पश्चिम बंगाल चुनाव में अब बांग्लादेश की भी भूमिका अहम होती दिख रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 और 27 मार्च को बांग्लादेश के दौरे पर रहेंगे और इस दौरान वे मतुआ समाज के संस्थापक हरिचंद ठाकुर के जन्मस्थान का दौरा कर सकते हैं.
मतुआ समाज में हरिचंद ठाकुर को भगवान का दर्जा हासिल है. उनका जन्म मौजूदा बांग्लादेश के गोपालगंज जिले में हुआ था. 27 मार्च को बंगाल में चुनाव का पहला चरण संपन्न होगा और इस दौरान पीएम मोदी बांग्लादेश में होंगे. माना जा रहा है कि मतुआ समाज को लुभाने के लिए प्रधानमंत्री हरिचंद ठाकुर के जन्मस्थान पर जा सकते हैं.
प्रधानमंत्री ने इच्छा जाहिर की है कि वे गोपालगंज जिले में हरिचंद ठाकुर के जन्मस्थान जाना चाहते हैं. हालांकि, अभी ये तय नहीं है कि बंगाल बीजेपी के सांसद और मतुआ समाज के नेता शांतनु ठाकुर इस दौरे पर उनके साथ रहेंगे या नहीं.
आजतक से फोन पर हुई बातचीत में शांतनु ठाकुर ने बताया कि उन्होंने ही 1 साल पहले प्रधानमंत्री को बांग्लादेश में हरिचंद ठाकुर के जन्मस्थान जाने का सुझाव दिया था लेकिन कोरोना की वजह से ये दौरा मुमकिन नहीं हो पाया.
दुनिया का नक्शा देख रहे पीएम: टीएमसी
प्रधानमंत्री के इस संभावित दौरे को लेकर तृणमूल सरकार में मंत्री साधन पांडेय ने ताना मारते हुए कहा कि प्रधानमंत्री अभी दुनिया का नक्शा देख रहे हैं कि कहां-कहां बंगाली हैं जिनको लुभाया जा सकता है. वे तो नोबेल पुरस्कार विजेता के पास जर्मनी भी जा सकते हैं. प्रधानमंत्री मतुआ समाज को लुभाने के ही ऐसा काम कर रहे हैं.
टीएमसी का सवाल बचकाना: बीजेपी
प्रधानमंत्री के 26 और 27 मार्च के बांग्लादेश दौरे पर बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने आजतक से बातचीत की. जब उनसे सवाल पूछा गया कि क्या मतुआ समाज को लुभाने के लिए प्रधानमंत्री हरिचंद ठाकुर की जन्मस्थली जा रहे हैं? इस पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जहां भी हिंदू रहते हैं वहां जाते हैं उनसे मिलते हैं. साधन पांडेय की टिप्पणी को लेकर विजयवर्गीय ने कहा कि टीएमसी बचकाना सवाल कर रही है.
इतना अहम क्यों है मतुआ समाज
दरअसल, बंगाल का सियासी गणित मतुआ समुदाय की भागीदारी पर टिका है. खासकर, पांचवें और छठवें चरण के चुनाव में मतुआ समुदाय की अहम भूमिका होगी. इसीलिए बीजेपी और टीएमसी दोनों ही इस समाज के मतदाताओं को अपनी ओर खींचने की जी-तोड़ कोशिश में लगे हैं.
बंगाल में लगभग एक करोड़ अस्सी लाख मतुआ मतदाता हैं. माना जाता है कि मतुआ समाज का वोट जिधर भी खिसका, उसका पलड़ा भारी रहता है. बंगाल में उत्तर 24 परगना का ठाकुर नगर इनका गढ़ है. चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही अमित शाह, ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी यहां जनसभाएं कर चुके हैं.
बंगाल की 294 विधानसभा सीटों में से लगभग 40 सीट पर मतुआ समुदाय का सीधा असर है. ये सीटें उत्तर 24 परगना, नदिया और दक्षिण 24 परगना की हैं. इसके अलावा 20 ऐसी सीटें हैं जहां मतुआ समुदाय का अप्रत्यक्ष प्रभाव है. ये सीटें हुगली जिले के अलावा उत्तर बंगाल के कूचबिहार और आसपास के इलाकों में हैं.
ममता ने 2011 में बंगाल की सत्ता से वाम दलों को उखाड़ फेंका तो इसमें मतुआ समुदाय की भूमिका बेहद अहम थी. मार्च 2010 में मतुआ समाज की बीनापनी देवी यानी बोड़ो मां ने ममता बनर्जी को मतुआ समुदाय का संरक्षक घोषित कर दिया था.
2019 से बीजेपी इस समुदाय को लुभाने में लगी है. लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठाकुर नगर में जनसभा की थी और बीनापनी देवी का आशीर्वाद लिया था. इसका असर ये हुआ कि नागरिकता संशोधन बिल के मुद्दे पर बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2019 में बनगांव और रानाघाट सीटें जीत लीं. दरअसल, मतुआ समाज पूर्वी बंगाल यानी बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थी हैं. हालांकि, सीएए के मुद्दे पर मतुआ समाज बंटा हुआ है, लेकिन बनगांव और रानाघाट लोकसभा सीटें जीतने के बाद बीजेपी की उम्मीदें बढ़ गई हैं.
अनुपम मिश्रा