फतेहगढ़ साहिब लोकसभा: 2014 में AAP की जीत से हैरान थे लोग, अब ऐसा है माहौल

16वीं लोकसभा चुनाव में फतेहगढ़ साहिब सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हरिंदर सिंह खालसा ने जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के साधु सिंह को 54,144 वोटों से हराया था. AAP उम्मीदवार हरिंदर सिंह को 35.63 फीसदी वोट शेयर के साथ कुल 3,67,293 वोट मिला था.

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2019 में AAP के सामने सीट बचाने की चुनौती (Photo:File) 2019 में AAP के सामने सीट बचाने की चुनौती (Photo:File)

अमित कुमार दुबे

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  • 28 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:36 PM IST

फतेहगढ़ साहिब लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अप्रत्याशित तरीके से जीत दर्ज की थी. लेकिन 2019 में यहां बदला हुआ समीकरण दिख रहा है, क्योंकि AAP की टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हरिंदर सिंह खालसा का पार्टी से मनमुटाव हो गया है, लिहाजा माना जा रहा है कि अब पार्टी यहां से किसी दूसरे उम्मीदवार पर दांव लगा सकती है. मौजूदा सूरेतहाल में AAP यहां पर कमजोर हुई. जबकि कांग्रेस इस सीट पर वापसी के लिए बेताब है. कांग्रेस को लगता है कि AAP में फूट का फायदा उसे मिलेगा.

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2014 का जनादेश

16वीं लोकसभा चुनाव में फतेहगढ़ साहिब सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हरिंदर सिंह खालसा ने जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के साधु सिंह को 54,144 वोटों से हराया था. AAP उम्मीदवार हरिंदर सिंह को 35.63 फीसदी वोट शेयर के साथ कुल 3,67,293 वोट मिला था, जबकि कांग्रेसी उम्मीदवार साधु को करीब 30 फीसदी वोट शेयर के साथ कुल 3,13,149 वोट मिला था. तीसरे नंबर पर शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार कुलवंत सिंह रहे थे, उन्हें 30.34 फीसदी वोट शेयर के साथ कुल 3,12,815 वोट पड़े थे.

इससे पहले 2009 के चुनाव में फतेहगढ़ साहिब सीट से कांग्रेस के सुखदेव सिंह लिबरा को जीत मिली थी, उन्होंने अकाली दल के उम्मीदवार चरणजीत सिंह अटवाल को 34,299 वोटों से हराया था. 2008 के परिसीमन के बाद सामने आई फतेहगढ़ संसदीय सीट के अंतर्गत विधानसभा की 9 सीटें हैं. जिनके नाम बस्सी पठाना, फतेहगढ़ साहिब, अमलोह, खन्ना, समराला, साहनेवाल, पायल, रायकोट और अमरगढ़ सीटें हैं. इन 9 विधानसभा सीटों में से 7 पर कांग्रेस का कब्जा है और एक-एक सीट पर अकाली दल और AAP उम्मीदवार जीते थे.

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सामाजिक ताना-बाना

दरअसल साल 2008 में परिसीमन के बाद फतेहगढ़ साहिब नई संसदीय सीट बनाई गई, इस सुरक्षित सीट पर पहली बार 2009 में लोकसभा चुनाव हुआ. जिसमें कांग्रेस ने अकाली दल को हराकर बाजी मारी, फिर सीट पर AAP का कब्जा है. मौजूदा वक्त में सांसद हरिंदर सिंह खालसा ने संकेत दे दिया है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव वो फतेहगढ़ साहिब से ही लड़ेंगे. परंतु वह किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे, ये तस्वीर साफ नहीं हो पाई है. वहीं कांग्रेस में टिकट के लिए दौड़ शुरू हो गई है. खबरों की मानें तो कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत टिकट के सबसे मजबूत दावेदार हैं. कांग्रेस धर्मसोत पर फिर से दांव खेल सकती है. धर्मसोत पिछले चुनाव में आप के हरिंदर सिंह खालसा से हार गए थे. इसके अलावा पायल के विधायक लखवीर सिंह लक्खा भी दौड़ में हैं.

फतेहगढ़ साहिब (सुरक्षित) के अंदर कुल 13,96,957 मतदाता हैं, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 7,40,390 और महिला मतदाताओं की संख्या 6,56,554 है. 2014 के चुनाव में यहां कुल 1330 पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

हरिंदर सिंह खालसा ने इंजीनियरिंग की डिग्री ली है. खालसा 1 सितंबर 2014 से सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्‍थायी समिति, परामर्शदात्री समिति, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के सदस्‍य हैं. खालसा 1998 से 2013 तक अकाली दल में थे. पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इन्होंने AAP का दामन थाम लिया था. 16वीं लोकसभा के दौरान AAP सांसद ने अपने सांसद निधि कोष का 86.16 फीसद रकम का इस्तेमाल विकास के कामों में किया है.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई की तरफ नजर डाली जाए तो काफी कुछ स्पष्ट हो जाता है. पंजाब में पारंपरिक दल कांग्रेस और अकाली दल के राजनीतिक-सत्ता के खेल से ऊबे लोगों के लिए आम आदमी पार्टी एक नई दिशा वाली पार्टी बनकर आई थी.

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फतेहगढ़ साहिब का इतिहास

फतेहगढ़ सिखों की श्रद्धा और विश्‍वास का प्रतीक है. यहीं पर गुरु गोविंद सिंह के दो बेटे साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सरहिंद के तत्‍कालीन फौजदार वजीर खान ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था. उनका शहीदी दिवस आज भी लोग यहां पूरी श्रद्धा से मनाते हैं. फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारों का शहर भी कहा जाता है. इसके अलावा यहां साधना कसाई की मस्जिद सरहिंद में है, यह अद्भुत मस्जिद सरहिंदी ईंटों से बनाई गई है और इसमें टी-शैली की चित्रकारी की गई है. यह मस्जिद पुरातत्‍व विभाग के अधीन सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है.

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