अस्का लोकसभा सीट: यहीं से नवीन पटनायक ने संभाली थी पिता की सियासी विरासत

Aska Lok Sabha constituency लोकसभा चुनाव 1996 में इस सीट से जनता दल के टिकट पर ओडिशा के पूर्व सीएम बीजू पटनायक चुनावी दंगल में उतरे और जीत हासिल की. 17 अप्रैल 1997 को 81 साल की आयु में उनका निधन हो गया. इसके बाद उनकी राजनीतिक विरासत उनके बेटे नवीन पटनायक ने संभाली.

Advertisement
 फोटो-twitter/Naveen_Odisha फोटो-twitter/Naveen_Odisha

पन्ना लाल

  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:30 PM IST

अस्का लोकसभा सीट ओडिशा के दक्षिणी भाग में स्थित है. इसके दक्षिण में आंध्र प्रदेश है. जबकि पूरब में बंगाल की खाड़ी है. ये लोकसभा सीट गंजाम जिले में स्थित है. गंजाम जिले का इतिहास यहां पर बने विशाल और भव्य गंजाम किले से जुड़ा हुआ है. अस्का लोकसभा सीट बीजू जनता दल का मजबूत किला रहा है. इस सीट से ओडिशा के पूर्व सीएम बीजू पटनायक और उनके बेटे नवीन पटनायक सांसद का चुनाव रह चुके हैं. इसी लोकसभा सीट के तहत पड़ने वाली हिंजली विधानसभा से वर्तमान सीएम नवीन पटनायक चुनाव जीते हैं. 2014 में भी इस सीट से बीजेडी कैंडिडेट ने जीत का परचम लहराया था.

Advertisement

राजनीतिक पृष्ठभूमि

1977 से पहले अस्का लोकसभा भांजनगर लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था, लेकिन परिसीमन के बाद इस सीट को अस्का कहा जाने लगा. यहां पर पहली बार 1962 में लोकसभा चुनाव हुए थे. तब कांग्रेस ने यहां से जीत हासिल की थी. 1967 में भी कांग्रेस यहां से जीती. 1971 में इस सीट पर कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने यहां से जीत हासिल की. 1977 में देश भर में कांग्रेस विरोधी लहर के बावजूद इस सीट से कांग्रेस के रामचंद्र रथ जीते. 1980 और 84 में भी कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा. 1989 में जनता दल ने इस सीट पर अपना खाता खोला और अनंत नारायण सिंह देव चुनाव जीते. 1991 में यहां कांग्रेस ने फिर से वापसी की और राम चन्द्र रथ चुनाव जीते.

Advertisement

1996 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से जनता दल के टिकट पर ओडिशा के पूर्व सीएम बीजू पटनायक चुनावी दंगल में उतरे और जीत हासिल की. 17 अप्रैल 1997 को 81 साल की आयु में उनका निधन हो गया. इसके बाद उनकी राजनीतिक विरासत उनके बेटे नवीन पटनायक ने संभाली. 1997 में हुए उपचुनाव में वह अस्का सीट से जनता दल के टिकट पर उतरे. नवीन पटनायक यहां विजयी रहे.

चुनाव जीतने के तुरंत बाद उन्होंने जनता दल से नाता तोड़ अपने पिता के नाम पर नई पार्टी बीजू जनता दल का का गठन किया. 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में भी नवीन पटनायक ने यह सीट अपने नाम बरकरार रखी. वर्ष 2000 में बीजेपी संग चुनाव लड़कर बीजेडी ने ओडिशा विधानसभा में बहुमत हासिल की. नवीन पटनायक सीएम बने. वर्ष 2000 में इस सीट पर एक बार फिर से उपचुनाव हुआ. इस बार बीजेडी की ही कुमुदनी पटनायक चुनाव जीतीं. 2004 के लोकसभा चुनाव में यहां से हरिहर स्वैन चुनाव जीते. 2009 में इस सीट से बीजेडी के नित्यानंद प्रधान को जीत मिली. 2014 में बीजेडी के लडू किशोर स्वैन यहां से जीते. लडू किशोर स्वैन अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सके और 6 फरवरी 2019 को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया.

Advertisement

सामाजिक ताना-बाना

अस्का लोकसभा सीट ओडिशा के गंजाम जिले में स्थित है. इस जिले में  माओवादियों का प्रभाव देखने को मिलता है. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 18 लाख 88 हजार 187 है. इस इलाके की 89.21 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण इलाके में रहती है, जबकि 10.79 प्रतिशत आबादी शहरी है. यहां पर अनुसूचित जाति का आंकड़ा कुल आबादी का 20.06 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति का हिस्सा 2.98 प्रतिशत है.

चुनाव आयोग के 2014 के आंकड़ों के मुताबिक अस्का लोकसभा सीट पर 14 लाख 08 हजार 780 वोट थे. यहां पर पुरुष मतदाताओं की संख्या 7 लाख 50 हजार 999 थी. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 6 लाख 57 हजार 781 थी.

अस्का लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं. ये सीटें हैं पोलसारा, कविसूर्यनगर, खालीकोट, अस्का, सुरादा, सनाखेमुंडी, हिंजली. 2014 के विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों बीजू जनता दल ने जीत हासिल की थी. हिंजली सीट से नवीन पटनायक खुद विधायक हैं.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेडी के लडू किशोर स्वैन ने सवा तीन लाख की मार्जिन से बंपर जीत हासिल की थी. बीजेडी कैंडिडेट लडू किशोर स्वैन को 5 लाख 41 हजार 473 वोट मिले थे. जबकि दूसरे स्थान पर रहे श्रीलोकनाथ रथ को 2 लाख 29 हजार 476 वोट मिले. इस सीट से बीजेपी ने भी अपनी चुनौती पेश की, लेकिन पार्टी का परफॉर्मेंस कुछ खास नहीं रहा. पार्टी उम्मीदवार महेश चंद्र मोहंती को 67 हजार 361 वोट मिले. AAP ने भी यहां से पिछला लोकसभा चुनाव लड़ा और 11 हजार वोट हासिल किए. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां पर 63.62 प्रतिशत मतदान हुआ था.

Advertisement

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

71 साल के लडू किशोर स्वैन का लोकसभा में यह पहली पारी थी. गंजाम जिले के निवासी लडू किशौर स्वैन जब तक जीवित रहे सियासत के अलावा सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे. 2 बेटों और एक बेटियों के पिता लडू किशोर स्वैन सांसद बनने से पहले पंचायत और जिला परिषद का चुनाव लड़ चुके है.

16वीं लोकसभा में लडू किशोर स्वैन सदन की 287 बैठकों में हाजिर रहे. सदन में उपस्थिति का इनका आंकड़ा 89.41 प्रतिशत रहा. सदन में इन्होंने 56 सवाल पूछे. बीजेडी सांसद स्वैन अबतक लोकसभा की 15 डिबेट्स में हिस्सा ले चुके थे. सांसद निधि फंड के तहत इन्होंने 16.64 करोड़ रुपये विकास के अलग अलग कामों पर खर्च किए थे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement