अमरोहा लोकसभा सीट: अरबपति सांसद क्या फिर लगाएंगे BJP का बेड़ा पार?

Amroha Loksabha constituency 2019 का लोकसभा चुनाव अपने आप में ऐतिहासिक होने जा रहा है. लोकसभा सीटों के लिहाज से सबसे बड़ा प्रदेश उत्तर प्रदेश की अमरोहा लोकसभा सीट क्यों है खास, इस लेख में पढ़ें...

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कंवर सिंह तंवर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कंवर सिंह तंवर

मोहित ग्रोवर

  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:48 PM IST

जौन एलिया जैसे सरीखे शायरों की नगरी कही जाने वाली उत्तर प्रदेश की अमरोहा पर सभी की नजरें टिकी हैं. मुस्लिम बहुल इस सीट पर 2014 में सभी को चौंकाते हुए भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. मुस्लिमों के अलावा इस सीट पर जाटों का भी वर्चस्व रहा है. मेरठ, मुरादाबाद और संभल से सटा अमरोहा बीते दिनों NIA की छापेमारी के कारण सुर्खियों में भी रहा था. इस लोकसभा चुनाव यहां वोटर किस करवट रुख करेंगे इस पर सभी की निगाहें हैं.

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अमरोहा लोकसभा सीट का इतिहास

1952 से लेकर 1971 तक इस सीट पर शुरुआती तीन बार कांग्रेस और फिर लगातार दो बार सीपीआई ने जीत दर्ज की थी. 1977, 1980 में जनता पार्टी, 1984 में कांग्रेस और 1989 में एक बार फिर जनता दल ने यहां जीत दर्ज की. 1991, 1998 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान सांसद चुने गए.

इस लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा सीटों में वर्चस्व रखने वाली समाजवादी पार्टी सिर्फ 1996 में यहां से चुनाव जीत पाई है. 1999 में बहुजन समाज पार्टी के राशिद अल्वी ने चुनाव जीता, 2004 में ये सीट निर्दलीय और 2009 में रालोद के खाते में गई.

अमरोहा लोकसभा सीट का समीकरण

अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में करीब 16 लाख वोटर हैं, इनमें से 829446 वोटर पुरुष और 714796 महिला वोटर हैं. 2014 में यहां करीब 71 फीसदी मतदान हुआ था. जबकि 7779 वोट NOTA को गए थे. इस सीट पर दलित, सैनी और जाट वोटर अधिक मात्रा में हैं, जबकि मुस्लिम वोटरों की संख्या भी 20 फीसदी से ऊपर है.

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अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें धनौरा, नौगावां सादत, अमरोहा, हसनपुर और गढ़मुक्तेश्वर भी शामिल हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इनमें से सिर्फ अमरोहा सीट ही समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी, जबकि अन्य सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा था.

2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे  

2014 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के कंवर सिंह तंवर जीत कर आए, उन्होंने समाजवादी पार्टी के हुमैरा अख्तर को करीब 1 लाख वोटों से मात दी. तीसरे नंबर पर रही बहुजन समाज पार्टी को भी यहां करीब पंद्रह फीसदी वोट मिला. विश्लेषकों के अनुसार, मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में मुस्लिम वोटर सपा-बसपा में बंट गया और भारतीय जनता पार्टी जाट, दलित समेत अन्य जातियों को साधने में सफल रही थी.

कंवर सिंह तंवर, भारतीय जनता पार्टी, कुल वोट मिले 528,880, 48.3%

हुमैरा अख्तर, समाजवादी पार्टी, कुल वोट मिले 370,666, 33.8%

फरहत हसन, बहुजन समाज पार्टी, कुल वोट मिले 162,983, 14.9%

सांसद कंवर सिंह तंवर का प्रोफाइल

देश के सबसे अमीर सांसदों में से एक कंवर सिंह तंवर को महंगी गाड़ियां रखने का काफी शौक है. इनके काफिले में लैंड क्रूज़, बीएमडब्ल्यू जैसी गाड़ियां शामिल हैं. 2014 में वह पहली बार सांसद चुने गए. 2011 में कंवर सिंह तंवर के बेटे की शादी हुई थी, जिसने काफी सुर्खियां बटोरीं थीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके बेटे की शादी में करोड़ों का खर्च हुआ था. ADR के आंकड़ों के अनुसार, उनके पास 178 करोड़ से अधिक की संपत्ति है. इनमें 141 करोड़ की अचल संपत्ति और बाकी चल संपत्ति शामिल है.

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पहली बार सांसद चुने गए कंवर सिंह तंवर ने सदन की 21 बहस में हिस्सा लिया. उन्होंने अपने कार्यकाल में कुल 343 सवाल पूछे और सरकार की ओर से एक बिल भी पेश किया. वह संसद में स्वास्थ्य से जुड़ी स्टैंडिंग कमेटी के भी हिस्सा हैं. सांसद निधि के तहत मिलने वाले 25 करोड़ रुपये के फंड में से उन्होंने कुल 77.96 फीसदी रकम खर्च की.

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