बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्रः बदले हालात में NDA को मात दे पाएगा महागठबंधन?

बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र में इस बार पिछले चुनाव की अपेक्षा हालात अलग हैं. इस बार पिछले चुनाव की दो प्रतिद्वंदी पार्टियां जेडीयू और भाजपा साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

बिकेश तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:25 PM IST
  • 2010 में अस्तित्व में आर्ई थी सीट
  • जनता दल यूनाइटेड का है कब्जा
  • 2015 में भाजपा से हुआ था मुकाबला

बिहारीगंज विधानसभा चुनाव में तीसरे चरण के तहत 7 नवंबर को मतदान हुआ था. इस सीट पर कुल 60.19% फीसदी वोटरों ने वोट डाला था. 

मधेपुरा जिले की बिहारीगंज विधानसभा सीट साल 2010 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. पूर्णिया जिले से सटी इस विधानसभा सीट पर सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड का कब्जा है. विकास के लिहाज से काफी पिछड़े इस विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू के निरंजन कुमार मेहता विधायक हैं. जेडीयू ने इस दफे भी निरंजन कुमार मेहता को ही मैदान में उतारा है.

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निरंजन का मुकाबला इस दफे विपक्षी महागठबंधन की उम्मीदवार सुभाषिनी शरद यादव और जन अधिकारी पार्टी के प्रभाष कुमार से है. निरंजन ने पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रवींद्र को हराया था. निरंजन कुमार मेहता 78 हजार 361 वोट पाकर विजयी रहे थे. जबकि, भाजपा के रवींद्र को 49 हजार 108 वोट मिले थे. रवींद्र को 28 हजार से अधिक वोट से मात खानी पड़ी थी.

पुरुष मतदाताओं की संख्या अधिक

बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की बात करें तो यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या अधिक है. इस विधानसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में पुरुष मतदाताओं की भागीदारी 51.85 फीसदी है. महिला मतदाताओं की भागीदारी 48.15 फीसदी है. बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र में कुल 2 लाख 84 हजार 140 मतदाता हैं.

पिछले चुनाव में पड़े थे कितने वोट

पिछले चुनाव यानी साल 2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र में 50 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था. पिछले चुनाव में बिहारीगंज के 1 लाख 73 हजार 208 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था.

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15 से अलग हैं समीकरण

बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र में इस बार पिछले चुनाव की अपेक्षा हालात अलग हैं. 2015 के चुनाव में जेडीयू, लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल थी. 2020 में हालात बिल्कुल अलग हैं. इस बार पिछले चुनाव की दो प्रतिद्वंदी पार्टियां जेडीयू और भाजपा साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं सत्ताधारी गठबंधन के सामने आरजेडी और कांग्रेस की चुनौती है.

विकास होगा चुनावी मुद्दा

बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है. इलाके में सड़क निर्माण के कुछ काम हुए हैं, लेकिन वे भी नाकाफी ही हैं. इलाकाई लोग बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों ने वादे तो बहुत किए, लेकिन वादे धरातल पर नहीं उतर सके. सत्ताधारी दल का विधायक होने के बावजूद विकास कार्य उतने नहीं हो सके, जितनी लोगों को उम्मीदें थी. इस सीट के लिए वोटिंग तीसरे और अंतिम चरण में 7 नवंबर को हुई. 60.19 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया. चुनाव नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.

 

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