बिहार चुनाव में 40 मुस्लिम प्रत्याशी उतारेंगे प्रशांत किशोर, हिंदुओं को लेकर दिया बड़ा बयान

जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने पटना में शनिवार को ऐलान किया कि वो बीजेपी को हराने के लिए गांधी और अंबेडकर की विचारधारा में विश्वास करने वाले हिंदुओं और मुस्लिम समुदाय के बीच वैचारिक गठबंधन बनाएंगे. किशोर ने कहा कि सभी हिंदू बीजेपी के साथ नहीं हैं और इस समीकरण से बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराना संभव है. उन्होंने 243 सीटों में से 40 मुस्लिम प्रत्याशी उतारने की भी घोषणा की है.

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जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (File Photo: PTI) जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (File Photo: PTI)

aajtak.in

  • पटना,
  • 16 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:37 PM IST

बिहार की सियासत में नई हलचल मचाते हुए जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने शनिवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि बीजेपी को हराने के लिए उनकी रणनीति एक नए सामाजिक समीकरण पर आधारित होगी. PK ने ऐलान किया कि वो गांधी और आंबेडकर की विचारधारा में विश्वास करने वाले हिंदुओं और मुस्लिम समुदाय को साथ लाकर एक मज़बूत वैचारिक गठबंधन तैयार करेंगे.

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सभी हिंदू बीजेपी के साथ नहीं: PK

पटना में मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक के बाद प्रशांत किशोर ने कहा, 'यह कहना गलत होगा कि सभी हिंदू बीजेपी के साथ हैं, सच तो यह है कि बहुसंख्यक हिंदू भी बीजेपी के समर्थन में नहीं हैं, हमारा मकसद एक वैचारिक गठबंधन तैयार करना है.' 

उन्होंने आगे कहा कि गांधी और आंबेडकर की विचारधारा पर आस्था रखने वाले हिंदुओं का एक बड़ा तबका है, जो बीजेपी के खिलाफ खड़ा हो सकता है. अगर यह तबका मुस्लिम समुदाय के साथ आता है, तो बीजेपी को हराना आसान होगा.

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40 मुस्लिम प्रत्याशी उतारेंगे PK

प्रशांत किशोर, जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रणनीति तैयार कर राष्ट्रीय पहचान बनाई थी, अब अपनी नई पार्टी जन सुराज के माध्यम से बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने पहले ही यह घोषणा की है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी 243 सीटों में से 40 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारेगी.

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उनका यह ऐलान महागठबंधन के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है. आरजेडी-कांग्रेस और वामपंथी दल लंबे समय से अल्पसंख्यक वोटों पर निर्भर रहे हैं. ऐसे में किशोर की नई रणनीति अल्पसंख्यक मतदाताओं के समीकरण में सेंध लगा सकती है.

 

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