चुनाव खत्म, पलायन शुरू! समस्तीपुर स्टेशन पर उमड़ा जनसैलाब, वोट डालकर लौटने लगे प्रवासी मजदूर

बिहार चुनाव खत्म होते ही लौटे प्रवासी मजदूर काम पर लौटने लगे हैं. समस्तीपुर स्टेशन पर भारी भीड़ उमड़ी, ट्रेनों में यात्रियों की ठसाठस भीड़ से लोग गेट और लगेज वैन पर लटककर सफर कर रहे हैं. जगह न मिलने से यात्रियों ने टिकट लौटाए और सरकार पर पलायन रोकने के वादे तोड़ने का आरोप लगाया.

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ट्रेन में जगह नहीं, मजदूरों ने फूटा गुस्सा.(Photo: Jahangir Alam/ITG) ट्रेन में जगह नहीं, मजदूरों ने फूटा गुस्सा.(Photo: Jahangir Alam/ITG)

जहांगीर आलम

  • समस्तीपुर,
  • 12 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:51 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बाद अब राज्य में लौटे प्रवासी मजदूर अपने-अपने कार्यस्थलों की ओर वापस जाने लगे हैं. समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी और जयनगर से आने वाले लोगों की भारी भीड़ इन दिनों समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर देखने को मिल रही है. चुनाव के दौरान जो मजदूर वोट डालने के लिए अपने गांव लौटे थे, अब वे बड़ी संख्या में ट्रेनों से अपने काम पर रवाना हो रहे हैं.

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दरअसल, ट्रेनों में इतनी भीड़ है कि यात्री ठूंस-ठूंस कर सफर करने को मजबूर हैं. कई लोग जान जोखिम में डालकर ट्रेन के गेट पर लटककर यात्रा कर रहे हैं. जयनगर से सियालदह जाने वाली गंगासागर एक्सप्रेस की हालत सबसे खराब रही. इस ट्रेन के लगेज वैन गेट तक पर यात्री सवार दिखाई दिए. कई यात्रियों को जगह नहीं मिलने के कारण ट्रेन से चढ़ना तक संभव नहीं हो पाया.

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टिकट वापसी को उमड़ी भीड़, सरकार पर गुस्सा
ट्रेन में जगह न मिलने से परेशान यात्रियों ने समस्तीपुर स्टेशन के अनारक्षित टिकट काउंटर पर जाकर टिकट वापस कराए. इस दौरान यात्रियों ने सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि चुनाव के वक्त पलायन रोकने की बात करने वाले नेता अब कहां हैं? लोगों का कहना था कि हर चुनाव में बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन मजदूरों की समस्याएं वहीं की वहीं हैं.

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ट्रेनों में भीड़ और वोटिंग प्रतिशत का संबंध
दरभंगा से अहमदाबाद जाने वाली जनसाधारण एक्सप्रेस की स्थिति भी गंगासागर एक्सप्रेस जैसी ही रही. ट्रेनों में भीड़ देखकर यह साफ झलकता है कि चुनाव के दौरान प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में घर लौटे थे. इस बार वोटिंग प्रतिशत में वृद्धि का कारण भी यही माना जा रहा है. कई लोगों को डर था कि कहीं उनके नाम मतदाता सूची से हट न जाएं, इसलिए उन्होंने हर हाल में मतदान किया. इस बार का बढ़ा हुआ वोटिंग प्रतिशत लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि क्या सचमुच बदलाव की उम्मीद बढ़ी है.

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