गुजरात चुनाव: छुट्टी लेकर भी नहीं डाले वोट तो अगले दिन HR नोटिस बोर्ड पर चिपका देगा नाम

गुजरात चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने वहां की लगभग 1000 कंपनियों से समझौता किया है, और वैसे स्टाफ को मतदान केंद्र भेजने की पहल कर रहा है जो वोटिंग के दिन छुट्टी लेकर भी मतदान नहीं करते हैं. चुनाव आयोग ने कहा है कि ऐसे स्टाफ का नाम कंपनी की वेबसाइट या दफ्तर के नोटिस बोर्ड पर डाला जाए.

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वोट न करने वालों को पहचानने के लिए कवायद वोट न करने वालों को पहचानने के लिए कवायद

aajtak.in

  • अहमदाबाद,
  • 18 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST

अगर आप गुजरात के नागरिक हैं, गुजरात की किसी कंपनी में काम करते हैं और इस बार मतदान के दिन छुट्टी लेकर भी आप वोट डालने नहीं गए तो अगले दिन आप पाएंगे कि आपका नाम ऑफिस के नोटिस बोर्ड पर लिखा है. इस व्यवस्था को लागू करने के लिए चुनाव आयोग ने 1000 से ज्यादा कॉरपोरेट हाउस के साथ समझौता किया है. 

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इस समझौते में कहा गया है कि कंपनियां चुनाव में अपने वर्कफोर्स की भागीदारी बढ़ाएंगी यानी कि उन्हें वोट देने के लिए प्रेरित करेंगी. ऐसे लोग जो वोट नहीं डालते हैं, कंपनी ऐसे लोगों का नाम अपनी वेबसाइट या नोटिस बोर्ड पर डाल देगा. 

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार गुजरात के मुख्य चुनाव अधिकारी पी भारती ने कहा है कि हमने 233 मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन साइन किए हैं. इससे हमें चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों को लागू करने में मदद मिलेगी. पहली बार गुजरात में हमलोग 1017 औद्योगिक इकाइयों में काम कर रहे वर्कफोर्स के चुनाव में भागादारी की निगरानी करेंगे. 

बता दें कि चुनाव आयोग ने जून में केंद्र और राज्य सरकार के विभागों और सरकारी कंपनियों को कहा था कि जिनके यहां 500 से ज्यादा स्टाफ हैं वे एक नोडल ऑफिसर की नियुक्ति करें और ऐसे लोगों का पता लगाएं जो मतदान के दिन छुट्टी लेते हैं लेकिन वोट नहीं करते हैं. 

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नोटिस बोर्ड पर नाम डालेगा HR

पी भारती ने कहा कि ऐसी कंपनियों में एचआर के पदाधिकारी वोट न डालने वाले कर्मचारियों की लिस्ट तैयार करेगा और इनके नाम कंपनी के नोटिस बोर्ड अथवा वेबसाइट पर डालेगा. सरकारी उपक्रमों में काम करने वाले ऐसे लोगों का भी पता लगाया जाएगा जो मतदान के दिन छुट्टी लेकर वोट नहीं डालते हैं. 

बता दें कि जनप्रितिनिधित्व कानून 1951 की धारा 135बी के अनुसार कोई भी मतदाता जो किसी भी बिजनेस, उद्योग या व्यावसायिक उपक्रम में काम करता है वह संसदीय या विधानसभा चुनाव में मतदान करने के लिए पेड लीव का हकदार है.  

हाल ही में गुजरात दौरे के समय मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा था कि चुनाव आयोग अनिवार्य मतदान को लागू नहीं कर सकता है, लेकिन ऐसे लोगों की पहचान करना चाहते हैं. 

वोट न करने वालों को पहचानने का प्रयास

यह पूछे जाने पर कि क्या यह अनिवार्य मतदान की दिशा में एक कदम है, उन्होंने कहा, "चूंकि मतदान अनिवार्य नहीं है, यह उन लोगों की पहचान करने का प्रयास है जो मतदान नहीं करते हैं."

बता दें कि गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव में 69 प्रतिशत और 2019 के लोकसभा चुनाव में 64 प्रतिशत मतदान हुआ था. मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार  2017 में कम मतदान वाले मतदान केंद्रों की पहचान कर ली गई है. 

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गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (GCCI) ने कहा कि उसके अधिकांश सदस्य MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) इकाइयों में काम करते हैं, इसलिए वे मतदान के दिन श्रमिकों को छुट्टी देने में सक्षम नहीं हो सकते हैं. जीसीसीआई के अध्यक्ष पथिक पटवारी ने कहा, "चुनाव आयोग के साथ हमारे समझौते के अनुसार, हम अपने कार्यकर्ताओं को बाहर जाने और मतदान करने की सुविधा प्रदान करेंगे. हम छुट्टी नहीं दे पाएंगे, लेकिन हम एक समय स्लॉट आवंटित करेंगे और परिवहन की व्यवस्था करेंगे. यह सुविधा केवल स्थानीय श्रमिकों के लिए होगी. 

चुनाव आयोग कुछ ही दिनों में गुजरात के लिए चुनाव की घोषणा करने वाला है. 
 

 

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