कुमारस्वामी के मंच पर दिखा पूरा विपक्ष, शामिल नहीं हो सके ओवैसी

ओवैसी अगर देश में होते और समारोह में शामिल हुए होते तो मंच पर मौजूद विपक्ष के तमाम दिग्गजों के साथ उनकी मौजूदगी नए राजनीतिक समीकरणों का संकेत देती. तब ये जानना दिलचस्प होता कि बाकि विपक्षी नेता मंच पर उनके साथ कितने सहज हैं.

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कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण में विपक्ष के नेता, इनसेट में ओवैसी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण में विपक्ष के नेता, इनसेट में ओवैसी

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली/बेंगलुरु,
  • 24 मई 2018,
  • अपडेटेड 12:08 PM IST

कर्नाटक में बुधवार को हुए कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के शपथ ग्रहण के मौके पर पूरा विपक्ष एकजुट हुआ, लेकिन जेडीएस को समर्थन देने वाले एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी इस समारोह में शामिल नहीं हो सके. गौरतलब है कि जेडीएस को चुनाव जिताने के लिए ओवैसी ने न सिर्फ उसे समर्थन नहीं था  बल्कि पार्टी के पक्ष में प्रचार भी किया था. लेकिन शपथ ग्रहण में वो नजर नहीं आए क्योंकि वे पिछले कई दिन से देश से बाहर हैं.

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ओवैसी अगर देश में होते और समारोह में शामिल हुए होते तो मंच पर मौजूद विपक्ष के तमाम दिग्गजों के साथ उनकी मौजूदगी नए राजनीतिक समीकरणों का संकेत देती. तब ये जानना दिलचस्प होता कि बाकि विपक्षी नेता मंच पर उनके साथ कितने सहज हैं क्योंकि शपथ ग्रहण समारोह में इन तमाम नेताओं ने सिर्फ अपनी मौजूदगी भर नहीं दर्ज कराई बल्कि एक-दूसरे का हाथ पकड़कर जनता का अभिवादन किया जिनमें एक नया राजनीतिक संकेत छुपा हुआ है.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कर्नाटक चुनाव में अपनी पार्टी के किसी उम्मीदवार को न लड़ाने का फैसला करके सबको चौंका दिया था, जबकि पहले उन्होंने करीब 35 मुस्लिम बहुल सीटों पर लड़ने का मन बनाया था. इसके लिए उन्होंने बाकायदा उम्मीवारों का चयन भी कर लिया था.

ओवैसी पर अक्सर बीजेपी को फायदा पहुंचाने के आरोप लगते रहे हैं. यूपी और बिहार में उनकी पार्टी के चुनाव लड़ने पर ये बातें कहीं गई थी. माना जाता है कि इसी के मद्देनजर उन्होंने कर्नाटक में पार्टी उम्मीदवार को उतारने के बजाए जेडीएस को समर्थन करने का फैसला किया. ओवैसी ने जेडीएस उम्मीदवारों को जिताने के लिए जमकर प्रचार भी किया.

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बता दें कि कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान जेडीएस को बीजेपी की बी टीम बता रही थी. राहुल गांधी ने एक जनसभा में कहा था, 'जनता दल (एस) में 'एस' का मतलब सेक्युलर नहीं बल्कि संघ परिवार है.' हालांकि राहुल गांधी के बयान को राजनीतिक गलियारों में मुस्लिम वोटों को जेडीएस की तरफ खिसकने से बचाने की एक रणनीति के तैयार पर देखा गया था.

कर्नाटक चुनाव नतीजे आए तो 37 सीटों के साथ जेडीएस किंगमेकर की भूमिका में आ गई. 104 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी और कांग्रेस को 78 सीटें मिली. येदियुरप्पा ने सीएम की शपथ ली, लेकिन बहुमत साबित करने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कांग्रेस-जेडीएस ने हाथ मिलाया और सत्ता की कमान कुमारस्वामी को मिली.

कर्नाटक चुनाव नतीजों के ऐलान के बाद कांग्रेस द्वारा कुमारस्वामी को सीएम बनाने की पेशकश के बाद औवैसी ने ट्वीट करके कुमारस्वामी को बधाई दी थी. ओवैसी ने ट्वीट करके लिखा था, 'मैंने एचडी कुमारस्वामी से बात की और उनकी पार्टी को जीत के लिए बधाई दी. मुझे पूरा भरोसा है कि बतौर सीएम संवैधानिक जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभाएंगे.'

कुमारस्वामी की ताजपोशी में पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक के गैर बीजेपी नेता शामिल हुए. यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बसपा प्रमुख मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, आरएलडी अध्यक्ष अजीत सिंह, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और सीपीआई के डी. राजा सहित विपक्ष के सभी नेता मौजूद थे, लेकिन जेडीएस को समर्थन करने वाले ओवैसी नजर नहीं आए.

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