रायचूर सीट: सोने के भंडार का इलाका, जहां मोदी लहर में भी जीती कांग्रेस

कर्नाटक की रायचूर लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. 2009 से यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद इस सीट पर कांग्रेस के बीवी नायक करीबी टक्कर में जीते थे.

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यह शहर रायचूर किले के लिए भी प्रसिद्ध है. यह शहर रायचूर किले के लिए भी प्रसिद्ध है.

अनुग्रह मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 3:50 PM IST

कर्नाटक की रायचूर लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. 2009 से यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद इस सीट पर कांग्रेस के बीवी नायक करीबी टक्कर में जीते थे. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी अरकारि शिवानगौड़ा नायक को करीब 1500 वोटों से हराया था.

रायचूर अपने सोने के भंडार के कारण पूरे देश में जाना जाता है. यहां पर हट्टी गोल्ड माइन्स हैं. इसके अलावा यह इलाका चावल की पैदावार को लेकर भी काफी प्रसिद्ध है. रायचूर कभी विजयनगर, बहमनियों और हैदराबाद साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था. यह शहर रायचूर किले के लिए भी प्रसिद्ध है. इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

शुरुआत में यह सीट हैदराबाद राज्य का हिस्सा थी. इस दौरान इस सीट से कांग्रेस के कृष्णाचार्य जोशी जीते थे. बाद में यह सीट मैसूर स्टेट का हिस्सा हो गई है और इस सीट से 1957 में कांग्रेस के ही जीएस मेलकोटे जीते. 1962 का चुनाव में कांग्रेस के जगनाथ राव यहां से जीतने में कामयाब हुए. 1967 में स्वतंत्र पार्टी के आरवी नाइक जीते. 1971 में कांग्रेस के पम्पंगोडा सकरप्पा गौड़ा अथन्नूर जीते.

1977 में यह सीट कर्नाटक का हिस्सा हो गई और इस सीट से कांग्रेस के राजशेखर मयप्पा जीते. 1980 और 1984 का चुनाव कांग्रेस के ही बीवी देसाई जीते. 1989 में इस सीट से कांग्रेस के आर अंबन्ना नाइक डोरे, 1991 में कांग्रेस के ही ए वेंकेटेश नाइक, 1996 में जनता दल के राजा रंगगप्पा नाइक जीते. इसके बाद 1998, 1999 और 2004 का चुनाव ए. वेंटेकेश नाइक जीते. 2009 में पहली बार इस सीट पर बीजेपी जीती. उसके टिकट पर सन्ना पाकिरप्पा जीते. 2014 में कांग्रेस ने वापसी की और उसके टिकट पर बीवी नायक ने जीत दर्ज की.

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सामाजिक तानाबाना

देश के पिछड़े इलाकों में गिने जाने वाली रायचूर लोकसभा सीट की 73 फीसदी आबादी गांव और 27 फीसदी आबादी शहर में रहती है. यहां पर 22 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और 18 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है. इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 16.61 लाख है. इसमें पुरुष 8.35 लाख और महिला 8.25 लाख वोटर शामिल हैं.

इस लोकसभा सीट के अन्तर्गत 8 विधानसभा सीटें (शोरापुर, शाहपुर, यादगीर, रायचूर ग्रामीण, रायचूर, मानवी, देवदुर्गा, लिंगसुगुर) आती हैं. इनमें से चार सीटें अनुसूचित जनजाति (शोरापुर, रायचूर ग्रामीण, मानवी, देवदुर्गा) और एक सीट अनुसूचित जाति (लिंगसुगुर) के लिए आरक्षित है. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने चार सीटों (शोरापुर, यादगीर, रायचूर, देवदुर्गा), कांग्रेस ने 3 सीटों (शाहपुर, रायचूर ग्रामीण, लिंगसुगुर) और जेडीएस ने एक सीट (मानवी) पर जीत हासिल की थी.

2014 का जनादेश

2014 के चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को महज 1499 वोटों से शिकस्त दी थी. कांग्रेस के प्रत्याशी बीवी नायक को 4,43,659 वोट और बीजेपी के शिवानगौड़ा नायक को 4,42,160 वोट मिले थे. जबकि तीसरे नंबर पर जेडीएस के डीबी नायक 21,706 वोट पाकर और चौथे नंबर पर बीएसपी के राजा थिमअप्पा नायक 12,254 वोट पाकर रहे.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

बीवी नायक इस सीट से जीतकर पहली बार संसद पहुंचे हैं. 2 बेटे और 2 बेटियों के पिता बीवी नायक ने बीकॉम और एलएलबी की पढ़ाई की है. पेशे से वह कारोबारी और वकील हैं. पिछले चुनाव में दिए गए हलफनामे के मुताबिक, उनके पास 7.35 करोड़ की संपत्ति है. इसमें 6.69 करोड़ की अचल संपत्ति है. उनके ऊपर कोई देनदारी नहीं है.

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मार्च, 2019 तक mplads.gov.in पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, बीवी नायक ने अभी तक अपने सांसद निधि से क्षेत्र के विकास के लिए 14.31 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. उन्हें सांसद निधि से अभी तक 17.50 करोड़ मिले हैं. इनमें से 3.54 करोड़ रुपए अभी खर्च नहीं किए गए हैं. उन्होंने अपनी सांसद निधि की 80 फीसदी राशि खर्च की है.

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