सियासत के पुराने खिलाड़ी हैं एचडी देवगौड़ा, तय किया विधायक से प्रधानमंत्री तक का सफर

एचडी देवगौड़ा के राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस के साथ हुई और वह 1953-62 तक कांग्रेस के सदस्य रहे. साल 1962 में वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर होलेनारासिपुरा सीट से पहली बार विधायक चुने गए. इसके बाद 1989 तक लगातार 6 बार देवगौड़ा इसी सीट से विधानसभा चुनाव जीतते रहे.

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एचडी देवगौड़ा (फाइल फोटो) एचडी देवगौड़ा (फाइल फोटो)

अनुग्रह मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 12:27 AM IST

आज अगर बात हो कि देश के सबसे वरिष्ठ राजनेता कौन हैं तो बेहिचक उस फेहरिस्त में पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा का नाम सबसे ऊपर आएगा. वह देश के 11वें प्रधानमंत्री रहे और उनके पास करीब 60 साल का राजनीतिक अनुभव है. विधायक से राजनीतिक सफर शुरू करते हुए देवगौड़ा सांसद, कर्नाटक के मुख्यमंत्री और फिर देश के प्रधानमंत्री चुने गए.

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देवगौड़ा का जन्म 18 मई 1933 के कर्नाटक के एक वोक्कालिंग परिवार हुआ, जो समुदाय ओबीसी वर्ग में आता है. उनके पिता डी. गौड़ा धान की खेती करते थे और मां का नाम देवाम्मा था. 50 के दशक में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद देवगौड़ा की शादी चेन्नमा से हुई, जिनसे उनकी 6 संतान हैं. उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं. एक और बेटे एचडी रेवन्ना कर्नाटक विधानसभा में विधायक हैं.

पहली बार 1962 में बने विधायक

एचडी देवगौड़ा के राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस के साथ हुई और वह 1953-62 तक कांग्रेस के सदस्य रहे. साल 1962 में वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर होलेनारासिपुरा सीट से पहली बार विधायक चुने गए. इसके बाद 1989 तक लगातार 6 बार देवगौड़ा इसी सीट से विधानसभा चुनाव भी जीतते रहे. साल 1972-77 तक वह विधानसभा में नेता विपक्ष भी रहे और आपातकाल के दौरान 2 साल बेंगलुरु की जेल में कैद भी रहे.

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राज्य के 14वें मुख्यमंत्री

एचडी देवगौड़ा आपातकाल में इंदिरा गांधी के विरोध के बाद वह 2 बार कर्नाटक में जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे. उन्होंने साल 1983 से 1988 के बीच वह कर्नाटक की जनता पार्टी सरकार में मंत्री पद भी संभाला. इसके बाद 1994 में उन्हीं की अगुवाई में जनता दल ने कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की और उन्हें राज्य का 14वां मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया. मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान देवगौड़ा ने कई वैश्विक मंचों पर जाकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों से कर्नाटक में निवेश की अपील भी की.

देवगौड़ा ऐसे बने प्रधानमंत्री

साल 1996 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पीवी नरसिम्हा राव की अगुवाई में चुनाव हार गई लेकिन किसी अन्य दल को भी सरकार गठन के लिए पर्याप्त सीटें हासिल नहीं हो पाईं. इसके बाद गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी क्षेत्रीय दलों के गुट यूनाईटेड फ्रंट ने कांग्रेस के समर्थन से केंद्र में सरकार बनाने की योजना बनाई. ऐसे में देवगौड़ा के नाम पर मुहर लगाई गई और वह देश के 11वें प्रधानमंत्री बने. हालांकि प्रधानमंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा और उन्हें एक जून 1996 से 11 अप्रैल 1997 तक ही पीएम की कुर्सी पर बैठने का मौका मिला. देवगौड़ा ने प्रधानमंत्री रहने के दौरान फरक्का बांध मुद्दे का हल निकाला, साथ ही बेंगलुरु को IT का हब बनाने में अहम योगदान दिया.

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जेडीएस के अध्यक्ष

साल 1999 में जनता दल के कुछ नेताओं ने बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल होने का फैसला किया. इसके बाद जनता दल दो धड़ों में बंट गया और फिर जेडीएस की स्थापना हुई. देवगौड़ा इसके अध्यक्ष चुने गए. हालांकि 1999 के लोकसभा चुनाव में इस दल को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. लेकिन तब तक कर्नाटक की राजनीति में जेडीएस ने अपना जनाधार कायम करना शुरू कर दिया था.

कर्नाटक में फिलहाल जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार है. यहां की हासल लोकसभा सीट से एचडी देवगौड़ा लोकसभा सांसद हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में देवगौड़ा हासन से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि उन्होंने इस सीट से अपने पोते प्रज्वल रेवन्ना को जेडीएस उम्मीदवार घोषित किया है. 

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