बदायूं लोकसभा सीट: धर्मेंद्र यादव के सामने सपा का परचम लहराने की चुनौती?

Badaun Loksabha constituency 2019 का लोकसभा चुनाव अपने आप में ऐतिहासिक होने जा रहा है. लोकसभा सीटों के लिहाज से सबसे बड़ा प्रदेश उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट क्यों है खास, इस लेख में पढ़ें...

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धर्मेंद्र यादव धर्मेंद्र यादव

मोहित ग्रोवर

  • नई दिल्ली,
  • 06 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:39 PM IST

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बदायूं लोकसभा क्षेत्र समाजवादी पार्टी का गढ़ है. पिछले 6 लोकसभा चुनाव से समाजवादी पार्टी इस सीट पर अजेय है. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव अभी यहां से सांसद हैं. वह लगातार दो बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं. बीते चुनाव में मोदी लहर होने के बावजूद समाजवादी पार्टी यहां से बड़े अंतर से जीती, ऐसे में अब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के बाद भी भारतीय जनता पार्टी की जीत इतनी आसान नहीं दिख रही है.

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बदायूं लोकसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि

बीते करीब दो दशक में समाजवादी पार्टी का गढ़ बन चुकी बदायूं लोकसभा सीट पर शुरुआती दौर में कांग्रेस का मिला जुला असर था. शुरुआती दो चुनाव में यहां कांग्रेस के उम्मीदवार जीते, लेकिन 1962 और 1967 में यहां भारतीय जनसंघ ने चुनाव बड़े अंतर से जीता. अगर 1977 चुनाव को छोड़ दें तो कांग्रेस ने 1971, 1980 और 1984 का चुनाव इस सीट से जीता.

लेकिन इसके बाद कांग्रेस इस सीट पर कभी कांग्रेस वापसी नहीं कर पाई. 1989 का चुनाव जनता दल के खाते में गया और 1991 में भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर कब्जा जमाया. 1996 में समाजवादी पार्टी के सलीम इकबाल ने यहां पर चुनाव जीता, जिसके बाद यहां सपा का एक छत्र राज शुरू हुआ. सलीम इकबाल ने लगातार चार बार यहां से चुनावी परचम लहराया.

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2009 में इस सीट पर यादव परिवार की एंट्री हुई और मुलायम सिंह के भतीजे धर्मेंद्र यादव ने जीत दर्ज की. पिछले चुनाव में भी उन्होंने आसानी से बीजेपी के प्रत्याशी को मात दी.

बदायूं लोकसभा सीट का समीकरण

बदायूं लोकसभा सीट में यादव और मुस्लिम मतदाताओं का वर्चस्व है. यहां दोनों ही मतदाता करीब 15-15 फीसदी हैं. 2014 के आंकड़ों के अनुसार यहां करीब 18 लाख मतदाता हैं, इसमें 9.7 लाख पुरुष और 7.9 लाख महिला मतदाता हैं.

बदायूं लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें गुन्नौर, बिसौली, सहसवान, बिल्सी और बदायूं शामिल हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इसमें से सिर्फ सहसवान सीट पर ही समाजवादी पार्टी जीत पाई थी, जबकि बाकी सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने बाजी मारी थी.

2014 में कैसा रहा जनादेश

पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने यहां एक तरफा जीत हासिल की, उन्हें करीब 48 फीसदी वोट मिले थे. 2014 में मोदी लहर के भरोसे चुनाव में उतरी बीजेपी का जादू यहां नहीं चला और उनके उम्मीदवार को सिर्फ 32 फीसदी ही वोट मिले थे. 2014 के चुनाव में इस सीट पर कुल 58 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें से करीब 6200 वोट NOTA में गए थे.

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सांसद का प्रोफाइल और प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से आने वाले धर्मेंद्र यादव मुलायम सिंह यादव के भतीजे हैं. धर्मेंद्र सिंह यादव मुलायम सिंह के बड़े भाई अभय राम यादव के बेटे हैं. वह इस सीट से लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं. अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने बतौर ब्लॉक प्रमुख के तौर पर की थी. 2004 में वह मैनपुरी से उपचुनाव जीते थे, लेकिन 2009 और 2014 में उन्होंने यहां से जीत दर्ज की.

2004 से ही वह संसद में कई कमेटियों का सदस्य हैं. ADR के आंकड़ों के अनुसार उनके पास 2 करोड़ से अधिक की संपत्ति है. धर्मेंद्र यादव ने अपनी सांसद नीधि से करीब 75 फीसदी राशि खर्च की.

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