बिहार में विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर हर पार्टी में बवाल चल रहा है. इसी बीच जब बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की तो गोपालगंज सदर की विधायक कुसुम देवी का टिकट काट दिया. उनकी जगह पार्टी ने जिला परिषद अध्यक्ष सुभाष सिंह को प्रत्याशी बनाया.
टिकट कटते ही भावुक हो गईं कुसुम देवी
इस फैसले के बाद विधायक कुसुम देवी भावुक हो उठीं और अपने आवास पर कार्यकर्ताओं के बीच ही फफक-फफक कर रो पड़ीं. मां की आंखों में आंसू देख उनके बेटे अनिकेत सिंह भी खुद को रोक नहीं पाए और फफक कर रोने लगे.
विधायक कुसुम देवी ने पार्टी पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा, 'हमने बीते 20 सालों से भाजपा की निष्ठा से सेवा की, जब पार्टी को ज़रूरत थी, हमने हर परिस्थिति में जनता के बीच काम किया. पार्टी ने हमसे कहा था कि नामांकन की तैयारी करें, लेकिन मीडिया से पता चला कि हमारा टिकट काट दिया गया. सारण प्रमंडल की मैं एकमात्र महिला विधायक थी. एक ओर महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और दूसरी ओर मेरे साथ अन्याय.'
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प्रदेश अध्यक्ष पर टिकट बेचने का लगाया आरोप
उन्होंने भावुक होकर कहा कि पार्टी बताए कि मेरी गलती क्या थी, टिकट कटने के बाद उनके समर्थकों में भी गुस्सा देखा गया. विधायक आवास पर जुटे कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और नेता मिथिलेश तिवारी के खिलाफ 'मुर्दाबाद' के नारे लगाए.
वहीं, विधायक के पुत्र अनिकेत सिंह ने भी मंच से खुलकर नाराज़गी जताई. उन्होंने कहा कि पार्टी अब कार्यकर्ताओं की नहीं, पैसों की राजनीति कर रही है. प्रदेश अध्यक्ष और कुछ नेता टिकट को कारोबार बना चुके हैं. ऐसे में भाजपा को जनता सबक सिखाएगी.
निर्दलीय मैदान में उतर सकती हैं कुसुम देवी
अब यह चर्चा जोरों पर है कि क्या कुसुम देवी निर्दलीय मैदान में उतरेंगी. समर्थक लगातार उन्हें चुनाव लड़ने की सलाह दे रहे हैं. अगर ऐसा हुआ तो गोपालगंज और बैकुंठपुर दोनों सीटों के समीकरण बदल सकते हैं. भाजपा के अंदरूनी असंतोष ने साफ संकेत दे दिया है कि टिकट बंटवारे ने पार्टी के भीतर बागी नेताओं में हलचल बढ़ा दी है.
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