अयोध्या में PM मोदी की आज रैली, अवध और पूर्वांचल की सीटों पर नजर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल को साधने के लिए बुधवार को भगवान राम की नगरी अयोध्या की रणभूमि में उतर रहे हैं. सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस के प्रियंका गांधी कार्ड से बने राजनीतिक समीकरण को तोड़ने और पूर्वांचल के सियासी माहौल को एक बार फिर अपने नाम करने की रणनीति है.

Advertisement
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-PTI) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-PTI)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2019,
  • अपडेटेड 11:04 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अवध और पूर्वांचल को साधने के लिए बुधवार भगवान राम की नगरी अयोध्या की रणभूमि में उतर रहे हैं. सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस के प्रियंका गांधी कार्ड से बने राजनीतिक समीकरण को तोड़ने और पूर्वांचल के सियासी माहौल को एक बार फिर मोदीमय कर बीजेपी के लिए 2014 जैसे नतीजे दोहारने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

Advertisement

पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार को अयोध्या और अंबेडकर नगर के बीच फैजाबाद के गोसाईंगंज के मया बाजार इलाके में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे. अयोध्या से करीब 25 किमी दूरी पर पीएम रैली करेंगे. फैजाबाद लोकसभा सीट के तहत ही अयोध्या आता है. प्रधानमंत्री यह रैली फैजाबाद और अंबेडकर नगर लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशियों के समर्थन में कर रहे हैं. हालांकि नरेंद्र मोदी की रैली को इन्हीं दोनों सीटों तक सीमित करके नहीं देखना चाहिए.

बीजेपी नरेंद्र मोदी की इस रैली के जरिए पांचवें और छठे चरण की यूपी की लोकसभा सीटों के माहौल को अपने पक्ष में करने की जुगत में है. लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण की वोटिंग से पहले नरेंद्र मोदी की अयोध्या में रैली कर रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि पीएम के दौरे से बीजेपी को अयोध्या के आस-पास की सीटों पर सियासी फायदा मिल सकता है.

Advertisement

फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से सटी हुई अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर, आजमगढ़, बस्ती, जौनपुर और प्रतापगढ़ सीटें हैं, जहां छठे चरण में वोटिंग होनी हैं. जबकि फैजाबाद, बाराबंकी, बहराइच, कैसरगंज और गोंडा जैसी सीटों पर पांचवें चरण में वोटिंग होनी है. 2014 में इन सारी सीटों को बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी.

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस के प्रियंका गांधी के कार्ड की चुनौती से जूझ रही बीजेपी को पीएम की अयोध्या रैली से काफी उम्मीदें लगा रखी हैं. सपा-बसपा गठबंधन के बाद जिस तरह से दलित, यादव और मुस्लिम के साथ-साथ ओबीसी वोटों की गोलबंदी हुई है. इसके अलावा प्रियंका गांधी ने राजनीतिक एंट्री के बाद कांग्रेस की ओर ब्राह्मण समुदाय के मतदाताओं ने रुख किया है. ऐसे में बीजेपी की नैया पार लगाने की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी के कंधों पर हैं.

दरअसल केंद्र और यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से अयोध्या में कई बड़े आयोजन कराकर राजनीतिक और सामाजिक संदेश दिए हैं. प्रदेश की योगी सरकार अयोध्या में दीपावली के मौके पर भव्य दीपोत्सव का आयोजन करा रही है. इसके साथ ही फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया गया . अयोध्या में भगवान राम की बड़ी प्रतिमा लगाने को भी मंजूरी दी जा चुकी है. रामायण म्यूजियम बनाया जा रहा है.

Advertisement

राम मंदिर मुद्दे ने भारतीय राजनीति की दशा और दिशा को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया. राम मंदिर मुद्दे के जरिए बीजेपी अपना राजनीतिक आधार बनाने में कामयाब रही थी. लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे थे. अयोध्या मुद्दा बीजेपी के लिए संजीवनी की तरह रहा है. इसी अयोध्या के दम पर बीजेपी ने देश की राजनीति में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुई है. इसी अयोध्या मुद्दे पर बीजेपी 2 सीटों से बढ़कर 85 पर पहुंच गई.

बीजेपी का गठन 1980 में हुआ और पार्टी बनने के बाद ही उसने खुलकर राम मंदिर आंदोलन का मोर्चा संभाला. बीजेपी के गठन के 4 साल बाद चुनाव हुए तो बीजेपी के दो सांसद जीते. लेकिन, 1989 में बीजेपी ने पलमपुर अधिवेशन में राम मंदिर आंदोलन को धार देने का फैसला किया. इसका नतीजा था कि बीजेपी अपने गठन के 9 साल के बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में 2 सीट से बढ़कर 85 पर पहुंच गई.

राम मंदिर मुद्दे के राजनीतिक फायदे को देखते हुए बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर से अयोध्या के लिए रथ यात्रा निकाली. इसका बीजेपी को जमकर फायदा मिला. 1991 में यूपी में विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने 221 सीटें जीतकर सूबे की सत्ता पर कब्जा कर लिया. सत्ता के सिंहासन पर कल्याण सिंह की सीएम के रूप में ताजपोशी हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उसी अयोध्या के सरजमी पर उतर रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि पीएम अयोध्या के जरिए पूर्वांचल को साधने में कितना कामयाब होते हैं.  

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement