नवादा लोकसभा सीट: महागठबंधन से बिगड़ेगा गिरिराज सिंह का गणित?

नवादा संसदीय सीट के वोटरों का इतिहास ऐसा रहा है कि यहां किसी भी उम्मीदवार को जनता एक बार से ज्यादा बार मौका नहीं देती है. अब तक के 16 लोकसभा चुनावों में सिर्फ एक उम्मीदवार कुंवर राम को ही यहां की जनता ने दोबारा मौका दिया है. कुंवर राम नवादा से 1980 और 1984 में कांग्रेस के टिकट पर जीतकर लोकसभा गए थे.

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नवादा से सांसद गिरिराज सिंह(File Photo) नवादा से सांसद गिरिराज सिंह(File Photo)

संदीप कुमार सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:12 PM IST

बिहार की राजधानी पटना के दक्षिण-पूर्व में 93 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है नवादा जिला. इसका इतिहास मगध साम्राज्य से जुड़ा है. प्राचीन काल में इसका प्रसंग पाडंवों के अज्ञातवास से भी जोड़ा जाता है. नवादा जिला की सीमा दक्षिण में झारखंड के कोडरमा जिले से लगती है. नवादा जिला उर्वर इलाका माना जाता है और मुख्य रूप से गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है. हैंडलूम और बीड़ी जैसे छोटे उद्योगों में भी काफी तादाद में यहां के लोगों को रोजगार मिलता है.

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नवादा से 2014 में चुनाव जीतकर बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह सांसद बने. नवादा सीट का राजनीतिक इतिहास और वर्तमान सियासी तस्वीर काफी रोचक है. यह भूमिहार बहुल इलाका माना जाता है. नवादा संसदीय सीट के वोटरों का इतिहास ऐसा रहा है कि यहां किसी भी उम्मीदवार को जनता एक बार से ज्यादा बार मौका नहीं देती है. अब तक के 16 लोकसभा चुनावों में सिर्फ एक उम्मीदवार कुंवर राम को ही यहां की जनता ने दोबारा मौका दिया है. कुंवर राम नवादा से 1980 और 1984 में कांग्रेस के टिकट पर जीतकर लोकसभा गए थे.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

नवादा लोकसभा सीट पर बीजेपी और आरजेडी के बीच कांटे का मुकाबला रहता है. पिछले कई चुनावों से यहां के मतदाता बीजेपी और आरजेडी को एक-एक कर मौका देते रहते हैं. आजादी के बाद इस सीट से 5 बार कांग्रेस के उम्मीदवार जीते. इसके बाद 1989 और 1991 के चुनाव में यहां से सीपीएम उम्मीदवार की जीत हुई थी. 1996 के चुनाव में यहां बीजेपी ने जीत का खाता खोला. इसके बाद 1998 में आरजेडी उम्मीदवार की जीत हुई. 1999 में नवादा सीट से बीजेपी के संजय पासवान जीतकर लोकसभा पहुंचे. 2004 में फिर आरजेडी को नवादा की जनता ने मौका दिया.

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2009 के चुनाव में बीजेपी ने डॉ. भोला सिंह को नवादा से मौका दिया. उन्होंने एलजेपी की वीणा देवी को हराकर इस सीट पर कब्जा किया. 2014 के चुनाव में बीजेपी ने गिरिराज सिंह को यहां से उतारा. मोदी लहर में गिरिराज सिंह ने आरजेडी के राजवल्लभ प्रसाद को करारी शिकस्त दी. बाहुबली सूरजभान ने 2009 में यहां से चुनाव लड़ा था. उनकी पत्नी वीणा देवी भी यहां से चुनाव लड़ चुकी हैं. 2014 में वीणा देवी लोजपा के टिकट पर मुंगेर से जीतकर सांसद बनीं.

नवादा सीट का समीकरण

नवादा संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 1,397,512 है. जिनमें से 652,177 महिला मतदाता और 745,335 पुरुष मतदाता हैं. 2014 के चुनाव में गिरिराज सिंह बाहरी उम्मीदवार थे लेकिन उन्होंने आरजेडी के बाहुबली नेता राजवल्लभ प्रसाद को शिकस्त दी. अब राजवल्लभ प्रसाद को रेप के केस में उम्रकैद की सजा हो चुकी है. महागठबंधन के लिए यहां भूमिहार वोटों में बिखराव और मुस्लिम-यादव वोटों के समीकरण से ही कुछ उम्मीद बन सकती है.

विधानसभा सीटों का समीकरण

नवादा संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- बरबीघा, रजौली, हिसुआ, नवादा, गोबिंदपुर और वारसलीगंज. इनमें से रजौली सुरक्षित सीट है. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इनमें से 2-2 सीटें कांग्रेस-आरजेडी और बीजेपी के खाते में गईं.

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2014 चुनाव का जनादेश

16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए चुनाव में नवादा सीट से बीजेपी के गिरिराज सिंह जीते थे. उन्होंने आरजेडी के राजवल्लभ यादव को हराया था. गिरिराज सिंह 3,90,248 वोटों के साथ विजयी रहे थे. वहीं राजवल्लभ यादव को 2,50,091 वोट हासिल हुए थे. तीसरे नंबर पर जेडीयू के कौशल यादव रहे जिन्हें 1,68,217 वोट मिले.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

नवादा से सांसद गिरिराज सिंह बीजेपी के फायरब्रांड माने जाते हैं और बीजेपी में नरेंद्र मोदी के बड़े समर्थक. अपने बयानों के लिए वे अक्सर विवादों में आते रहते हैं. 16वीं लोकसभा के दौरान उन्होंने 8 बहसों में हिस्सा लिया. विभिन्न मुद्दों से जुड़े 8 सवाल उन्होंने पूछे. वे संसद की कई समितियों में भी शामिल रहे. गिरिराज सिंह 2014 में चुनाव जीतकर मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री बने. इससे पहले 2005 से 2010 के बीच वे बिहार के सहकारिता मंत्री और 2010 से 2013 के बीच बिहार के पशुपालन मंत्री रह चुके हैं.

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