औरंगाबाद लोकसभा सीट: राजपूत बहुल सीट, 1952 से रिकॉर्ड बरकरार

राज्य के पहले उप मुख्यमंत्री डॉ. अनुग्रह नारायण सिन्हा और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह औरंगाबाद से आते हैं. उनके परिवार का औरंगाबाद लोकसभा सीट पर दबदबा माना जाता है. निखिल कुमार और उनकी पत्नी श्यामा सिंह भी कांग्रेस की ओर से यहां से सांसद चुने गए. निखिल कुमार राज्यपाल भी बने.

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2014 में बीजेपी जीती थी ये सीट 2014 में बीजेपी जीती थी ये सीट

संदीप कुमार सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 15 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:21 PM IST

औरंगाबाद दक्षिणी बिहार में जीटी रोड पर स्थित जिला है और मगध संस्कृति का केंद्र माना जाता है. इस शहर का नाम मुगल बादशाह औरंगजेब के नाम पर रखा गया था. औरंगाबाद बिहार की राजधानी पटना से 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां की प्रमुख बोली मगही है. औरंगाबाद देव सूर्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध है.

राजपूत बहुल औरंगाबाद को बिहार का चित्तौड़गढ़ कहा जाता है. 1952 के पहले चुनाव से अबतक यहां से सिर्फ राजपूत उम्मीदवार ही चुनाव जीते हैं. बिहार विभूति और राज्य के पहले उप मुख्यमंत्री डॉ. अनुग्रह नारायण सिन्हा और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह औरंगाबाद से आते हैं. उनके परिवार का औरंगाबाद लोकसभा सीट पर दबदबा माना जाता है. निखिल कुमार और उनकी पत्नी श्यामा सिंह भी कांग्रेस की ओर से यहां से सांसद चुने गए. निखिल कुमार राज्यपाल भी बने.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

औरंगाबाद संसदीय सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह और उनके परिवार का इस सीट पर दबदबा माना जाता है. आजादी के बाद 1952 के पहले चुनाव में यहां से सत्येंद्र नारायण सिंह जीतकर लोकसभा पहुंचे. उन्होंने इस सीट से 7 बार लोकसभा चुनाव जीता. उनके परिवार से 1999 में कांग्रेस की श्यामा सिंह, फिर 2004 में निखिल कुमार जीते. तीन चुनावों में ये सीट जनता दल के हाथ में गई. 1998 में समता पार्टी के सुशील कुमार सिंह इस सीट से जीतने में कामयाब रहे. 2009 के चुनाव में सुशील कुमार सिंह ने जेडीयू और 2014 में बीजेपी के टिकट पर इस सीट से जीत हासिल की.

औरंगाबाद महान मगध साम्राज्य का केंद्र रहा है. बिम्बिसार, अजातशत्रु, चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक जैसे शासकों ने यहां राज किया. मध्यकाल में शेरशाह सूरी के काल में रोहतास सरकार के नाम से इस इलाके का सामरिक महत्व फिर से स्थापित हुआ. मुगल शासन में यहां अफगान शासक टोडरमल के कारण अफगान संस्कृति का भी प्रभाव देखा जाता है.

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आद्री समेत कई नदियों के पानी से सिंचित ये इलाका काफी उर्वर इलाका माना जाता है. धान-गेंहू यहां प्रमुखता से उगाया जाता है. 25 लाख की आबादी वाले औरंगाबाद में औसत साक्षरता दर है 70.32 फीसदी.

औरंगाबाद सीट का समीकरण

औरंगाबाद लोकसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 1,376,323 है जिनमें से पुरुष मतदाता 738,617 और महिला मतदाता 637,706 हैं.

विधानसभा सीटों का समीकरण

औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- कुटुम्बा, औरंगाबाद, रफीगंज, गुरुआ, इमामगंज और टिकारी. इनमें से दो सीटें कुटुम्बा और इमामगंज रिजर्व सीटें हैं. 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में इन 6 सीटों में से दो कांग्रेस, दो जेडीयू, 1 बीजेपी और एक सीट हम के खाते में गई. हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी इमामगंज सीट से विधायक चुने गए.

2014 चुनाव का जनादेश

16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के सुशील कुमार सिंह जीते. वे जेडीयू से बीजेपी में आए थे. सुशील कुमार सिंह को 307941 वोट मिले और उन्होंने कांग्रेस के निखिल कुमार को हराया. निखिल कुमार को 241594 वोट मिले. जेडीयू के बागी कुमार वर्मा 136137 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

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2014 में औरंगाबाद से बीजेपी के नेता सुशील कुमार सिंह जीतकर संसद पहुंचे. राजनीतिक शास्त्र में स्नातकोत्तर तक उन्होंने शिक्षा हासिल की है. लोकसभा में वे काफी सक्रिय रहते हैं. 16वीं लोकसभा के दौरान सुशील कुमार सिंह ने 66 बहसों में हिस्सा लिया. 4 प्राइवेट मेंबर बिल वे संसद में लेकर आए. जनहित के विभिन्न मुद्दों पर 371 सवाल उन्होंने संसद के पटल पर पूछे.

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