंह को 305450 वोट मिले थे. आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह को 206183 और जेडीयू के विजय कुमार सहनी को 144807 वोट.

वैशाली लोकसभा सीट के तहत आने वाली 6 विधानसभा सीटों में से 2015 के चुनाव में 3 सीटें आरजेडी ने जीती थीं. जबकि बीजेपी-जेडीयू और निर्दलीय उम्मीदवार एक-एक सीट पर जीतने में कामयाब रहे थे.

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6. गोपालगंज में वोटों की खाई भरना महागठबंधन की चुनौती

लालू यादव का पैतृक जिला लंबे समय से सियासत का केंद्र रहा है. गोपालगंज लोकसभा सीट एससी वर्ग के लिए सुरक्षित है. हालांकि यहां ब्राह्मणों की भी बड़ी तादाद है जिससे यहां मुकाबला रोचक रहता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा उम्मीदवार जनक राम ने जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार एनडीए की ओर से मैदान में हैं जेडीयू के अजय कुमार सुमन. उनके सामने हैं आरजेडी के सुरेंद्र राम.

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार जनक राम को 4,78,773 वोट मिले थे. कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. ज्योति भारती से दुगुने से भी ज्यादा के अंतर से जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को 1,91,837 वोट जबकि जेडीयू के अनिल कुमार को 1,00,419 मत हासिल हुए थे. इस चुनाव में बीजेपी और एनडीए साथ हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र की 6 सीटों में से 2-2 बीजेपी और जेडीयू को मिलीं जबकि आरजेडी और कांग्रेस को 1-1 सीट पर सफलता मिली.

7. सीवान में दो महिलाएं मैदान में, जोर बाहुबल का

यादव-मुस्लिम-राजपूत जातियों के प्रभाव वाले सीवान लोकसभा सीट पर इस बार दो महिलाओं के बीच मुकाबला है. आरजेडी ने यहां से बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को तो जेडीयू ने बाहुबली नेता अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह को चुनाव में उतारा है. बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन यहां से 4 बार सांसद रह चुके हैं. उनकी पत्नी तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं. हालांकि, वे कभी जीत नहीं सकी हैं. 2009 में निर्दलीय और 2014 में बीजेपी के टिकट पर ओमप्रकाश यादव ने शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब को हराकर चुनाव जीता था. इस बार एनडीए ने जेडीयू की कविता सिंह को उतारा है.

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2014 में ओमप्रकाश यादव को 3,72,670 वोट मिले थे. उन्‍होंने राजद की हीना शहाब को 1 लाख 13 हजार वोटों से हराया. हीना शहाब को 2,58,823 वोट मिले थे. वहीं सीपीआई माले के अमरनाथ यादव ने 81 हजार वोट और जेडीयू के मनोज सिंह ने 79,239 वोट हासिल किए थे. 2015 के विधानसभा चुनाव में सीवान संसदीय क्षेत्र के तहत आने वालीं 6 सीटों में से तीन सीटों पर जेडीयू के उम्मीदवार जीते. जबकि एक-एक सीट बीजेपी-आरजेडी और सीपीआई(ML)(L) के खाते में गईं.

8. महाराजगंज की जंग जीतने के लिए आरजेडी का राजपूत वोटों पर दांव

महाराजगंज सीट सारण और सीवान जिलों के कई हिस्सों को मिलाकर बनी है. राजपूत बहुल इस सीट पर मुस्लिम-यादव समीकरण भी खेल बना और बिगाड़ सकता है. 2014 के चुनाव में यहां से जनार्दन सिंह सिग्रीवाल बीजेपी के टिकट पर जीतकर सांसद बने थे. 2014 के चुनाव में बीजेपी के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने दबंग छवि के प्रभुनाथ सिंह को मात दी. सिग्रीवाल को 3,20,753 वोट मिले थे. जबकि आरजेडी के प्रभुनाथ सिंह को 2,82,338 वोट. तीसरे नंबर पर रहे एक और बाहुबली नेता जेडीयू के मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह जिन्हें 1,49,483 वोट मिले.

इस सीट पर राजपूत समुदाय से आने वाले बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती है. वे यहां से 4 बार सांसद रहे हैं. हालांकि विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में वे अभी जेल में हैं. आरजेडी ने प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को सिग्रीवाल के खिलाफ मैदान में उतारा है. 1996 से 2009 तक चार बार ये सीट जेडीयू के खाते में गई. 2014 के आम चुनाव में जब भाजपा और जेडीयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा तब मोदी लहर में इस सीट से भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल विजेता रहे. 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां की 6 सीटों में से 3 आरजेडी, 2 सीट जेडीयू और 1 सीट कांग्रेस जीती थी.

इस चरण में जहां जातीय समीकरण मायने रखेंगे वहीं गठबंधन के दल अपना वोट बैंक अपने सहयोगियों के लिए कितना शिफ्ट करा पाते हैं इसपर भी नतीजे काफी हद तक निर्भर करेगा.

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